‘गुजरात के प्रधानमंत्री’ की सक्रियता और मणिपुर की शांति समिति का हाल जानिये  

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


आज देखिये एक ही खबर की अलग-अलग प्रस्तुति, डाटा लीक होने पर सरकार का पक्ष 

मुझे लगता है कि पहले पन्ने की खबरों में अब विविधता आ रही है। मणिपुर की खबरों को पहले पन्ने पर जगह मिल रही है भले शीर्षक और चिन्ता भिन्न है। ऐसा ही दूसरी खबरों के साथ भी है। सरकार के समर्थन और खुलकर विरोध से बचने की कोशिशें नजर आ रही हैं। भले ही इस कारण खबरों और पत्रकारिता की ऐसी-तैसी हो गई है और आज के अखबारों में दिलचस्प उदाहरण हैं। शुरू करता हूं मणिपुर की खबर से। इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर दो कॉलम की इस खबर का शीर्षक है, “मणिपुर में एक और मरा; मेइती और कुकी दोनों समुदायों ने कहा शंति समिति में शामिल नहीं होंगे”। आप जानते हैं कि मणिपुर में महीने भर से ज्यादा से हिंसा चल रही है, सुरक्षा बलों से हथियार लूटे जा चुके हैं और उन्हें वापस करने के लिए ड्रॉप बॉक्स रखे गए हैं जिनपर इस आशय का निवेदन लिखा हुआ है। यह पहल मणिपुर के एक मंत्री, एल सुसिन्द्रो मेइती ने कुरई, इंफाल पूर्व में अपने घर के बाहर ऐसी ‘सुविधा’ शुरू करके की है। (द टेलीग्राफ, 12 जून 2023)। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर और फोटो 10 जून को थी। इससे आपको हालात और उसपर सरकारी पकड़ का अंदाजा लग जाएगा। पर खबरें कितनी और क्या छप रही हैं वह आप देख रहे हैं। 

हिन्दुस्तान टाइम्स में आज यह खबर सिंगल कॉलम में टॉप पर है और शीर्षक में यही बताया गया है कि दोनों समूहों ने शांति समिति में शामिल होने से मना कर दिया। एक व्यक्ति की मौत, शीर्षक में नहीं है और गुवाहाटी डेटलाइन से जो खबर है वह यही बताती है कि केंद्र सरकार ने शांति (या सद्भाव) स्थापित करने के लिए जो समिति बनाई उसमें शामिल होने से दोनों समूहों ने मना कर दिया है। पूरी खबर नहीं पढ़ें तो यही लगेगा कि सरकार कोशिश तो कर रही है अब लोग शांति समिति में नहीं आएंगे, बैठकर बात नहीं करेंगे तो क्या होगा। लेकिन खबरों में यह भी बताया गया है कि लोगों से पूछे बगैर उन्हें समिति में शामिल कर दिया गया है। खबर यह भी है कि हिन्सा शुरू होने के बाद से 253 चर्च जलाये जाने का आरोप है। इस बीच नवोदय टाइम्स की खबर का शीर्षक है, ग्राम सेवकों और उग्रवादियों के बीच गोलीबारी में तीन घायल। अमर उजाला में मणिपुर की खबर नहीं है लेकिन यहां पता चला कि भारतीय कुश्ती महासंघ का चुनाव चार जुलाई को है और ब्यौरा खेल की खबरों के पन्ने पर है। 

टाइम्स ऑफ इंडिया में भी मणिपुर की खबर पहले पन्ने पर दो कॉलम में है। शीर्षक में बताया गया है कि राज्यपाल ने राहत शिविर का दौरा किया। इस खबर के साथ सिंगल कॉलम की एक खबर से बताया गया है कि तीन समूहों ने शांति समिति को खारिज कर दिया है। लेकिन यहां भी एक दिलचस्प खबर है, गृह मंत्रालय ने केयर इंडिया का फॉरेन फंडिंग लाइसेंस निलंबित कर दिया है। यह विदेशी दान लेने के नियमों के कथित उल्लंघन के लिए किया जाता है और विदेशी चंदे से देश में जनहित के काम करने वालों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई मोदी सरकार ने खूब की है। मुझे लगता है कि इसका कारण यही है कि कोई भी ऐसा व्यक्ति धन के मामले में निश्चिंत न हो पाये जो सरकार पर निर्भर नहीं है। वास्तविक कारण चाहे जो हो, पीएम केयर्स के बाद ऐसी रोक का खास महत्व है। पर अभी वह मुद्दा नहीं है। हालांकि, ऐसे में मुझे नहीं लगता कि यह पहले पन्ने की खबर है, फिर भी। 

टाइम्स ऑफ इंडिया में एक और दिलचस्प खबर है, पुलिस ने कुश्ती संघ के प्रमुख मामले में पांच देशों से सूचना मांगी है। अखबार ने यह भी लिखा है कि पुलिस को 15 जून तक चार्जशीट दाखिल करनी है और उससे पहले जवाब आने की उम्मीद नहीं है। वापस मणिपुर की खबर पर आऊं तो द टेलीग्राफ में दो कॉलम में एक खबर का शीर्षक है, 253 चर्च जला दिये गये – फोरम। यह चुरचंदरपुर जिले में मान्यताप्राप्त जनजातियों का दि इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम है। खबर के अनुसार मणिपुर की हिन्सा में 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और 50,698 लोग विस्थापित हुए हैं।  हालत यह थी कि लोग लाश लेने भी नहीं आ रहे थे। इस हालत में द टेलीग्राफ का आज का कोट जयराम रमेश का है जो कांग्रेस के संचार प्रमुख हैं। इसमें उन्होंने कहा है, मन की बात के सौवें एपिसोड के बाद प्रधानमंत्री ने मणिपुर के बारे में कुछ भी क्यों नहीं कहा है। मणिपुर की बात का क्या हुआ? जो भी हुआ, पता नहीं है पर यह जरूर पता है कि जयराम रमेश का यह सवाल किसी और अखबार में पहले पन्ने पर नहीं है। द टेलीग्राफ में पहले पन्ने की आज की कुछ खबरों के अलावा दूसरे अखबारों की प्रमुख खबरें इस प्रकार हैं – 

 

  1. किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए हाईवे ब्लॉक किया। हरियाणा के किसानों ने सूर्यमुखी के बीज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए सरकार पर दबाव डालने के उद्देश्य से नेशनल हाईवे 44 को कुरुक्षेत्र के पिपली में रोक दिया। यह खबर नवोदय टाइम्स में फोटो के साथ चार कॉलम में है। हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर सिंगल कॉलम में है और उसके बराबर की खबर का शीर्षक है, राम मंदिर 17 से 24 जनवरी के बीच खुल सकता है।    
  2. दूसरी खबर टॉप पर है, लव जेहाद के नाम पर चलाये जा रहे घृणा अभियान से डर कर भाग रहे हैं मुस्लिम कारोबारी। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की कहानी है। खबर के अनुसार कम से कम 12 मुस्लिम दुकानदार पुरोला शहर छोड़र भाग चुके हैं। इनमें दो भाजपा के मायनॉरिटी सेल के स्थानीय नेता है। वैसे तो यह पुराना मामला है और संभव है, पहले छपा हो पर दूसरे अखबारों में मुझे नहीं दिखा, ना पहे दिखा था। इसकी बजाय नवोदय टाइम्स में एक खबर प्रमुखता से छपी है जिसका शीर्षक है, सच साबित हुआ संजयनगर से धर्मांतरण का कनेक्शन।   
  3. टाइम्स ऑफ इंडिया की लीड है, नीति बनने तक शहर में बाइक टैक्सी नहीं चल सकती है – सुप्रीम कोर्ट। खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के प्रतिबंध को फिर से लागू कर दिया है जिसे हाईकोर्ट ने स्थगित कर दिया था। जाहिर है, सरकारी फैसला नहीं होने से जनता को उपलब्ध एक सेवा फिलहाल बंद हो जाएगी। खबर से लगता है कि फैसला दिल्ली सरकार को लेना है लेकिन दिल्ली सरकार यह कहती रही है कि केंद्र सरकार उसे काम नहीं करने देती। इस क्रम में नवोदय टाइम्स में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की तरफ से दिल्ली सरकार का यह दावा महत्वपूर्ण है कि वह एमसीडी के 1800 स्कूलों को भी ठीक करेगी। आप जानते हैं कि दिल्ली नगर निगम पर अब आम आदमी पार्टी का कब्जा है। 

इन और ऐसी तमाम खबरों के बीच आज के अखबारों की लीड देखने लायक है। ज्यादातर में सरकारी प्रचार को ही प्रमुखता मिलती है। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया के बाद आज द टेलीग्राफ और द हिन्दू की लीड भी ऐसी नहीं है। खबर कोविड का टीका लगवाने वालों की निजी जानकारी लीक होने से संबंधित है। कल दिन भर सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा रही। फिर भी आज यह दो अखबारों में ही लीड है जबकि नवोदय टाइम्स की खबर है, “को-विन डेटा में सेंध की खबरें बेबुनियाद : सरकार”। टाइम्स ऑफ इंडिया में भी सिंगल कॉलम में सरकारी खबर शीर्षक है, “कोई डाटा लीक नहीं हुआ, कोविन सुरक्षित है सरकार”। विस्तार अंदर के पन्ने पर होने की सूचना है। वहां तीन कॉलम की खबर के साथ केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर की फोटो है और कैप्शन में कहा गया है, “दोष बॉट का है : राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि पूर्व में चुराए गए डेटा से एक टेलीग्राम बॉट कोविन विवरण दे रहा है”। टाइम्स ऑफ इंडिया में इस खबर का शीर्षक है, “कोविन पोर्टल सुरक्षित है, डाटा चोरी की रिपोर्ट ‘शरारतपूर्ण’ सरकार ने जोर देकर कहा”।  

कहने की जरूरत नहीं है कि मंत्री और सरकार मान रहे हैं कि डाटा चोरी हुई है। फिर भी पोर्टल सुरक्षित है और संबंधित रिपोर्ट ‘शरारतपूर्ण’। द हिन्दू में इस खबर का शीर्षक है, “कोविन टीकाकरण डाटा सार्वजनिक, सरकार ने उल्लंघन से इनकार किया”। केंद्रीय आईटी मंत्रालय ने कहा कि सार्वजनिक डाटा पहले चुराया गया था पर कोविन पोर्टल से नहीं। इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेसपांस टीम (सीईआरटी-इन) इस मामले की जांच कर रिपोर्ट देगी। इन खबरों से आपने देखा कि एक ही खबर की प्रस्तुति कैसे अलग-अलग हो सकती है और सरकार को जिम्मेदारी से मुक्त किया जा सकता है या बयान भर की उसकी कोशिशों को ‘काम’ माना जा सकता है। मोटरसाइकिल टैक्सी वाला मामला इसका उदाहरण है। साफ है कि सरकारी नीति नहीं होने से उसे बंद किया गया है पर अमर उजाला का शीर्षक है, दिल्ली में नहीं चलेगी बाइक टैक्सी सुप्रीम कोर्ट की रोक। उपशीर्षक है, दिल्ली हाईकोर्ट ने 26 मई को दी थी संचालन की अनुमति। 

खबर बताती है कि अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार का भी पक्ष पूछा था। जाहिर है, सरकारी फैसला नहीं होने के कारण जनता एक सेवा से और सरकार उसके सेवाशल्क पर जीएसटी से वंचित रहेगी। अगर सेवा को अनुमति नहीं दी जाती है तो इतने दिन चलना अवैध और जोखिम भरा था और दी ही जानी है तो अब होने वाली असुविधा और सरकारी नुकसान के लिए सरकार ही जिम्मेदार है। लेकिन खबर की प्रस्तुति ऐसी है जैसे कानून का पालन हुआ है और सामान्य बात है। यही हाल कोविन डाटा लीक होने की खबर की प्रस्तुति में है। हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर है। शीर्षक है, कोविन वैक्सीन डाटाबेस लीक की हवा नजर में। इसके साथ अखबार ने बताया है कि लीक कहने का आधार क्या है और सरकार अपने बचाव में क्या कह रही है। इस मामले में जो मूल मुद्दा है उसे हिन्दुस्तान टाइम्स वाकयुद्ध कहा है और इसमें बताया गया है, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने सरकार पर हमला किया और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पूछा, “करोड़ों भारतीयों के निजी डाटा को सुरक्षित करने के लिए मोदी सरकार क्या कदम उठा रही है। जनता ने तो सरकार पर भरोसा किया था कि वह उनका विवरण सुरक्षित रखेगी।“ 

इस पूरे मामले की शुरुआत कैसे हुई और सरकारी रुख कितना लचर रहा इसका वर्णन द टेलीग्राफ में विस्तार से है। आज मैं उसका अनुवाद करने की बजाय आपको बताना चाहता हूं कि इन और ऐसी खबरों के बीच सरकार के प्रचार में क्या कुछ है। जो नहीं है और जिसे कम महत्व  दिया गया है वह तो अपनी जगह है ही। 

जहां तक खबरों की बात है, इंडियन एक्सप्रेस ने दो कॉलम की अपनी लीड खबर से बताया है कि मैक्रो संकेतक बेहतर हुए हैं, फैक्ट्री आउटपुट अप्रैल में (जी, मई में नहीं) 4.2% बढ़ा (अंग्रेजी में इसके लिए अपटिक लिखा गया है), और मुद्रास्फीति मई में 4.5% कम हुई (कूल्स!)। अमर उजाला में यह खबर पांच कॉलम में लीड है, “खुदरा महंगाई 25 माह में सबसे कम”। द हिन्दू में दो कॉलम में सेकेंड लीड है। गुजरात में तूफान की खबर इंडियन एक्सप्रेस में सेकेंड लीड है और चार कॉलम में (फोटो के साथ) है। ट्रक में भरकर जाते लोगों की तस्वीर का कैप्शन है, “तूफान बिपरजॉय से पहले सोमवार को कच्छ जिले के लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है।“ शीर्षक में बताया गया है, गुजरात ने हजारों लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, बंदरगाह बंद किये; प्रधानमंत्री ने बैठक ली। हालांकि, इंडियन ए्क्सप्रेस में कोविन डाटालीक वाली खबर पहले पन्ने पर है, भले सरकारी है। वैसे बताया जरूर गया है कि सरकारी स्पष्टीकरण मुख्य चिन्ता को दूर नहीं करता है। इंडियन एक्सप्रेस में मध्यप्रदेश की सरकारी बिल्डिंग में आग लगने की खबर और फोटो भी है। 

 द टेलीग्राफ ने आज पहले पन्ने की खबरों से बताया है कि उत्तराखंड के एक शहर से मुसलमान जान बचाकर भाग रहे हैं तो पहले ही पन्ने की एक खबर बताती है कि मेघालय की सांसद और पर्यावरण पर संसदीय पैनल की सदस्य अगाथा संगमा ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से कहा है कि कुनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद सरकार को सरकारी पैसे से बाहरी चीतों को भारतीय जंगल में छोड़ने की बजाय देसी वन्य जीवन के संरक्षण और उनकी बहाली को प्राथमिकता देने पर विचार करना चाहिए। खबर के अनुसार, कई वन्यजीव वैज्ञानिकों ने महीनों इस परियोजना पर सवाल उठाये थे और दावा किया कि पर्यावरण मंत्रालय ने चीतों को भारत लाने में जल्दबाजी की तथा यह सब पर्याप्त तैयारी के बगैर किया गया और इस तथ्य का ख्याल नहीं रखा गया कि चीतों को बड़ी खुली जगह चाहिए होती है जो देश में कम है। 

हिन्दुस्तान टाइम्स की लीड है, समुद्री तूफान बिपरजॉय गंभीर हुआ, प्रधानमंत्री ने किये गये उपायों का जायजा लिया। अमर उजाला में यह खबर लीड नहीं है पर शीर्षक से बताया गया है कि 15 जून को यह गुजरात तट से टकरा सकता है। नवोदय टाइम्स में यह लीड है और उपशीर्षक में बताया गया है कि पीएम ने समीक्षा बैठक की फोटो में गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा भी दिखाई दे रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में भी यह खबर सेडेंट लीड है। इंट्रो में बताया गया है कि कच्छ, द्वारका से 12,000 से ज्यादा लोगों को ससुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा। इसके साथ चार लाइन में दो कॉलम की खबर और शीर्षक है, “सुनिश्चित कीजिये कि लोगों को सुरक्षित स्थानांतरित कर दिया जाए : प्रधानमंत्री”।          

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।

 


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