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बेग़म की लिखावट देखें। वे लगातार यहां का पुरसाहाल लिखती रहीं। कभी छत से पानी चूता तो कभी कोई आफ़त आन पड़ती, लेकिन सरकार का दिया यह ‘महल’ ही बेग़म और उनके शहज़ादे को प्यारा था।