जज लोया की मौत: मामला गरमाया, पंजाब-हरियाणा के 470 वकीलों ने लिखा चीफ जस्टिस को पत्र

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जस्टिस लोया की मौत की संदिग्‍ध परिस्थितियों पर महीने भर पहले मीडिया के एक हिस्‍से में आई पहली रिपोर्ट और फॉलो-अप रिपोर्टों का असर राष्ट्रीय स्‍तर पर हो रहा है। इस मामले में जांच की मांग की आवाज़ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है।

पंजाब और हरियाणा  उच्‍च न्‍यायालय के करीब 5000 वकीलों में से कुल 470 ने भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश न्‍यायमूर्ति दीपक मिश्रा को एक पत्र लिखकर मुंबई में सीबीआइ के जज रहे जस्टिस बीएच लोया की रहस्‍यमय मौत की जांच सीबीआइ या किसी आयोग या फिर स्‍पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) से कराने की मांग उठायी है। इसकी प्रति सुप्रीम कोर्ट के दूसरे जजों और बंबई उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश को भी भेजी गई है।

पत्र में वकीलों ने कहा है कि अगर लोया की मौत के मामले में उनके परिवार के आरोपों में सच्‍चाई का एक अंश भी है तो यह ”निष्‍पक्ष व साफ-सुथरे इंसाफ के लिए एक असुरक्षित माहौल” की ओर संकेत करता है। वकीलों ने लिखा है:

”रसूखदार मामलों पर फैसला लेने वाले जजों की जिंदगी ही अगर सुरक्षित नहीं होगी और यह आरोप लगेगा कि उन्‍हें दबाव व प्रभाव में काम करना पड़ता है, तो न्‍याय खुद भी महफूज़ नहीं रह जाएगा। जो आरोप लग रहे हैं और घटनाक्रम जिस तरीके से विकसित हो रहा है, वह आम आदमी और कानूनी बिरादरी के भरोसे के लिए एक झटका है कि वे आखिर अब कौन से मंच पर जाकर अपना दावा रखें।”

जस्टिस लोया सोहराबुद्दीन शेख कथित मुठभेड़ हत्‍याकांड के मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें मुख्‍य आरोपी भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष अमित शाह थे। लोया की संदिग्‍ध परिस्थितियों में 2014 में नागपुर में अचानक मौत हो गई थी। उनसे पहले मामले की सुनवाई कर रहे जज का तबादला कर दिया गया था। लोया के बाद सुनवाई करने आए नए सीबीआइ जज ने अमित शाह को मामले से बरी कर दिया था।

सोहराबुद्दीन मामले की सुनवाई में 2012 में ही सुप्रीम कोर्ट की अवमानना हो गई थी जब उसमें सुनवाई करने वाले जज का पहली बार तबादला हुआ क्‍योंकि अदालत का आदेश था कि सुनवाई एक ही जज के अंतर्गत शुरू से लेकर अंत तक होनी चाहिए।


साभार हिंदुस्‍तान टाइम्‍स