लखीमपुर केस: SC ने योगी सरकार को फिर लगाई फटकार, देर रात तक किया स्टेटस रिपोर्ट का इंतजार!

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उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में एक बार फिर योगी सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने में देरी पर यूपी सरकार को जमकर फटकारा और कहा की यूपी सरकार अपना काम करने से बच रही है।

पिछली सुनवाई में साफ कहा था एक दिन पहले स्टेटस रिपोर्ट मिलनी चाहिए: SC

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट में बताया कि सील बंद लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी गई है। शीर्ष अदालत ने सरकार की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे से कहा कि कोर्ट ने देर रात तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल होने का इंतजार किया लेकिन रिर्पोट नहीं मिली। हमें अब अंतिम समय में आपकी स्थिति रिपोर्ट मिली है। जबकि पिछली सुनवाई के दौरान हमने आपको साफ तौर पर कहा था कि हमें कम से कम एक दिन पहले स्टेटस रिपोर्ट मिल जानी चाहिए। बता दें कि कोर्ट ने इस दौरान सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए टालने की यूपी सरकार की मांग भी खारिज कर दी।

सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दें: यूपी सरकार

लखीमपुर मामले में चल रही सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे को रिपोर्ट में देरी होने पर पटाकार लगाई तब जवाब में यूपी सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि हमने प्रगति रिपोर्ट दाखिल की है। आप मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दें, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई टालने से साफ तौर पर इनकार कर दिया। CJI एनवी रमन्ना ने कहा, ‘इतनी देर से आप रिपोर्ट जमा करेंगे तो हम इसे कैसे पढ़ेंगे? कम से कम एक दिन पहले दाखिल किया जाना चाहिए।

 

अपना काम करने से बच रही यूपी सरकार: SC

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यूपी सरकार अपना काम करने से बच रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर यह सवाल उठाया कि यूपी सरकार ने अभी तक इस मामले में और लोगों से पूछताछ क्यों नहीं की। चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने यूपी सरकार से पूछा कि “आपने अब तक 164 में से 44 लोगों की गवाही ली है, बाकी लोगों की क्यों नहीं?” इस पर साल्वे ने जवाब दिया कि प्रक्रिया जारी है और सभी मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। मंत्री पुत्र को आशीष मिश्रा भी गिरफ्तार कर लिया गया है। साल्वे ने कहा कि दो अपराध हैं। एक मामला किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का और दूसरा लिंचिंग का है। पहले मामले में दस लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, जबकि चार आरोपी पुलिस की हिरासत में हैं।

सभी पुलिस हिरासत में क्यों नहीं: SC

मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि कुछ लोग न्यायिक हिरासत में और कुछ पुलिस हिरासत में क्यों हैं? सभी पुलिस हिरासत में क्यों नहीं? इस पर यूपी सरकार की ओर से बताया गया है कि चार आरोपी पुलिस हिरासत में हैं और छह आरोपी जो पहले पुलिस हिरासत में थे, अब न्यायिक हिरासत में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 164 गवाहों और पीड़ितों के बयान जल्द से जल्द दर्ज किए जाएं। साथ ही गवाहों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा जाए। इसी के साथ कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हत्याकांड की अगली सुनवाई 26 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यूपी सरकार के रवैये पर उठाए थे सवाल..

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए लखीमपुर मामले में सुनवाई शुरू की थी। पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के रवैये पर सवाल उठे थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हत्या के आरोप में मामला दर्ज होने के बाद भी आशीष मिश्रा को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया था? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा था कि क्या किसी आम नागरिक के साथ भी यही रवैया अपनाया जाएगा?


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