सरकार बनाने के लिए उग्रवादियों से क़रार का आरोप, पर मणिपुर जला तो ग़ायब!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


आज के अखबारों में भाजपाई राजनीति और उसके प्रभाव से पैदा हुई खबरें भरी पड़ी हैं। और इसी का नतीजा है कि गुजरात में पूर्व सूचना के बाद आने वाले समुद्री तूफान, बिपरजॉय की खबर को महत्व मिल रहा है और कितने लोगों को स्थानांतरत किया गया इसकी सूचना तो दी जा रही है पर मणिपुर में सरकार और प्रशासन की कमजोरी के कारण जो हो रहा वह नहीं बताया जा रहा है या इसे कम महत्व दिया जा रहा है। सरकारी प्रचार या उसकी रणनीति के प्रचार की खबरों में एक है, मानहानि मामले में राहुल, सिद्धरमैया और शिव कुमार को नोटिस। इसके अनुसार, राहुल गांधी को एक और मामले में मानहानि का नोटिस, भाजपा की याचिका पर इन कांग्रेस नेताओं को भी समन। शिकायत में कहा गया है कि कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 5 मई, 2023 को प्रमुख समाचार पत्रों में विधानसभा चुनाव के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें दावा किया गया था कि तत्कालीन भाजपा सरकार 40 प्रतिशत भ्रष्टाचार में लिप्त थी। इसपर भाजपा ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में मानहानि का मामला दायर किया है। उसने समन जारी करने का आदेश दिया है।

अमर उजाला में यह खबर पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में है। पर ऐसी खबरें लीड भी हैं। आइए, सब पर नजर डालें आज की सबसे बड़ी खबर है, मणिपुर में फिर हिंसा भड़की। अब तक के सबसे खूनी दिन 9 मारे गए 10 घायल। पीड़ित एक चर्च बिल्डिंग में थे, 5 अभी तक लापता। (टाइम्स ऑफ इंडिया की लीड) इंडियन एक्सप्रेस के लीड से अतिरिक्त सूचनाएं इस प्रकार हैं, हिंसा शुरू होने के बाद से कम से कम 114 मरे। इंफाल में भाजपाई मंत्री के घर में आग लगाई गई। अखबार ने लिखा है कि मरने वालों की पहचान मैतेई वालंटीयर के रूप में हुई, शव कुकी गांव से बरामद हुए। अखबार ने एक एक्सप्रेस एक्सप्लेन्ड में बताया है, चुनौती यह है कि दोष पुलिस में है, राज्य में (पुलिस के पास) हथियार नहीं हैं (लूट लिये गये थे)। हिन्दुस्तान टाइम्स ने लीड के साथ एक खबर में बताया है और तस्वीर भी छापी है, कि प्रदर्शनकारियों ने सेना, असम राइफल्स के लोगों को प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने नहीं दिया। हिन्दी अखबारों, नवोदय टाइम्स और अमर उजाला दोनों में आज यह खबर पहले पन्ने पर है। 

इसके अलावा सोशल मीडिया पर आरोप है कि भाजपा ने मणिपुर में चुनावों को लेकर कोई सौदा किया था और यह भी कि मणिपुर में पोस्टर लगाये गये हैं जिनमें बताया गया है कि प्रधानमंत्री लापता हैं और अंतिम बार मणिपुर विधानसभा चुनाव की रैली में देखा गया था। खास बात यह है कि इसमें प्रधानमंत्री की फोटो और नाम तो है पर प्रधानमंत्री नहीं लिखा गया है और अंग्रेजी में इस पोस्टर के शीर्षक में लपता से पहले “अभी तक” भी लिखा हुआ है। यही नहीं, कान नाक गले की स्थिति में दृष्टिहीन और बधिर लिखा है। सीना जरूर 56 ईंची लिखा गया है। इन और ऐसी खबरों के बीच देश भर की कुछ खबरें इस सरकार का चाल चरित्र और चेहरा बताने वाली हैं। 

द टेलीग्राफ ने तमिलनाडु के मंत्री की गिरफ्तारी की खबर को लीड बनाया है और बताया है कि गिरफ्तारी रात के दो बजे हुई। खबर यह भी है कि उन्हें सीने में दर्द की शिकायत पर अस्पताल ले जाया गया। टेलीग्राफ के फ्लैग शीर्षक के अनुसार मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि वे डरने वाले नहीं हैं। टेलीग्राफ ने इस खबर का शीर्षक लगाया है, तमिलनाडु के सुरक्षित आश्रय के लिए संघर्ष शुरू। इसके साथ छपी एक खबर का शीर्षक है, (पटना में) विपक्षी दलों की बैठक से पहले सबको जोड़ने वाला एक और कारण (ग्लू)। जाहिर है, सरकार की कार्रवाई या भाजपा की इस चाल पर यह एक नजरिया है और राजनीतिक विश्लेषकों के लिए इसे समझना मुश्किल है। पर तथ्य तो तथ्य हैं। खबर अपनी जगह। 

अखबार की खबर इस प्रकार है, 2024 के आम चुनाव के लिए तमिलनाडु युद्ध के एक प्रमुख मैदान के रूप में उभरा है। प्रवर्तन निदेशालय ने कम से कम आठ साल पुराने भ्रष्टाचार के एक मामले में एक सेवारत मंत्री को गिरफ्तार किया है जबकि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पूरी ताकत से आरोपी मंत्री के साथ खड़े हैं। बुधवार की रात तक, डीएमके सरकार ने राज्य में जांच करने के लिए सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ले ली और पहले ही ऐसा कर चुकी गैर-भाजपा शासित राज्यों की सूची में शामिल हो गई।  ईडी ने चेन्नई में राज्य सचिवालय सहित कई स्थानों पर 18 घंटे तक चली तलाशी और पूछताछ के बाद तमिलनाडु के बिजली और उत्पाद शुल्क मंत्री 47 वर्षीय वी सेंथिल बालाजी को मंगलवार देर रात करीब 2 बजे गिरफ्तार कर लिया।

यह मामला 2011-15 का है जब बालाजी राज्य में परिवहन मंत्री थे और आरोप है गकि तब नकद के बदले नौकरी दी गई थी। बालाजी तब एआईएडीएमके में थे जो अब बीजेपी की सहयोगी है। राज्य में इस समय डीएमके सत्तारूढ़ है और बालाजी अब डीएमके में हैं। मनी-लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रहे ईडी ने अपने कस्टडी पेपर्स में कहा है कि बालाजी और उनकी पत्नी के बैंक खातों में लगभग 1.60 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी जमा की गई थी। मंत्री को 28 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इससे पहले  चेन्नई के प्रमुख जिला और सत्र न्यायाधीश, न्यायमूर्ति अल्ली ने सरकारी ओमंदुरार अस्पताल में अभियुक्त से मुलाकात की और अदालत में दायर ईडी के रिमांड आवेदन पर निर्णय लिया।

मणिपुर में हालत, प्रधानमंत्री के लापता होने के पोस्टर और तमिलनाडु में ईडी की कार्रवाई की इन खबरों के साथ आज अमर उजाला में टॉप पर छह कॉलम की खबर का शीर्षक है, पांच हजार फर्जी कंपनियों के जरिए 30 हजार करोड़ की जीएसटी चोरी। आप समझ सकते हैं कि ये फर्जी कंपनियां कब बनी होंगी और कब चोरी हुई होगी। और बनी तो किस उम्मीद में बनी होगी और अब पकड़ी गई तो क्या कारण हो सकते हैं। खबर के इंट्रो और हाइलाइट के अनुसार, 

– सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों का डाटा चुराकर बनाईं कंपनियां, 

– 16 राज्यों में चल रहा रैकेट पकड़ा, सात लोग गिरफ्तार 

– यूपी, पंजाब-हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र तक धोखाधड़ी 

– पैन और आधार के जरिये 18,000 घपले पकड़े गए 

– 5000 मुखौटा कंपनियां हैं 

– मध्य प्रदेश में 8100 करोड़ की कर चोरी का पर्दाफाश 

– 10 घंटे की कार्रवाई में सीबीआई ने पांच लोगों को घूस लेते पकड़ा

– पकड़े गए इन लोगों में जीएसटी अधीक्षक भी 

उपरोक्त तथ्यों से आप इस घपले का विस्तार और अंदाज समझ सकते हैं। अमर उजाला में नई दिल्ली डेटलाइन से छपी यह खबर एक्सक्लूसिव लगती है लेकिन बाईलाइन नहीं है। अभी यह समझना मुश्किल है कि यह कार्रवाई और उसकी खबर प्रचार के लिए है या सामान्य जांच और उसका नतीजा। अमर उजाला की खबर के अनुसार, भाजपा ने कहा है कि तमिलनाडु के मंत्री की गिरफ्तारी पांच साल की जांच का नतीजा है। मोटे तौर पर आप कह सकते है कि सरकार या सरकारी एजेंसियां पांच साल तमिलनाडु के मामले की जांच कर रही थीं तो बाकी राज्यों में जीएसटी का घपला चल रहा था और इस मामले में कार्रवाई अचानक हो गई। जो भी हो, कार्रवाई हुई और भ्रष्टाचार पकड़ा गया तो अच्छी बात है लेकिन यह चुनाव से पहले ‘प्रचार’ न हो।  

इंडियन एक्सप्रेस में एक खबर मायावती के बारे में है। इसके अनुसार रियल इस्टेट फर्म लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित एक कांपललेक्स में बसपा नेता मायावती के भाई और उनकी पत्नी को 261 फ्लैट गलत ढंग से आवंटित किये गये थे। इसमें फर्जीवाड़ा और कम मूल्य बताने जैसे मामले शामिल हैं और यह जानकारी सीबीआई या ईडी के छापे से नहीं, इंडियन एक्सप्रेस की अपनी जांच से मिली है और खबर कंपनी के निगमन से लेकर उसके दिवालिया होने तक की है। इसमें कथित अनियमितताओं की एक खास शैली प्रकाश में आई है। शीर्षक में बताया गया है कि ये फ्लैट 46 प्रतिशत छूट पर दी गई थी। इस खबर से आप समझ सकते हैं कि सरकार किन मामलों की जांच करवाती है और किनकी नहीं। वैसे यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि इतने बड़े देश के सभी घोटालों की जांच करवाना संभव नहीं है पर सरकारी पैटर्न में कुछ खास हो तो उसकी चर्चा होगी ही और अब वह अखबारों की खबरों में भी दिखने लगा है।   

ऐसी ही खबरों में एक खबर द टेलीग्राफ में भी है। होने को यह ट्वीटर पर भी थी और इससे आप समझ सकते हैं कि सरकार क्यों ट्वीटर पर से खबरें हटवाना चाहती होगी और क्यों कुछ पत्रकारों के हैंडल बंद करने के लिए दबाव डालने का आरोप ट्वीटर के पूर्व सीईओ और संस्थापक जैक डोर्सी ने लगाया होगा। सरकारी स्तर पर ऐसी शिकायतों से कुछ नहीं होता है लेकिन सूचना तो है ही। द टेलीग्राफ की आज की ऐसी खबर का शीर्षक है, मणिपुर में उग्रवादी से चुनावी सौदे की आंच भाजपा पर। गुवाहाटी डेटलाइन से उमानंद जायसवाल की बाइलाइन वाली खबर के अनुसार, मणिपुर के एक कुकी उग्रवादी नेता का दावा है कि भाजपा ने 2019 के आम चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनावों में मदद के लिए उनके संगठन के साथ समझौता किया था। इससे किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करने की सत्तारूढ़ पार्टी की कथित रणनीति का खुलासा हुआ है। 

यह दावा ऐसे समय में सामने आया है जब भाजपा शासित मणिपुर उन झड़पों को रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है जिनमें अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। कुकी नेता और यूनाइटेड कुकी लिबरेशन फ्रंट (यूकेएलएफ) के अध्यक्ष एसएस हाओकिप ने 7 जून, 2019 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे दो पन्नों के पत्र में भाजपा की मदद करने का दावा किया था। यह पत्र एक हफ्ते पहले 8 जून को इंफाल में एक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अदालत में एक हलफनामे के साथ अनुलग्नक के रूप में जमा किया गया था। मामला सरकारी हथियार गायब होने से संबंधित है। हाओकिप  2018 के मामले में आरोपी हैं और 2019 में चार्जशीट किए गए थे। उसने इस आधार पर छूट मांगी है। यह स्पष्ट नहीं है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चार साल पहले किए गए इस प्रत्यावेदन पर कोई कदम उठाया है या नहीं। 

यह दावा सरकारी पारदर्शिता की वजह से नहीं बल्कि एक डिजिटल प्लेटफॉर्म इंडिया टुडे एनई की एक रिपोर्ट के कारण सार्वजनिक हो गया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को समाचार रिपोर्ट को रीट्वीट किया और पोस्ट किया: “यह विस्फोटक है। लंबे समय से जो माना जाता था वह अब श्वेत श्याम में साबित हो गया है। यह उस बात को पुष्ट करता है जो मैं हमेशा से कहता रहा हूं: मणिपुर आज आरएसएस/बीजेपी की राजनीति के कारण जल रहा है।” हाओकिप ने अपने आवेदन में कहा है कि 2017 में राम माधव और “हेमंत बिश्वा सरमा की सहमति के अनुसार”, यूकेएलएफ ने भाजपा उम्मीदवारों को जीतने में मदद की। 

असम में विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि हाओकिप द्वारा वर्णित सरमा हिमंत बिस्वा सरमा हैं, जो इस समय असम के मुख्यमंत्री हैं। उस समय वे नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक थे, जो गैर भाजपा का एक मंच था। बिस्वास सर्बानंद सोनोवाल सरकार में एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री थे। पूर्व कांग्रेस नेता और इन्हीं सरमा को,  पूर्वोत्तर में भाजपा के उभार को आसान बनाने का श्रेय दिया जाता है। वे मई 2021 में असम के मुख्यमंत्री बने। जो अखबार सीआईडी और ईडी की कार्रवाई की खबरें छापते हैं और ऐसे आरोप नहीं छापते हैं उनसे खबरों की आस रखने वाला जनमानस देश में अपने लिए अच्छी या निष्पक्ष सरकार कैसे चुनेगा यह लाख टके का सवाल है पर इसकी चिन्ता किसी को नहीं है। 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।


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