एक अरब नागरिकों का आधार डेटा मात्र 500 रुपये में लीक, ट्रिब्‍यून का धमाकेदार एक्‍सपोज़

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मार्फन सिन्‍ड्रोम से ग्रसित दिल्‍ली की एक छात्रा एड्या पाल सड़क पर शनिवार को आधार से बाकी सेवाओं को लिंक किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन करती हुई


आपको पूरे देश का आधार डेटा खरीदने के लिए मात्र 500 रुपये अपनी अंटी से निकालने होंगे। अगर आप देश भर के नागरिकों के आधार कार्ड प्रिंट करने की चाहत रखते हों तो इसके लिए अतिरिक्‍त 300 रुपये लगेंगे। फिर आप एक अरब आधार कार्ड के आधार पर जो चाहे वो कर सकते हैं। इस काम में केवल 10 मिनट का वक्‍त लगता है और माना जा रहा है कि एक लाख लोग यह काम अब तक कर चुके हैं यानी एक लाख लोगों के पास एक अरब लोगों की सारी पर्सनल डीटेल है।

दि ट्रिब्‍यून ने 3 जनवरी को यह बेहद खतरनाक खुलासा किया है। पहले से लगातार कहा जा रहा है कि आधार कार्ड बनवाने से निजी सुरक्षा गिरवी हो जाती है लेकिन इसे किसी ने नहीं सुना और सरकार लगातार दावा करती रही कि यह सुरक्षित है। अब दि ट्रिब्‍यून की संवाददाता ने एक खोजी रिपोर्ट में साबित कर डाला है कि इस देश में आधार कार्ड बनवाए एक अरब लोगों के निजी विवरणो की कीमत केवल 500 रुपये है। संवाददाता ने भी उन्‍हीं चैनलों से इसका पता लगाया जिनसे एक लाख लोग अब तक आधार डेटा में सेंध लगा चुके हैं।

वॉट्सएप पर अज्ञात विक्रेता ऐसी सेवाएं सस्‍ते में दे रहे हैं जिसके इस्‍तेमाल से पलक झपकते ही आपके पास एक अरब लोगों का आधार डेटा आ सकता है। टिब्‍यून ने ऐसे ही एक सेवा प्रदाता से संपर्क किया, पेटीएम से उसे 500 रुपये चुकाए और केवल 10 मिनट के भीतर उसे एक लॉगइन आइडी और पासवर्ड दिया गया जिससे वह किसी भी आधार संख्‍या को डाल कर उसका विवरण मंगवा सकता था।

2010 में आधार बिल की जांच करने वाली संसद की विशेष समिति के समक्ष प्रस्‍तुत होने वाले सिटिजंस फोरम फॉर सिविल लिबर्टीज़ के संयोजक गोपाल कृष्‍ण का कहना है कि चूंकि अब डेटा लीक हो गया है, लिहाजा डेटा सुरक्षा कानून का कोई उद्देश्‍य शेष नहीं रह जाता। ऐसे में राज्‍य सरकारों को यूएडीएआइ के साथ किए एमओयू रद्द कर देने चाहिए।

चंडीगढ़ में यूआइडीएआइ के अफसरों ने इस पर आश्‍चर्य ज़ाहिर किया है। ट्रिब्‍यून की पड़ताल बताती है कि इस रैकेट को शुरू हुए छह महीने हो रहे हैं जिसके तहत वॉट्सएप पर कुछ बेनामी समूह बनाए गए। इन समूहों ने तीन लाख से ज्‍यादा ग्रामस्‍तरीय ऑपरेटरों को लक्ष्‍य बनाया जो इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और संचार प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा रखे गए हैं। इन्‍हें आधार डेटा तक पहुंच दी गई।


कवर तस्‍वीर एड्या पाल की जो दिल्‍ली की एक स्‍कूली छात्र हैं जो दुर्लभ बीमारी मार्फन सिन्‍ड्रोम से पीडित हैं। ऐसा व्‍यक्ति आसानी से उंगलियों के निशान और आयरिस स्‍कैन नहीं दे पाता है। पाल ने शनिवार को दिल्‍ली के आइटीओ पर बाकी सेवाओं को आधार से जोड़े जाने के खिलाफ प्रदर्शन किया था।