1200 गुजरातियों से 1400 करोड़ ठगे जाने के बाद सिम डीलरों का ‘सत्यापन’ अनिवार्य हुआ!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


 

67 हजार डीलर्स काली सूची में, 52 लाख मोबाइल कनेक्शन बंद

 

आज मेरे सात में से तीन अखबारों में चंद्रयान से संबंधित खबर लीड है। टाइम्स ऑफ इंडिया में बिलकिस बानो का मामला है। नवोदय टाइम्स में नौसेना को जंगी जहाज, विन्ध्यगिरि मिलने की खबर लीड है। अमर उजाला में अनुच्छेद 370 हटाने पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई और द टेलीग्राफ में नूंह में मुसलमानों के बायकाट की अपील पर कार्रवाई की महिला वकीलों की मांग लीड है। लेकिन इन सबसे में मुझे सिम कार्ड विक्रेताओं का सत्यापन अब अनिवार्य किया जाना सबसे ‘महत्वपूर्ण’ लगा। यह दिलचस्प है कि अखबार ने लिखा है, धोखाधड़ी पर सरकार सख्त और इसमें सिर्फ ‘अब’ जोड़कर चुटकी नहीं ली है हालांकि सिम कार्ड डीलरों का सत्यापन अनिवार्य में सत्यापन जरूर लाल स्याही से लिखा है।

यह दिलचस्प खबर आज द हिन्दू और हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर है। नवोदय टाइम्स में यह सेकेंड लीड है जबकि अमर उजाला में पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में। दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर दिखी नहीं, हो भी तो सरकारी प्रचार है। जनहित की खबर है इसलिए नवोदय टाइम्स ने खबरों के पहले पन्ने पर पूरी जगह दी है और इसके कई हिस्सों को अलग-अलग सिंगल कॉलम की खबर के रूप में छापा है। पहले शीर्षक और खास बातें पढ़ लीजिये फिर मूल मुद्दे पर आता हूं।

मुख्य शीर्षक है, सिम कार्ड डीलरों का सत्यापन अनिवार्य, उपशीर्षक है, थोक में कनेक्शन देने पर रोक, दूरसंचार मंत्री ने दी जानकारी। इंट्रो है, 10 लाख का जुर्माना लगेगा उल्लंघन पर, धोखाधड़ी पर सरकार सख्त, सत्यापन के लिए मिलेगा समय, 67 हजार डीलर्स का नाम काली सूची में, 52 लाख मोबाइल कनेक्शन बंद किये, एप्प के जरिये 1400 करोड़ की ठगी। और यह ठगी एक चीनी शख्स ने की है जब सरकार परेशान थी या आपको अपनी परेशानी बता रही थी कि चीनी निवेश वाले एक मीडिया संस्थान ने उसके खिलाफ खबर की है या करता है।

कहने की जरूरत नहीं है कि सरकार की यह सक्रियता और सख्ती नए स्कैम के बाद हुई है। पहले से नहीं थी और पहले क्यों नहीं थी यह आप पूछ तो सकते हैं लेकिन जवाब नहीं मिलेगा। पूछना खतरे से खाली नहीं है सो अलग। खबर के अनुसार, 1200 लोग शिकार हुए हैं और ये डबल इंजन वाले गुजरात तथा उत्तर प्रदेश के हैं। मामला ऑनलाइन फुटबॉल बेटिंग (सट्टेबाजी) का है। रिपोर्ट्स की मानें तो एक चीनी शख्स ने गुजरात और उत्तर प्रदेश के 1200 लोगों से इस ऐप के जरिए ठगी की है। खबर 1200 लोगों से 1400 करोड़ ठगने की है और इस हिसाब से प्रति व्यक्ति औसत एक करोड़ से ज्यादा बैठता है।

आश्चर्य की बात है कि जिन लोगों के पास एक करोड़ से ज्यादा ठगे जाने के लिए था वे शिकार हो गये और नौ दिन में चीनी शख्स खेल करके चला गया। सरकार परेशान थी कि चीन उसके खिलाफ खबरें छपवा ले रहा है। वह उसे भी नहीं रोक पाई सो अलग रोना है। मोटे तौर पर गुजरातियों को अवैध सट्टेबाजी के जरिये चूना लगाया गया है। मतलब, सरकार और सरकारी एजेंसियां कितनी सतर्क थीं आप समझ सकते हैं। तर्क यह भी है नौ दिन में ही सब हो गया। पर तथ्य यह भी है कि  जिन लोगों को ठगा गया वे करोड़पति थे। मेरे ख्याल से ऐसे लोगों को ठगना आसान नहीं है और अगर ऐसे लोगों के पास पैसा था तो सरकार को पता होना चाहिए था और उनकी सुरक्षा की विशेष व्यवस्था होनी चाहिए थी जबकि दोनों ही नहीं था।

खबरों के अनुसार, नौ दिनों के बाद ऐप ने अचानक काम करना बंद कर दिया। जांच शुरू होने के बाद सीआई़डी ने इस मामले में गिरफ्तारियां की हैं लेकिन मुख्य आरोपी चीन भाग गया। धंधे के लिए उसने कई शेल कंपनियां बनाई थीं। अब आप जानते हैं कि शेल कंपनियों को बंद करवाने का कितना दावा सरकार कर चुकी है ऐसे में इस खबर पर कितना भरोसा करना है वह आप तय कीजिये। पर मुद्दा यह है कि जब सरकार चीन से पैसे भेजकर अपने खिलाफ साजिश की खबर फैला रही थी तब एक चीनी भारत आकर, नौ दिन रहकर 1200 लोगों से 1400 करोड़ लूटकर चला गया। सरकार देखती रही। शेल कंपनियों के खिलाफ अपने प्रचार के बावजूद इन शेल कंपनियों से उसे नौ दिन कोई खबर नहीं मिली।

मैंने महसूस किया है कि मार्केटिंग के अवांछित कॉल अब बहुत ज्यादा आते हैं। डू नॉट डिस्टर्ब में पंजीकृत होने का फायदा नहीं है और पहले ट्रू कॉलर बता देता था कि यह नंबर फ्रॉड है लेकिन अब कई बार ऐसे कॉल बिल्कुल नए नंबर से आते हैं। जाहिर है यह सब तभी संभव था जब नंबर (सिम) आराम से बिक-बंट रहे हों। और जब मेरे पास फोन आते थे, मैं महसूस कर सकता था तो कोई कारण नहीं है कि अफसरों और मंत्रियों के पास नहीं आते हों। फिर भी सरकार ने अब सख्ती की है। मेरे ख्याल से नियम शुरू से ऐसे नहीं होंगे कि डीलरों का सत्यापन नहीं किया जाता होगा।

इसी तरह थोक में कनेक्शन देने पर अभी तक रोक नहीं था – यह कम आश्चर्य की बात नहीं है। जब एक-एक कनेक्शन पर निगरानी है तो थोक पर नहीं होने का मतलब आप समझ सकते हैं। दिलचस्प यह है कि जम्मू में माता रानी के मंदिर जाने वालों को भी वहां नया सिम लेना पड़ता है और वहां सामान्य प्री पेड पोस्ट नहीं चलता है और यात्री को परेशानी होती है। पर नियम है और जाहिर है जरूरत है इसलिए होगा। लेकिन अभी तक इसपर ध्यान नहीं दिया गया यह अपने आप में अजूबा है। नवोदय टाइम्स ने आज केंद्रीय दूर संचार मंत्री का कहा हाईलाइट किया है, हमने धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए सिम कार्ड डीलर का निर्विवाद सत्यापन अनिवार्य कर दिया है। पर सवाल यह है कि अभी तक क्यों नहीं किया था।

उल्लंघन करने वाले डीलर पर अब जुर्माना लगाने से जो हो, पहले जो लूटे जा चुके हैं उनका क्या होगा? आम ग्राहक के रूप में हम जानते हैं कि नियम पहले भी थे और सख्त भी थे। थोक वालों के साथ साथ सिम बेचने वालों के लिए ऐसा नियम नहीं होना निश्चित रूप से चौंकाने वाला है और आज इसे अखबार में इतनी प्रमुखता देना सरकार का प्रचार है। 67 लाख डीलर्स का नाम काली सूची में डालना और 52 लाख केक्शन बंद करना इस मामले की गंभीरता या नालायकी बताने के लिए काफी है।

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।


Related