सोशल मीडिया पर छायी किसान आंदोलन की गतिविधियों को देखते हुए एक दृश्य पर मेरी नज़रें बरबस ठहर गई हैं। दृश्य है कि किसान संघर्ष के बीच साथ आये बच्चों और आस -पास…
नए वर्ष में भी भाजपा सरकारों ने समाज को ऐसे कानूनों का तोहफा देने की जिद नहीं छोड़ी है जिनकी सम्बंधित तबकों को जरूरत नहीं है| स्वयं नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र…
हनुमान बेनीवाल की राजस्थान आधारित राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने गत शनिवार को यह कहते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रभुत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन {राजग} छोड़ दिया कि नरेंद्र मोदी सरकार को किसानों…
मीडिया विजिल के लिए, अवनि बंसल ने दिल्ली-जयपुर हाईवे पर अनशन पर बैठे योगेंद्र यादव से रैपिड फ़ायर अंदाज़ में वो सारे सवाल, बिना लाग-लपेट के पूछ लिए, जो आपके मन में हो…
1977 की बात है। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इमर्जेंसी को ‘फूलती-फलती’ देखा तो अपनी संभावनाएं उजली समझ लोकसभा चुनाव कराने की ‘गलती’ कर बैठीं। कहते हैं कि उन्होंने इस बाबत खुफिया…
नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति बिद्या भण्डारी ने वहां की संसद, राष्ट्रीय पंचायत के निर्वाचित सदन को भंग कर मध्यावधि चुनाव कराने का आदेश दे दिया है.…
दिल्ली दंगे के अभियुक्तों के वकील और ऐसे 80 लोगों को जमानत दिलाने वाले महमूद प्राचा पर दिल्ली पुलिस के छापे को वकीलों के संगठन, बार कौंसिल ऑफ दिल्ली ने बहुत गंभीर मसला…
अखबार पढ़ने और देखने का मजा उसी दिन होता है जिस दिन कोई बहुत बड़ी खबर न हो। टेलीविजन के बाद तकनीक और सोशल मीडिया ने ऐसे हालात बना दिए हैं कि सुबह…
इन जाड़ों में एक शब्द बार-बार राजनीतिक रूप से इस्तेमाल हो रहा है- भ्रमित| राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पर घेरा डालने को आतुर किसान आन्दोलन के सन्दर्भ में, दोनों और से| प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी…
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने पिछले दिनों भारत में टू मच डेमोक्रेसी (बहुत ज़्यादा लोकतंत्र) पर चिंता जतायी थी। इस बहुत ज्यादा लोकतंत्र में सीएए जैसा कानून बना, क्रोनोलॉजी समझाई गई,…
ओमप्रकाश कश्यप प्रथम दृष्टया उनके बीच कोई साम्य नहीं था। पहला गांधी और गांधीवाद का कटु आलोचक था, दूसरा उनके प्रति पूरी तरह समर्पित। पहले को लेकर गांधी लगभग मौन साधे रहे। दूसरे…
उर्दू के आला अदीब, पद्मश्री शम्सुर्रहमान फारूक़ी का दिल्ली के फोर्टिस से इलाज करवा कर, इलाहाबाद लौटने के हफ्ते भर बाद ही इंतक़ाल हो गया। शम्सुर्रहमान को उर्दू साहित्य का टीएस इलियट कहा…
क्रान्ति और प्रतिक्रान्ति का दौर भारतीय राजनीति में 1990 का दशक सामाजिक न्याय और सामाजिक परिवर्तन का दशक माना जायेगा, क्योंकि इसी दशक में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू हुईं और…
भले ही अब बीजेपी ‘पार्टी विद डिफरेंस’ नहीं रह गई हो लेकिन उसके पास कई ऐसे हुनर अब भी हैं, जो उसकी विरोधी पार्टियों को नहीं आते। यहां हम उसके बिना चुनाव जीते…
सम्पूर्ण क्रान्ति का युग सत्तर के दशक को महत्वपूर्ण राजनैतिक आन्दोलनों के लिये जाना जाता है। इस युग में दलित राजनीति का कोई उल्लेखनीय विकास नहीं हुआ। पर आम चुनावों में जगजीवन…
बिहार चुनाव 2020 में जो नहीं हो सका वो बंगाल विधान सभा के आने वाले चुनाव में हो जाये तो भारत में चुनावों पर और खास कर लोक सभा चुनाव 2014 के बाद…
स्वातंत्रोत्तर दलित राजनीति स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद दलित राजनीति में कोई क्रान्तिकारी विकास नहीं हुआ। स्वतन्त्र भारत में काँग्रेस सत्तारूढ़ हुई और उसी ने दलितों का नेतृत्व किया। दलितों के लिये…
जिस तरह डा. आंबेडकर कम्यूनल अवार्ड में दलित वर्गों को एक पृथक अल्पसंख्यक वर्ग के रूप में मान्यता दिलाने में कामयाब हो गये थे, वह गाँधी के लिये इसीलिये ज्यादा चिंताजनक था कि…
कृषि मंत्री के इस बयान से कि "यदि क़ानून वापस ले लिए गए, तो सरकार से कारपोरेट का भरोसा उठ जाएगा।", स्पष्ट है कि भारत के लोकतंत्र को कुछ कार्पोरेट्स के हितों के…
अरुण शौरी के नेतृत्व में राजीव गांधी के खिलाफ अभियान चलाने और बोफर्स का हौव्वा खड़ा करने वाले इंडियन एक्सप्रेस समूह ने तब अपनी छवि सत्ता विरोधी होने की बनाई थी। तब की…
देश के कथित मुख्यधारा मीडिया में अचानक बंगाल छाने लगा है। रोज़ कोई न कोई केंद्रीय मंत्री या बीजेपी का बड़ा नेता बंगाल फतेह करने के अंदाज़ में पश्चिम बंगाल पहुँचता है और…
यह लेख 2017 में मीडिया विजिल में प्रकाशित हुआ था, पर जिस तरह से लगातार बीजेपी-आरएसएस की ओर से नेहरू-पटेल विवाद को हवा दी जाती है, या पटेल के पहले प्रधानमंत्री न बन…
भारतीय जनता पार्टी की माननीय सांसद प्रज्ञा ठाकुर का ताज़ा उवाच है,”शूद्र को शूद्र कहे दो , बुरा लग जाता है। कारण क्या है ? क्योंकि न समझी , समझ नहीं पाते।” इससे…
1942 से 1946 तक भारत में वायसराय की कार्यकारणी के श्रम सदस्य रहते डा0 अम्बेडकर ने औद्योगिक विवाद अधिनियम का निर्माण किया जो 1947 से लागू है। इस महत्वपूर्ण कानून की आत्मा को…
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनडीटीवी की एक खबर को ‘फेकन्यूज’ कह दिया और पत्रकारिता पर ज्ञान देने वाले जानकारों ने एनडीटीवी को खूब भला-बुरा कहा। अगर मेरी याद्दाश्त सही है तो ऐसा पहले भी…