एनबीएसए ने गौहर रज़ा को ‘देशद्रोही’ कहे जाने के मामले में ज़ी न्यूज को सार्वजिनक माफ़ी मांगने का आदेश दिया था, जिसको 16 फ़रवरी को अपनी चैनल पर प्रसारित करना था। गौहर रज़ा प्रकरण में वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन की टिप्पणी, उनकी फेसबुक दीवार से।
एनबीएसए के आदेश को ठुकराते हुये ज़ीन्यूज़ ने गौहर रज़ा से माफ़ी नहीं मांगी। आदेश के मुताबिक आज यानि 16 फ़रवरी को रात 9 बजे उसे वैज्ञानिक और शायर गौहर रज़ा से माफ़ी मांगनी थी। एनबीएसए ने ज़ी न्यूज़ पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
ज़ी न्यूज़ ने “अफ़ज़ल प्रेमी गैंग का मुशयरा” हेडलाइन के तहत गौहर रज़ा की नज़्म चलाई थी जिसका अफ़ज़ल गुरु से कोई लेना देना नहीं था। नज़्म देश की युवा पीढी और हालात पर थी। मैने रात 9 से 10 बजे तक ज़ी न्यूज़ देखा और मुझे के आदेश का पालन होता नहीं दिखा।
इसी तरह का आदेश एनबीएसए पहले भी दे चुका था। उस वक्त ज़ी न्यूज़ अपील पर गया था जिसे एनबीएसए ने खारिज कर दिया।माफ़ी न मांग कर ज़ी न्यूज़ ने गौहर रज़ा की नहीं बल्कि एनबीएसए की तौहीन की है। एनबीएसए न्यूज़ चैनलों की ही बनाई संस्था है और सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायधीश की अध्यक्षता में न्यूज़ चैनलों के कंटेंट पर निगरानी रखती है। ज़ी न्यूज़ ने आज अपने ही घर के बुज़ुर्ग को थप्पड़ मारने का काम किया है।
अब एनबीएसए को ज़ीन्यूज़ का लाइसेंस सस्पेंड करने के लिये सूचना और प्रसारण मंत्रालय से सिफ़ारिश करनी चाहिये।