उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा है कि पंचायत चुनाव में दो से अधिक बच्चों वाले दावेदारों को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने वाले पंचायती राज संशोधन ऐक्ट को लागू करने की कट ऑफ डेट 25 जुलाई 2019 मान्य होगी. मतलब इस तारीख के बाद दो से अधिक बच्चे वाले प्रत्याशी पंचायत चुनाव लड़ने के अयोग्य माने जाएंगे, जबकि 25 जुलाई 2019 से पहले जिनके तीन बच्चे हैं, वह चुनाव लड़ सकते .
Person Having Third Child [After 25.7.2019] Disqualified From Contesting Panchayati Raj Elections: U'Khand HC [Read Judgment] https://t.co/Vfya0TrpAB
— Live Law (@LiveLawIndia) September 21, 2019
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और आलोक वर्मा की संयुक्त खंडपीठ ने इस मामले में 3 सितंबर को सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सरकार के दो बच्चों से अधिक वाले प्रत्याशियों को चुनाव में प्रतिबंधित करने के पंचायत एक्ट के प्रावधान को ग्राम प्रधान संगठन और कांग्रेस से जुड़़े जोत सिंह बिष्ट, पिंकी देवी, मनोहर लाल आर्य, गौसिया रहमान, मोहन प्रसाद काला, कविंद्र ईष्टवाल, राधा कैलाश भट्ट आदि ने पंचायती राज एक्ट में संशोधित अधिनियम के सेक्शन 8(1) आर को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
Uttarakhand HC has held that aspirants with more than 2 children before July25, 2019, are eligible to contest Panchayat polls. The court modified a law framed by state govt, which disqualified parents with more than 2 children to contest panchayat polls. pic.twitter.com/oquT65lK6v
— ANI (@ANI) September 19, 2019
उनका कहना था कि सरकार इस संशोधन को बैकडेट से लागू कर रही है, जबकि प्रावधान लागू करने के लिए तीन सौ दिन का ग्रेस पीरियड दिया जाता है, जो नहीं दिया गया. याचिकाकर्ताओं ने पंचायत प्रतिनिधियों के पद के लिए हाईस्कूल पास होने की शैक्षिक योग्यता को भी चुनौती दी थी. इसके अलावा कहा है कि को-ऑपरेटिव सोसाइटी सदस्य दो से अधिक बच्चे होने की वजह से चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, मगर गांव में प्रत्येक किसी ना किसी कॉपरेटिव सोसाइटी का सदस्य है.
अदालत ने शैक्षिक योग्यता वाले प्रावधान पर कोई टिप्पणी नहीं की है. मतलब शैक्षिक योग्यता को लेकर राज्य सरकार का प्रावधान प्रभावी रहेगा.
हाईकोर्ट ने राज्य में पंचायत चुनाव के लिए सीटों के तय किए गए आरक्षण के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद इसे खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार के स्तर से पंचायतों की आरक्षण प्रक्रिया सही है.
सरकार ने कहा था कि चुनाव अधिसूचना जारी होने के कारण भी जनहित याचिका पर विचार संभव नहीं है और यह निरस्त होने योग्य है. मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष ऊधमसिंह नगर के किच्छा निवासी लाल बहादुर कुशवाहा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
याचिका में पंचायत चुनाव के लिए सरकार के स्तर से 13 और 22 अगस्त को जारी किए गए नोटिफिकेशन को चुनौती देते हुए कहा गया था कि सरकार ने पंचायत चुनाव में आरक्षण व्यवस्था को दो भागों में विभाजित किया है.
संयुक्त पीठ ने 43 पेज के फैसले में सभी बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला है. इसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ समेत अन्य दलीलों पर भी तस्वीर साफ की है. कोर्ट ने फैसले में उप प्रधान चुनाव के लिए अधिनियम में धारा 10 सी की वैधता के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है. अत: यह प्रावधान लागू रहेगा.
उत्तराखंड के 12 जिलों में तीन चरणों में 6 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक पंचायत चुनाव होंगे. राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक, चुनावों के परिणाम 21 अक्टूबर को घोषित होंगे.
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