हिन्दी के ज्यादातर अख़बार लोकतंत्र के मंदिर के पास पुलिसिया पूजा की खबर पी गए!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


लोकतंत्र के नए मंदिर के उद्घाटन और पास ही पहलवाने की पुलिसिया पूजा की खबर साथ-साथ

आज ही उज्जैन की आंधी में मूर्तियां टूट जाने के साथ मणिपुर हिंसा में सरकारी सहायता का आरोप भी

और पहलवानों के प्रदर्शन की जगह को इस ‘ऐतिहासिक दिन’ साफ कर दिया गया

आज के अखबारों में विपक्ष की अनुपस्थिति में लोकतंत्र के नए मंदिर के उद्घाटन की खबर तो है। साथ में उज्जैन में तेज आंधी के कारण दो लोगों की मौत और महाकाल लोक की छह मूर्तियां टूट जाने की खबर भी है। कहने की जरूरत नहीं है कि इसमें धर्म के साथ भ्रष्टाचार का भी मामला पर उसकी चर्चा शायद बाद में होगी या संभव है हो ही नहीं। इससे महत्वपूर्ण खबर यह है कि कल ही महीनों से न्याय मांग रही महिला पहलवानों की पुलिसिया पूजा भी हुई। उनके धरना स्थल को साफ कर दिया गया और इस तरह लोकतंत्र के मंदिर में पुलिस ने अनूठा चढ़ावा भी चढ़ाया। इसकी खबर अंग्रेजी के अखबारों में तो है पर हिन्दी के जो अखबार मैंने देखे उनमें नहीं है। अमर उजाला में पहले पन्ने पर विज्ञापन नहीं है फिर भी पुलिसया पूजा की खबर नहीं है। दूसरी ओर, नवोदय टाइम्स में पहले पन्ने पर आधा विज्ञापन है और खबर नहीं है। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया में आधा पेज विज्ञापन के बावजूद महिला पहलवानों की पुलिसिया पूजा की खबर फोटो के साथ है। नवोदय टाइम्स ने इस खबर को दिल्ली के खबरों की पेज पर जगह दी है। फोटो भी हैं लेकिन शीर्षक है, ‘जंतर मंतर पर महादंगल’। 

महिला पहलवानों ने नए संसद भवन के पास धरना देने की घोषणा कर रखी थी और पुलिस ने उन्हें वहां पहुंचने से रोकने की पूरी तैयारी पहले ही रखी थी। महिला पहलवानों ने कह रखा था कि वे जाएंगी और पूरी सतर्कता बरतेंगी की हिन्सा न हो। इस तरह कल यह साफ हो गया कि ऐसे मौकों पर बाहरी लोगों से हिन्सा कराने या उन्हें करने देने की पुलिसिया कोशिश यहां कामयाब नहीं हो रही है। लेकिन जब पहले से एलान था तो मीडिया को तैयारी रखनी चाहिए थी और ईंट-गारे की दूसरी ताबूत जैसी इमारत को अगर वह लोकतंत्र का नया मंदिर कह रहा है तो नए मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर जो दिखा और हुआ उसकी खबर भी कायदे से होनी चाहिए थी। पर कल की रिपोर्टिंग में यह तैयारी नहीं थी और यह कइयों की राय है। लोकतंत्र ने नए मंदिर के बाहर न्याय पाने के लिए धरना देने वाली देश की सम्मानित महिला पहलवानों से जबरदस्ती मंदिर के उदघाटन के बाद की स्थिति है पर उसे कवर नहीं किया गया। यह मंदिर पहले वाले भवन की तरह बलात्कार के आरोपी और अपराधियों के लिए नहीं होगा और उसके संरक्षक के लिए ही है तो इसमें बड़ी बात क्या है? पर यह सब खबर नहीं है।   

आज हिन्दुस्तान अखबार में भी आधे पन्ने का विज्ञापन है और महिला पहलवानों की पुलिसिया पूजा की खबर पहले पन्ने पर नहीं है जबकि ‘कुछ अलग’ कहकर नए संसद भवन के निर्माण में योगदान करने वाले 11 श्रमिकों को सम्मानित करने की खबर पहले पन्ने पर फोटो के साथ है। उज्जैन की खबर तो बहुत दूर की बात है। लोकतंत्र के मंदिर के उद्घाटन के साथ कल के उद्घाटन की तैयारियों के क्रम में दिल्ली सीमा पर भी सघन चौकसी थी और इस कारण लंबा जाम लगा। यह भी खबर है और कहने का मतलब है कि मंदिर का उद्घाटन भले हो गया पर अखबारों ने नहीं बताया पर विध्न-बाधाओं से मुक्त नहीं था और महिला पहलवानों को न्याय नहीं मिल रहा है तो यह मंदिर किस काम का? इसका पता इस बात से भी चलता है कि अंग्रेजी के मेरे पांचों अखबारों में महिला पहलवानों की पुलिसिया पूजा की खबर पहले पन्ने पर प्रमुखता से है।   

द टेलीग्राफ ने बताया ईसापूर्व 2023 जैसी स्थिति 

हमेशा की तरह द टेलीग्राफ सबसे अलग है। इसका शीर्षक है, 14 अगस्त 1947 : हमें स्वतंत्र भारत को एक शानदार देश (प्रासाद) बनाना है जहां उसके सभी लोग रह सकें : जवाहर लाल नेहरू। 28 मई 2023 : क्या यह वही शानदार प्रासाद है जिसका सपना हमने देखा था? मुख्य शीर्षक है, ईसा पूर्व 2023 (मतलब यही कि हम प्रगति की बजाय पीछे जा रहे हैं और बहुत पीछे जा चुके हैं। इस शीर्षक और फोटो के साथ दो खबरें हैं। इनके शीर्षक हैं, एक आस्था की सर्वोच्चता और भाषण कला के बाद दमन। इसके बाद महिला पहलवानों के साथ पुलिसिया ज्यादती की खबर फोटो के साथ दो कॉलम में है। इसका शीर्षक है, मंदिर के पास अपवित्र (काम) किया जाना। द टेलीग्राफ में मणिपुर में आग जलते रहने की साजिश का जिक्र किया है और सिंगल कॉलम की खबर का शीर्षक है, “साजिश’ जो मणिपुर की आग को जारी रखे हुए है।   

हिन्दुस्तान टाइम्स में मणिपुर में फिर से हिंसा भड़कने की खबर पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर है। है। शीर्षक है, मणिपुर में फिर हिंसा, मुख्यमंत्री ने कहा है कि 40 आतंकवादी मारे गए हैं। पहलवानों को रोके जाने की खबर मणिपुर की खबर के नीचे है पर फोटो नहीं है। नए भवन के उद्घाटन की खबर पहले पन्ने पर है और इसका शीर्षक है, लोकतंत्र का दिल एक नए घर में धड़कता है। पहले पन्ने की खबरों में वीर सावरकर को उनके जन्म दिन पर श्रद्धांजलि देने और राष्ट्रपति की खुशी कि प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया जैसी खबर हैं। इसके साथ दो कॉलम की एक खबर में बताा गया है कि विपक्ष ने उद्घाटन का बायकाट करने के बाद सरकार पर हमले में वृद्धि की। मजदूरों का सम्मान करने की खबर यहां भी पहले पन्ने पर है और ऐसा लग रहा है जैसे कैसे छापना है इसका निर्देश भी दिया गया हो। 

टाइम्स ऑफ इंडिया में भी खबरें वैसे ही हैं। राष्ट्रपति का बयान उनकी तस्वीर के साथ है और बताया गया है कि उद्घाटन से संबंधित विवाद को लेकर राष्ट्रपति ने कहा है कि मोदी जनता की पसंद हैं। मुख्य खबर के साथ शरद पवार का एक बयान भी खबर है। इसमें उन्होंने कहा है कि धार्मिक अनुष्ठान से देश पीछे चला गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने मूल खबर के साथ एक और खबर छापी है। इसका शीर्षक है, भाजपा ने कहा – राजद के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाए। दरअसल राजद न कहा है कि नया भवन ताबूत जैसा लग रहा है और सुशील मोदी ने कहा है कि इसके लिए पार्टी के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए। 

द हिन्दू में सीधा सरल शीर्षक है, भारत को नया संसद भवन मिला। प्रधानमंत्री ने कहा, यह अपेक्षाओं का प्रतीक है और जो अपेक्षा पूरी नहीं हुई वह यह कि पहलवानों की कल भी नहीं सुनी गई। पुलिसिया पूजा हुई सो अलग। मुख्य खबर के साथ विपक्ष का एक आरोप है, खुद को गौरवान्वित करने का एक आयोजन। द हिन्दू में मणिपुर की खबर पांच कॉलम में है और मुख्यमंत्री के हवाले से बताया गया है कि मुठभेड़ में 40 अतिवादी मारे जा चुके हैं। अखबार में इस खबर के साथ असम के मुख्मंत्री का बयान है, मणिपुर में केंद बेहद निष्पक्ष है। मुझे याद आता है कि कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान कहा गया था कि कांग्रेस सत्ता में आई तो वहां दंगे हों और तब यह कहा गया था कि भाजपा ऐसा कह रही है तो इसका मतलब है कि वह विपक्ष शासित राज्यों में दंगे करवाती है। मुझे याद नहीं आता है कि किसी राज्य में दंगे के समय किसी भाजपा नेता ने कहा हो कि केन्द्र सरकार या भाजपा निष्पक्ष है। भाजपा को इस समय ऐसा क्यों कहना पड़ रहा है? वह भी तब जब वहां भाजपा की सरकार है और हिंसा थम नहीं रही है तथा केंद्रीय गृहमंत्री कह चुके हैं कि अदालत के फैसले के कारण हिन्सा हुई और यह नहीं माना कि सरकार हिंसा पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है। 

वास्तविकता यही है और द टेलीग्राफ ने लिखा है कि राज्य में तथा अन्य जगहों पर कई लोगों ने हिंसा के मौजूदा दौर में एक नए पैटर्न का संकेत दिया है। इसके अनुसार,  दशकों के जातीय संघर्ष ने राज्य में एक सांप्रदायिक संघर्ष का रूप ले लिया है तथा इसे कथित तौर पर मेइती संगठनों ने बढ़ावा दिया है जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें राज्य में संरक्षण हासिल है। हिंसा की एक खास बात यह रही है कि कुकी गिरजाघरों को  बड़े पैमाने पर जलाया गया है। इसका आरोप मुख्य रूप से हिंदू मेइती समुदाय पर है जो पहले से सरकारी तंत्र पर हावी है। कुल मिलाकर, मैतेई, जिनमें कुछ ईसाई और मुसलमान शामिल हैं, मणिपुर की आबादी का 53 प्रतिशत हैं। मणिपुर में कुकी चर्च के नेता रेवरेंड डॉ जैकी सिमटे ने रविवार को इस अखबार को बताया, “3 मई से, मेइती समुदाय चर्चों को जला रहा है, जो मणिपुर में अभूतपूर्व है।” खबर में आगे कहा गया है, “250 से अधिक गिरजाघरों को जला दिया गया है। आज भी, कुछ मेइती सुगनू गांव में कुकी घरों को जलाने गए और उन्होंने चर्च में आग लगा दी।”

इंडियन एक्सप्रेस के लिए तारीख महत्वपूर्ण 

नए संसद भवन के उद्घाटन की तारीख 28 मई 2023 भाजपा नेताओं के आदर्श, हिंदुत्व विचारक वीडी सावरकर की जन्म तिथि भी है। उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके व्यक्तित्व में ताकत थी और उनका निडर स्वभाव गुलामी की मानसिकता को बर्दाश्त नहीं कर सकता था। हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित सिंगल कॉलम की खबर के अनुसार, 101वें मन की बात के दौरान सावरकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मोदी ने कहा, “उनके बलिदान, साहस और संकल्प से जुड़ी कहानियां आज भी हम सभी को प्रेरित करती हैं। मैं उस दिन को नहीं भूल सकता जब मैं अंडमान में उस सेल में गया था जहां वीर सावरकर ने ‘काला पानी’ की सजा काटी थी।

इंडियन एक्सप्रेस में यह तारीख ही शीर्षक है। फ्लैग शीर्षक है, “कुछ तारीखें, समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं”। इसके साथ की खबर का शीर्षक है, “नया संसद भवन नये भारत की रचना का आधार बनेगा : प्रधानमंत्री”। फ्लैग शीर्षक है, “यहां बनने वाला प्रत्येक कानून भारत को बदलेगा”। इसके साथ छोटे फौन्ट में दो कॉलम की खबर का शीर्षक है, “21 दलों ने बायकाट किया, कांग्रेस ने इसे ‘राज्याभिषेक’ कहा’। जंतर-मंतर पर पुलिसिया पूजा और मणिपुर में फिर से हिंसा भड़कने और अमित साह के मणिपुर दौरे की सूचना देने वाली खबर भी इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर है। यहां कोई विज्ञापन नहीं है।  

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।