कृषि क़ानूनों के विरोध को शुरू को एक साल होने जा रहा है…मुजफ्फरनगर में होने वाली ऐतेहासिक किसान महापंचायत में शामिल होने लाखों किसान मुजफ्फरनगर पहुंच गए हैं – जीआईसी मैदान में हो…
"यह घटना मेरे लिए आँख खोलने वाली थी. उसने बतलाया कि हिन्दी के साहित्यिक और पत्रकार कितने ज्यादा तुनुकमिजाज हैं. मुझे पता लगा कि वे अपने शुभचिंतक मित्र की सद्भावनापूर्ण आलोचना भी सुनने…
सन्तराम जी और उनके ‘जातपात तोड़क मण्डल’ ने अपने जाति-विरोध से पूरे देश का ध्यान खींचा था। पर उसे जितना समर्थन मिला था, उससे कहीं ज्यादा रूढ़िवादियों ने उसका विरोध किया था। विरोधियों…
पिछले साल की बात है, एक मित्र के घर बारहवीं क्लास में टॉप किये एक बच्चे से बात हो रही थी. वो अपना कुत्ता लेकर उसके साथ खेल रहा था, अचानक उसका पैर…
"हमने मान लिया की वर्माजी को किराया मकान का किराया नहीं देना पड़ता, राशन पानी नहीं खरीदना पड़ता, कोई खर्चे नहीं है. यह सारे खर्चे केवल हमारे लिए हैं. क्योंकि वर्माजी तो ‘महान’…
लाल बहादुर वर्मा यानी हमारे ‘वर्मा जी’ जिससे भी मिलते उसे एक टास्क दे देते थे। उनके जाने के बाद ऐसा लग रहा है जैसे वे हमें उनसे जुड़ने उनके बारे में कहने…
टैगोर का लेख है 'भारत में राष्ट्रवाद.' इसके आरम्भ ही वह कहते हैं "भारत में हमारी असली समस्या राजनीतिक नहीं, सामाजिक है." वह लिखते हैं - ' इतिहास के आरंभिक काल से ही…
मीडिया विजिल की पूर्व असिस्टेंट एडिटर, सौम्या गुप्ता की ये टिप्पणी हम महिला दिवस पर विशेष रूप से प्रकाशित कर रहे हैं। ये टिप्पणी एक ऐसे राजनैतिक समय में बेहद अहम है, जब…
वहां न कोई दुख है, न कोई घबराहट..वहां किसी पर कोई कर नहीं लगता है…वहां जाति या वर्ग का कोई भेद नहीं है…वहां सबके लिए भोजन है…सबके लिए घर है…संत रविदास अपनी वाणी…
स्वामी विरजानंद थे दयानंद सरस्वती के गुरु। नेत्रहीन थे लेकिन 1857 की क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार करने में भूमिका निभायी। 1856 में हिंदू और मुस्लिम फ़क़ीरों ने मथुरा की पंचायत में मिलकर कहा…
पुनर्जागरण की राजनीति।राष्ट्रराज्य में आधुनिकता और पूँजीवाद का जन्म। राज्य का जन्म और विकास और अराजकतावाद का दर्शन।
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