पहला पन्ना: बंगाल में बम फ़ैक्ट्रियों के शाह के दावे को गृहमंत्रालय नहीं मानता, कैसे बतायें अख़बार!


अमित शाह ने गए अक्तूबर में एक टेलीविजन चैनल से बातचीत में कहा था कि पश्चिम बंगाल के प्रत्येक जिले में बम बनाने की फैक्ट्री है। बेशक, केंद्रीय गृहमंत्री का यह आरोप काफी गंभीर है। कोई भी इसकी सत्यता और कार्रवाई या कार्रवाई नहीं होने का कारण जानना चाहेगा। ऐक्टिविस्ट साकेत गोखले ने इस दावे के संबंध में आरटीआई के जरिए सवाल पूछा तो जवाब आया कि ऐसी कोई सूचना गृहमंत्रालय के पास नहीं है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने गोखले को सलाह दी है कि वास्तविक जानकारी के लिए बंगाल पुलिस से संपर्क करें। अगर ऐसा ही है तो गृहमंत्री के आरोप का क्या मतलब?


संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
काॅलम Published On :


आज पांच में से तीन अखबारों में ममता बनर्जी की नंदीग्राम की रैली की खबर पहले पन्ने पर है। पर्याप्त प्रमुखता से है। द टेलीग्राफ में होना बड़ी बात नहीं है पर इंडियन एक्सप्रेस और हिन्दुस्तान टाइम्स में होने का मतलब है। हालांकि, इसका श्रेय मेरे लिखने को नहीं है और किसी भी अखबार के लिए पहले पन्ने की खबरें तय करना एक मुश्किल काम है। कोई नियम या आदर्श नहीं है। ऐसे में किसी भी तरह के चयन पर टीका टिप्पणी की जा सकती है। मैं महसूस कर रहा था कि कुछ खबरें भाजपा का समर्थन करती लगती हैं उन्हीं को समझने – समझाने की कोशिश कर रहा हूं। अगर लेफ्ट की कोलकाता की रैली पहले पन्ने पर नहीं थी और आज ममता बनर्जी की रैली की खबर है तो इसका कारण रैली के महत्वपूर्ण होने के साथ आज उपलब्ध दूसरी खबरें हो सकती हैं। मैं अपनी तरफ से कोई टिप्पणी करने की बजाय आपको खबरें बताता हूं। फैसला, अगर जरूरी हो, तो आप कीजिए। वरना मेरे लिए तो चर्चा करना ही पर्याप्त दिलचस्प है। 

आज दिल्ली बजट की खबर है और दिल्ली के अखबारों के लिए इसका अपना महत्व है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का इस्तीफा आज कई अखबारों में लीड है लेकिन इसका अंदाजा तो पहले ही लग गया था और कल इंडियन एक्सप्रेस में खबर भी थी। हालांकि इंडियन एक्सप्रेस में आज इस्तीफे की खबर ही लीड है। लेकिन आज ममता बनर्जी की खबर दिलचस्प है। द टेलीग्राफ में लीड का शीर्षक है, “दीदी की शंखध्वनि बनाम 70:30 कार्ड।” इस खबर के अनुसार ममता ने कहा, “कुछ लोग उस 70:30 अवधारणा से घर तोड़ने की कोशिश करेंगे, ध्रुवीकरण करेंगे। उन्हें जरूर बताएं कि लोगों को इस तरह नहीं बांटा जा सकता है।” हिन्दी में पढ़ते हुए ध्यान रखें कि ममता बनर्जी ने मूल भाषण बांग्ला में दिया होगा, द टेलीग्राफ ने उसका अंग्रेजी अनुवाद किया और मैं अंग्रेजी से हिन्दी कर रहा हूं। इसलिए जो कहा और जो यहां लिखा जा रहा है उसमें अंतर हो सकता है। और आप इसकी गुंजाइश रखें।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर का शीर्षक है, “नंदीग्राम में अकेले लड़ी, ब्राह्मण को हिन्दू होना न सिखाएं : ममता”। हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस खबर को लीड के साथ टॉप पर रखा है और शीर्षक है, “मेरे साथ हिन्दू कार्ड मत खेलिए : दीदी।” कोलकाता डेटलाइन की खबर इस प्रकार है, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को नंदीग्राम में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक में चंडीपाठ किया। वे यहां से विधानसभा चुनाव लड़ेंगी और सांप्रदायिक राजनीति के लिए भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला। उन्होंने कहा, जो लोग हिन्दू मुस्लिम कार्ड खेल रहे हैं उन्हें साफ तौर पर बताना चाहती हूं कि मैं भी हिन्दू परिवार की लड़की हूं, मेरे साथ हिन्दू कार्ड मत खेलिए।” मुझे लगता है कि यह बात कहने की नहीं, समझने की है। पर अखबारों ने ऐसा हाल बना दिया है कि इसे कहना पड़ रहा है। कहा तो और भी लोगों ने होगा पर छपा नहीं दिखा। राहुल गांधी का जनेऊ दिखाने वाला मामला भी यही था। पर उसे कैसे पेश किया गया आप जानते हैं।   

आज के अखबारों में एक प्रमुख खबर मुंबई में अंबानी के घर के बाहर मिली चोरी की गाड़ी में बम और उसके मालिक की मौत के बाद जांच का काम एनआईए को दिए जाने के बाद अब कार मालिक की पत्नी का बयान है। इंडियन एक्सप्रेस ने शीर्षक से बताया है कि गाड़ी 5 फरवरी तक पुलिस अधिकारी के पास थी। टाइम्स ऑफ इंडिया में इसका शीर्षक है, मुंबई के कारोबारी हिरन की विधवा ने एटीएस से कहा कि उन्हें पुलिस वालों पर पति की हत्या का शक है। यह मामला पर्याप्त गंभीर है। भाजपा पुलिस अधिकारी को बचाने का आरोप महाराष्ट्र सरकार पर लगा रही है और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एनआईए से जांच कराने को पहले ही गड़बड़ कह चुके हैं। बाकी जांच एजेंसियों का जो हाल है वह किसी से छिपा नहीं है। पुराने मामले अपनी जगह है।

ऐसे में खबरों का इतिहास भूगोल भी होता है। उन्हें भी समझने की जरूरत है। इस लिहाज से आज द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर एक और उल्लेखनीय खबर है। जो दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है। इस खबर का शीर्षक है, “शाह की टीम ने शाह के बम को बेअसर किया।” पहली नजर में यह मुंबई में अंबानी के घर के बाहर चोरी की गाड़ी में मिले बम और फिर उस गाड़ी मालिक की मौत और मामले की जांच एनआईए को सौंपने से संबंधित खबर लगती है। दूसरे अखबारों में इससे संबंधित खबर है जिसकी चर्चा पहले कर चुका हूं। आप जानते हैं कि एनआईए केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन है। सीबीआई भी गृहमंत्रालय के अधीन है। इसके बावजूद खबर है कि अमित शाह ने गए अक्तूबर में एक टेलीविजन चैनल से बातचीत में कहा था कि पश्चिम बंगाल के प्रत्येक जिले में बम बनाने की फैक्ट्री है। बेशक, केंद्रीय गृहमंत्री का यह आरोप काफी गंभीर है। कोई भी इसकी सत्यता और कार्रवाई या कार्रवाई नहीं होने का कारण जानना चाहेगा। ऐक्टिविस्ट साकेत गोखले ने इस दावे के संबंध में आरटीआई के जरिए सवाल पूछा तो जवाब आया कि ऐसी कोई सूचना गृहमंत्रालय के पास नहीं है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने गोखले को सलाह दी है कि वास्तविक जानकारी के लिए बंगाल पुलिस से संपर्क करें। अगर ऐसा ही है तो गृहमंत्री के आरोप का क्या मतलब? और है तो खबर नहीं है? आपके अखबार ने ऐसी कोई खबर दी? द टेलीग्राफ ने लिखा है कि इन तथ्यों की पुष्टि के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय को भेजे गए ई-मेल और टेक्स्ट संदेशों का मंगलवार रात तक कोई जवाब नहीं आया। 

अखबार में पूरी खबर पहले पन्ने पर नहीं है। बाकी हिस्सा अंदर के पन्ने पर है। पेश है पूरी खबर का लिंक। पढ़िए और जानिए कि हमारे गृहमंत्री क्या और कैसे दावे करते हैं। इस तथ्य को इन खबरों के साथ जोड़कर देखिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हाल में कोलकाता के ब्रिग्रेड परेड ग्राउंड की रैली में बोल ही रहे थे कि लोग जाने लगे और जाते हुए लोगों से पूछा गया कि जल्दी क्यों जा रहे हैं तो उनका कहना था कि दूर जाना है। यह दिन में तीन से चार बजे के बीच की बात है। मतलब कोलकाता की रैली में कितनी दूर से लोग लाए गए थे (या आए थे) कि वे चार बजे शाम तक पूरा भाषण सुनने के लिए नहीं रुके। दिल्ली के अखबारों ने इस रैली को पहले पन्ने पर छापा था। क्या आपको अपने अखबार की खबरों से अंदाजा था कि नंदीग्राम की खबर पहले पन्ने पर छप सकती है? नहीं हो तो मीडियाविजिल डॉट कॉम में मुझे पढ़ते रहिए।     

आज दिल्ली का बजट दिल्ली के सभी अखबारों (पाठकों के लिए भी) भी महत्वपूर्ण है इसलिए चलते-चलते उसे भी देख लिया जाए। आप जानते ही हैं कि प्रचारकों की राजनीति में अपना पक्ष प्रचार और विपक्षी के खिलाफ दुष्प्रचार की रणनीति का तड़का होता है। दिल्ली में सत्तारूढ़, आम आदमी पार्टी प्रचारकों की बी टीम भले कही जाती है पर आंखों की किरकिरी जरूर है। भिन्न अखबारों में खबर का शीर्षक और डिसप्ले इस प्रकार है : 

  1. टाइम्स ऑफ इंडिया 

शहर के लिए देशभक्ति बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा – मुख्य शीर्षक है जबकि इंट्रो हैआजादी के 75 वर्षों पर 500 तिरंगे फहराए जाएंगे।  यह खबर पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर हैं। 

  1. हिन्दुस्तान टाइम्स 

राजधानी के बजट में स्वास्थ्य पर भारी जोर – मुख्य शीर्षक है जबकि इंट्रो है, दिल्ली टीकाकरण की क्षमता बढ़ाने के लिए तैयार; बजट में शिक्षा मुख्य क्षेत्र बना रहा 

  1. इंडियन एक्सप्रेस 

दिल्ली सरकार के देशभक्ति बजट में 500 तिरंगों के लिए 45 करोड़ रुपए – एक ही शीर्षक है, तीन कॉलम में दो लाइन

  1. द हिन्दू 

दिल्ली के लिए 69 हजार करोड़ रुपए का देश भक्ति बजट – एक ही शीर्षक है, तीन कॉलम में एक लाइन। 

 

आप जानते हैं कि बंगाल चुनाव आठ चरण में हो रहे हैं। और चुनाव की घोषणा के बाद डीजीपी को बदल दिए जाने की खबर टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर है। इंडियन एक्सप्रेस में खबर अंदर होने की सूचना पहले पन्ने पर है। अंदर इस खबर के साथ एक्सप्रेस ने बताया है कि तमिलनाडु के अधिकारी का भी तबादला कर दिया गया है। पश्चिम बंगाल की खबर का शीर्षक हैप्रतिकूल रिपोर्ट के बाद ईसी ने बंगाल के डीजीपी को हटाने के आदेश दिए। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार तृणमूल ने इसे राजनीतिक हस्तक्षेप कहा है जबकि भाजपा ने इसका स्वागत किया है। 

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।