लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत और तमाम विपक्षी पार्टियों ऐतिहासिक हार ने मानसिक तौर पर उन्हें इस कदर बेचैन कर दिया और पार्टी के भीतर इस कदर खलबली मचा दी है कि वे क्या करें उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है.
एक तरह जहाँ कांग्रेस में राहुल गाँधी को बचाने के लिए प्रदेश प्रभारियों ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़ा देना शुरू कर दिया वहीं सपा-बसपा के महागठबंधन के अखिलेश यादव ने निराशाजनक हार के बाद पार्टी के सभी प्रवक्ताओं का मनोनयन तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरूवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए एक पत्र जारी करते हुए पार्टी के सभी प्रवक्ताओं हटा दिया है. पार्टी की ओर से मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी द्वारा लेटर हेड पर जारी पत्र में इलेक्ट्रानिक मीडिया के तमाम ब्यूरो चीफ़ को संबोधित करते हुए लिखा है कि पार्टी के सभी प्रवक्ताओं का मनोनयन तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है.
Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav dismisses the nomination of all the panelists of the party, and asks the media houses to not invite any SP office-bearer for debates. pic.twitter.com/CRK60X6Exh
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 24, 2019
इस पत्र में आगे लिखा है कि -आपसे अनुरोध है कि समाजवादी पार्टी के किसी भी पदाधिकारी को अपने पैनेल में समाजवादी पार्टी का पक्ष रखने के लिए परिचर्चा में समिल्लित होने के लिए कृपया आमंत्रित न करने का कष्ट करें .
पत्र की प्रतिलिपि सभी प्रवक्ता्ओं को भी भेजी गई है. गौरतलब है कि 27 अगस्त 2018 को पार्टी ने 2 दर्जन प्रवक्ताओं की भारी-भरकम टीम बनाई थी.
इसमें राजीव राय, जूही सिंह, नावेद सिद्दीकी, जगदेव सिंह यादव, उदयवीर सिंह, घनश्याम तिवारी, सुनील सिंह यादव, संजय लाठर, सैय्यद अब्बास अली उर्फ रूश्दी मियां, राजपाल कश्यप, वंदना सिंह, शवेंद्र विक्रम सिंह, नासिर सलीम, अनुराग भदौरिया, अब्दुल हफीज गांधी, पवन पांडेय, प्रोफेसर अली खान, निधि यादव, राजकुमार भाटी, ऋचा सिंह, मनोज राय धुपचंडी, जितेंद्र उर्फ जीतू, फैजान अली किदवई और राम प्रताप सिंह शामिल थे.
गौरतलब है कि इस लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और मायावती की बसपा तथा राष्ट्रीय लोकदल में गठबंधन हुआ था.
अखिलेश -मायावती को बुआ-भतीजा के नाम से पुकारा गया. वहीं नरेंद्र मोदी अपने चुनाव प्रचार के दौरान लगातर इन पर हमला करते हुए महागठबंधन को महामिलावट कह कर हमला करते रहें.
गौरतलब है कि 2014 में पार्टी ने परिवार के भीतर पांच सीटों पर जीत हासिल की थी और पिछले साल आठ सीटों तक की बढ़त हासिल की थी जब गोरखपुर, फूलपुर और कैराना के उपचुनाव में सपा को जीत हासिल हुई थी.
किन्तु अभी ख़त्म हुए 2019 के इस लोकसभा चुनाव में सपा को बड़ा झटका लगा है. परिवार के तीन सदस्य जिनमें अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव, धमेंद्र यादव और अक्षय यादव को हार का मुह देखना पड़ा. ये तीनों 16वीं लोकसभा के सदस्य थे.
17 वीं लोकसभा चुनाव में सपा पांच सीटों के साथ वापस आई, जिनमें से पार्टी ने परिवार के लिए दो सीटों पर जीत हासिल की. मुलायम सिंह को मैनपुरी और आजमगढ़ में अखिलेख यादव को जीत हासिल हुई. जीतने वाले तीन अन्य उम्मीदवार आजम खान रामपुर में, शफीकुर्रहमान बर्क संभल में और एस.टी.हसन मुरादाबाद में जीते. परिवार के बाहर ये सभी तीन उम्मीदवार मुस्लिम हैं.
बता दें कि 16 लोकसभा में संसद के आखिरी दिन मुलायम सिंह यादव ने ही नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री के रूप में देखने की इच्छा प्रकट की थी.
द्वापर युग में पिता के वचन के कारण राम को बनवास जाना पड़ा था और 21 वीं सदी में अखिलेश ने अपने प्रवक्ताओं को निकाल दिया.