संविधािन में अंतरिम बजट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। बस वोट ऑन अकाउंट होता है।
जागरण की सूत्रों वाली पत्रकारिता के कारण भ्रम है और मजेदार यह है कि ‘सूत्र’ जागरण का होता तो मैं भी उसके सूत्रों की खबरों के आधार पर अटकल लगाता। लेकिन इस बार…
सिर्फ प्रचार पर ही ख़त्म कर दिया गया ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का 56 फीसदी बजट
आज नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती पर भी गाँधीजी के साथ उनके आपसी संबंधों पर चर्चा करना इसीलिए जरूरी है कि जब तक लोगों के दिमाग में भर दिया गया कचरा निकाला नहीं…
देश के भीतर का सिस्टम या तो पूंजी पर जा टिका है या पूंजीपतियो पर, जो सत्ता को भी गढ़ते हैं और सत्ता के जरिये खुद को भी। फिर सियासत डगमगाने लगे तो…
'वोटर और रिजल्ट के बीच टेक्नोलॉजी पर निर्भर करना असंवैधानिक है'- यह सिध्दांत जर्मनी की कोर्ट ने ईवीएम के इस्तेमाल के सुनवाई करते समय निर्धारित किया था
वामपंथी दलों का कहना है कि राज्य में साम्प्रदायिक सौहार्द में बिगाड़ और भाजपा के उभार के लिए टीएमसी जिम्मेवार है।
जागरण की खबर में कुछ तथ्यात्मक गलतियां हैं। जैसे हैकर ने श्रेय नहीं लिया, उसने बताया कि चुनाव कब हैक किए गए थे और कब नहीं। संभवतः वह भी पूछने पर।
महत्ता तभी होगी जब आप सत्ता केन्द्रित सियासत के साझीदार बन जायें। वरना आप हो कर भी कही नहीं हैं।
नवोदय टाइम्स का शीर्षक, "भारत अब कमजोर देश नहीं" किसी विदेशी अखबार का लगता है।
राहुल गांधी के खिलाफ सोशल मीडिया पर जिस तरह फर्जी अभियान चलता है (हाल में दुबई के आयोजन को लेकर भी चला) उससे लगता है कि नाम जानने का जोर ऐसे ही अभियान…
रफाल पर नई जानकारी गोल, हिन्दी में पहले पन्ने लायक तो नहीं !!
ऐसा लगता है कि बीजेपी की सरकार रहते कुंभ में पत्रकारों का पिटना कोई रस्म बन गई है।
अजीत डोभाल और उनके बेटों की ‘डी कंपनी’ का करनामा किसी अखबार में दिखा?
अमित शाह का एक मामले में बरी होना संदेह से परे नहीं है लेकिन उसपर नेता बयान नहीं देता तो वह खबर नहीं बनती है
रोजा लक्जमबर्ग की आज से कोई 100 साल पहले 15 जनवरी 1919 को हत्या कर दी गई थी
रथयात्रा की अनुमति नहीं मिली तो जागरण ने छापा, “भाजपा को बंगाल में रैलियों की मंजूरी, रथयात्रा में पेंच”
सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस के साथ नहीं रहने से जो त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला होगा उसके कारण भाजपा को और भी ज्यादा नुकसान होगा।
टेलीग्राफ की आज की लीड का शीर्षक है- “डरावनी संक्रांति”.. उपशीर्षक, “हमारी मातृभूमि के ‘राष्ट्रद्रोही’ विलेन और देशभक्त ‘हीरो’'' है
'हम इंतजामिया और आइडियोलॉजी में फ़र्क नहीं कर रहे हैं. रूस में जो हारा है, वह मैनेजमेंट हारा है, आइडियोलॉजी नहीं हारी है।'
संजय कुमार सिंह सोशल मीडिया की खबरें आमतौर पर अखबारों में नहीं आतीं। लेकिन आज एक खबर कई अखबारों में प्रमुखता से है। खबर है, “जस्टिस एके सीकरी ने ठुकराया सरकार का प्रस्ताव,…
उज्ज्वल भट्टाचार्य के साप्ताहिक स्तंभ का सतरहवां अध्याय
गढ़वाली बोलती दादी के लजाने और हंसने के बीच रैप संगीत के धड़ाके से खुलने का मजा है
प्रतिपक्ष के संपादक जार्ज फर्नाडीस ने इसे अपनी इस संपादकीय टिप्पणी के साथ प्रकाशित किया था : ‘‘ लेखक आरएसएस के जानेमाने नीति निर्धारक एवं विचारक हैं।
अभी जो नियुक्त होगा वही, 2019 में भाजपा सरकार अगर वापस सत्ता में नहीं आई तो उसकी जांच करेगा