दि ट्रिब्यून में आधार डेटाबेस की सुरक्षा खामियों से जुड़ी एक स्टोरी के प्रकाशन के बाद यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआइडीएआइ) के एक अफसर द्वारा ट्रिब्यून की रिपोर्टर और अखबार पर दर्ज कराई गई एफआइआर पर कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन विमेन प्रेस कोर (IWPC) और प्रेस एसोसिएशन ने सामूहिक रूप से इस कदम की कड़ी निंदा की है।
सोमवार को जारी एक संयुक्त प्रेस वक्तव्य में तीनों संस्थानों ने कहा है कि आइपीसी, आइटी और आधार कानून के तहत दायर की गई एफआइआर खतरनाक है और यूआइडीएआइ के इस दावे के विरोध में है कि ”बायोमीट्रिक सूचना सहित आधार का डेटा पूरी तरह सुरक्षित है।” सवाल उठाया गया है कि अगर डेटा में कोई सेंध ही नहीं लगी, तो फिर किस अपराध के तहत यह एफआइआर की गई है। आखिर रिपोर्टर का अपराध क्या है।
विज्ञप्ति कहती है कि आधार डेटा की खामियों को दुरुस्त करने के बजाय अथॉरिटी उन लोगों को दंडित कर रही है जिनके कृत्य जनहित में दिखाई देते हैं। विज्ञप्ति के अनुसार यह एफआइआर यूआइडीएआइ की गलत प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
वक्तव्य पर दस्तखत करने वाले प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी, आइडब्लूपीसी की अध्यक्ष शोभना जैन और प्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष जयशंकर गुप्त का कहना है कि यूआइडीएआइ का यह कदम स्वतंत्र, निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकारिता के खिलाफ जाता है और अवरोध पैदा करता है व पत्रकारों को धमकाने के उद्देश्य से किया गया है।
वक्तव्य कहता है, ”हम मांग करते हैं कि यह शिकायत और उससे संबद्ध कार्यवाही को तत्काल वापस लिया जाए।”