वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को ज़मानत मिल गई है। मीडियाविजिल ने बुधवार को उनके जेल में साठ दिन पूरे होने पर एक खबर चलाई थी जिसमें कहा गया था कि जांच एजेंसी यदि गिरफ्तारी के साठ दिनों के भीतर आरोपपत्र दायर नहीं करती है तो आरोपी वेधानिक रूप से ज़मानत का हकदार बनता है।
रायपुर की एक निचली अदालत ने इसी को आधर बनाते हुए उन्हें सीआरपीसी 1973 की धारा 167(2)(ए)(2) के तहत ज़मानत का फैसला सुनाया है। माना जा रहा है कि गुरुवार की रात वे जेल से रिहा हो जाएंगे।
सीजीखबर के मुताबिक ”अभी भी आशंका जतायी जा रही है कि ज़मानत पर रिहाई के बाद उन्हें सीबीआइ आइटी एक्ट के तहत दर्ज एक अन्य मामले में फिश्र से गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन सीबीआइ या स्थानीय पुलिस ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।”
विनोद वर्मा बीबीसी में वरिष्ठ पद पर रह चुके हैं और अमर उजाला डॉट काम के प्रमुख भी थे। छत्तीसगढ़ पुलिस ने उन्हें 26 और 27 अक्टूबर दरमियानी रात उत्तर प्रदेश के ग़ाजि़याबाद स्थित उनके अपार्टमेंट से उठा लिया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने छत्तीसगढ़ के मंत्री राजेश मुणत से जुड़ी एक कथित सेक्स सीडी बनाई है।
सीबीआइ ने इस मामले में 23 तारीख की पिछली सुनवाई के बाद अपनी जांच तेज़ कर दी है और कई पत्रकारों व नेताओं से पूछताछ की जा रही है।