हल्द्वानी। एक वर्ष पूर्व नैनीताल के पत्रकार की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में न्यायालय ने कालाढूंगी पुलिस को मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच के आदेश दिये हैं। मृतक पत्रकार देवेन्द्र सिंह पटवाल की मां गंगा देवी निवासी गीतांजली विहार, खोड़ा कालोनी, गाजियाबाद द्वारा अपने अधिवक्ता आनंद मिश्रा के माध्यम से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156/3 के तहत न्यायालय सिविल जज (अवर खण्ड) / न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा कुशवाहा, हल्द्वानी की अदालत में शिकायत दर्ज कराते हुये बैलपड़ाव निवासी मुकेश छिम्वाल सहित दस लोगों पर अपने पुत्र की षडयंत्रपूर्वक हत्या कर उसके शव का अन्तिम संस्कार दिल्ली में करने का आरोप लगाया था।
वादिनी का आरोप था कि उसका पुत्र देवेन्द्र पटवाल बीते साल 1 जनवरी को सुनील के साथ बैलपड़ाव निवासी मुकेश छिम्वाल के घर गया था। रात करीब आठ बजे मुकेश ने उन्हें उनके पुत्र की तबियत खराब होने की सूचना देते हुये उनके पुत्र को हल्द्वानी के कृष्णा हास्पिटल में भर्ती बताया था। उनके अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने उन्हें उनके पुत्र की मौत की सूचना दी। इसके बाद आरोपी उनके पुत्र को दिल्ली के चिकित्सक को दिखाने के बहाने उसके पुत्र को बिना पुलिस को सूचित किये दिल्ली ले आये लेकिन दिल्ली में किसी चिकित्सक को दिखाने के बजाये आरोपी उसके पुत्र को उनके गाजियाबाद स्थित निवास पर ले आये, जिसके बाद 2 जनवरी की सुबह आरोपियों ने उन्हें दबाव में लेकर बिना सगे सम्बंधियो की मौजूदगी के और बिना किसी पोस्टमार्टम के उनके पुत्र का दाह संस्कार दिल्ली में कर दिया।
देवेंद्र सिंह पटवाल के मामले में उत्तराखण्ड क्रांति दल ने ऊंचे स्तर पर पैरवी कर के एफआइआर दर्ज करवाने और जांच की गुजारिश की थी लेकिन साल भर तक इसकी सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार दिल्ली में पटियाला हाउस के अधिवक्ता आनंद मिश्र ने कुछ पत्रकारों द्वारा सूचित किए जाने पर इस मामले को अपने हाथ में लेकर हलद्वानी की अदालत में अर्जी लगाई।
इस संबंध में बीते सितम्बर दिल्ली में ‘’पत्रकारों पर हमले के खिलाफ समिति’’ (सीएएजे) द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में देवेंद्र पटवाल के मामले को जोरशोर से उठाया गया जहां गंगा देवी ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख की अध्यक्षता में करीब चार सौ पत्रकारों के समक्ष अपनी आपबीती सुनाई। कई मीडिया में देवेंद्र पटवाल की स्टोरी भी आई जिससे संदिग्ध परिस्थितियों में हुई इस मौत को लेकर उत्तराखण्ड के पत्रकारों में नए सिरे से हलचल पैदा हुई।
आखिरकार साल भर बाद न्यायालय ने वादिनी के शपथ पत्र तथा कालाढूंंगी के उपनिरीक्षक सुनील जोशी की प्रेषित आख्या व न्यायालय को उपलब्ध कराये गये अन्य साक्षी दस्तावेजो के आधार पर मामले को गम्भीर श्रेणी का मानते हुये मामले की सघन जांच के लिये मुकदमा पंजीकृत कर मामले की जांच के निर्देश दे दिये।
न्यायालय ने प्रभारी निरीक्षक कालाढूंगी को मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच के आदेश देते हुये आदेश की एक प्रति एसएसपी को भी सूचनार्थ भिजवाने के निर्देश दिये हैं। इस बाबत कालाढूंगी थाने के थानाध्यक्ष नरेश चौहान ने बताया कि उन्हें अभी तक न्यायालय का आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। जैसे ही न्यायालय का आदेश मिलेगा वैसे ही न्यायालय के आदेशानुसार कार्यवाही की जायेगी।