ब्रजभूषण सिंह का इस्तीफा नहीं हुआ, छिपा गये अख़बार

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
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ब्रजभूषण सिंह के इस्तीफे की खबर, छवि सुधारने की कोशिश और सुनामी

 

ब्रज भूषण शरण सिंह के इस्तीफे की खबर को टाइम्स ऑफ इंडिया ने लीड बनाया था और तब (21 जनवरी 2023 को) मैंने लिखा था कि भाजपा में यह बड़ा बदलाव है और वाशिंग मशीन बन चुकी पार्टी ऐसा इमेज चमकाने के लिए कर रही है। पर मामला चाहे जो हो, ब्रज भूषण शरण सिंह का इस्तीफा संभवतः नहीं हुआ है और उनके खिलाफ आंदोलन लगभग खत्म हो चुका। मामला चर्चा से बाहर हो चुका है और बेटी बेचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे के बावजूद कुश्ती लड़ने वालियों के यौन शोषण का आरोप निपट गया लगता है। आप इसे एंटायर पॉलिटिकल साइंस की राजनीति कह सकते हैं। सांप भी मरा लाठी भी नहीं टूटी। मुझे गलत मत समझियेगा, सांप मरने से मेरा मतलब आंदोलन खत्म होने से है। सांप मारे जाने की कोई खबर नहीं है।

इस मामले में खास बात यह है कि पहले रिवाज था कि अखबारों में अगर कुछ छप जाए और वैसा हो नहीं तो बताया जाता था। दूसरी खबर लगभग वहीं और उतने ही महत्व के साथ छापने की नैतिक जरूरत होती थी अब वो सब नहीं रहा। हालांकि, इमेज चमकाने का काम तो हो गया। इस बड़े मामले को इस्तीफे से निपटाने की कोशिश से संबंधित कुछ शीर्षक हैं जिससे लगता है कि इस्तीफा नहीं हुआ है। आजतक की 20 जनवरी की खबर है, ‘मैं मुंह खोलूंगा तो सुनामी आ जाएगी’, इस्तीफा नहीं देने पर अड़े बृजभूषण शरण सिंह ने कहा था। पद छोड़ने के बढ़ते दबाव के बीच बृजभूषण ने यह भी कहा था कि वो फिलहाल इस्तीफा नहीं देने जा रहे, वो शाम चार बजे प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके समर्थन में भी खिलाड़ी सामने आ रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि इन्हीं खबरों के कारण इस्तीफा देंगे या दिया की खबर महत्वपूर्ण हो जाती है और लीड की जगह लेती है।

लेकिन अखबार निकालना राजनीतिक भाषण देना और अपनी पार्टी का प्रचार नहीं है, बोले और भूल गए। 20 जनवरी को ही एबीपी लाइव की खबर थी, खेल मंत्रालय ने कहा- 24 घंटे के भीतर डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष पद से इस्तीफा दें बृजभूषण शरण सिंह। ऐसी खबरों के बीच इस्तीफे की खबर महत्वपूर्ण हो जाती है और उसका इंतजार किया जाता है। हो सकता है कुछ लोग खबर का नहीं, सुनामी का इंतजार कर रहे हों। मैं सांसद महोदय के मुंह खोलने का इंतजार कर रहा हूं। मुंह तो उन्हें इस्तीफा देने के बाद भी खोलना चाहिए था पर ना इस्तीफे का पता है और ना मुंह खोलने के संकेत। इस मामले से संबंधित खबर आज मुझे पहले पन्ने पर सिर्फ (मेरे पांच अखबारों में से) हिन्दुस्तान टाइम्स में दिखी। इसके अनुसार कुश्ती संघ की असधारण सभा रद्द हो गई है और गोंडा में अनौपचारिक बैठक हुई पहले पन्ने पर छपी खबर में इस्तीफे की सूचना या पुष्टि नहीं है।

इसके अनुसार, कुश्ती अधिकारियों ने अध्यक्ष’ बृजभूषण शरण सिंह से मुलाकात की, जो देश के शीर्ष पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न और निकाय को निरंकुश चलाने के आरोपों के बाद जांच के घेरे में हैं। उन्होंने कहा, ‘यह “डब्ल्यूएफआई प्रमुख” के साथ सिर्फ एक शिष्टाचार मुलाकात थी… हमने कानूनी लड़ाई सहित आगे की कार्रवाई पर चर्चा की है।’ डब्ल्यूएफआई के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, हम डब्ल्यूएफआई के खिलाफ झूठे आरोपों और साजिश के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं। संपर्क किए जाने पर डब्ल्यूएफआई के महासचिव वीएन प्रसाद ने कहा, “सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एक समिति बनाने का फैसला किया है… हम सरकार से जो भी निर्देश आएंगे, हम उसका सहयोग करेंगे और उसका पालन करेंगे।” केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने रविवार को कोलकाता में संवाददाताओं से कहा, “डब्ल्यूएफआई के सहायक सचिव को बर्खास्त कर दिया गया है और एक निगरानी समिति निष्पक्ष जांच शुरू करेगी ताकि सब कुछ स्पष्ट हो सके।” इस बीच यह तय लग रहा है कि राजनाथ सिंह ने सही ही कहा था, भाजपा में इस्तीफे नहीं होते। और यह भी कि उसे अपनी छवि की चिन्ता नहीं है।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।


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