उत्तराखंड हाई कोर्ट ने मातृत्व लाभ अधिनियम को लेकर बड़ा फैसला दिया है. 17 सितम्बर को हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अपील स्वीकार करते हुए एकलपीठ का महिलाओं को तीसरे बच्चे में भी मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत अवकाश देने के आदेश को निरस्त कर दिया है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य की सेवाओं में कार्यरत महिलाओं को तीसरा बच्चा होने पर मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत अवकाश नहीं मिलेगा.
No Maternity Leaves For Employees Having Two Or More Living Children: Uttarakhand HC Upholds Rule[Read Order] https://t.co/rqjwju7pWw
— Live Law (@LiveLawIndia) September 19, 2019
दरअसल, हल्द्वानी निवासी नर्स उर्मिला मसीह को तीसरी संतान पर मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत लाभ नहीं दिया गया तो उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में नियमों का हवाला देते हुए नर्स ने कहा कि सरकार का नियम संविधान के अनुच्छेद-42 के मूल-153 तथा मातृत्व लाभ अधिनियम की धारा-27 का उल्लंघन करता है.
2018 में एकलपीठ ने इस अधिनियम को अवैधानिक घोषित कर दिया था. यानी तीसरी संतान होने पर भी मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत अवकाश का लाभ मिलने लगा था.
एकलपीठ के इस आदेश को सरकार ने विशेष अपील दायर कर चुनौती दी. मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सरकार की ओर से सीएससी परेश त्रिपाठी ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद-42 भाग चार अर्थात नीति निर्देशक तत्वों में शामिल है, जिसको लागू करने के लिए याचिका दायर नहीं की जा सकती. खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार की विशेष अपील स्वीकार करते हुए एकलपीठ का आदेश निरस्त कर दिया.
कोर्ट के इस फैसले के बाद प्रदेश सरकार की सेवा में कार्यरत महिलाओं को दो बच्चों के बाद मातृत्व लाभ अधिनियम के प्राविधानों के तहत अवकाश का लाभ नहीं मिलेगा.