हिंदुस्तान अख़बार के दिल्ली संस्करण के पेज नंबर पाँच पर आज एक अजब चूक हुई। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की एक तस्वीर छपी है जिसमें वे जकार्ता में आयोजित पैरालंपिक 2018 में 400 मीटर दौड़ में कांस्य पदक लाने वाले अवनिल कुमार को 50 लाख का चेक भेट कर रहे हैं। चेक में राशि की जगह मोटे-मोटे अंकों में 50,000,00.00 ही नहीं लिखा है, शब्दों में भी पचास लाख (50 Lakh) लिखा है, लेकिन बगल में जो सिंगल कॉलम ख़बर है, उसमें हेडिंग ही नहीं रनिंग मैटर में भी पांच लाख लिखा है।
वैसे, तो अख़बारों में वर्तनी आदि की ग़लती कोई बड़ी बात नही है, लेकिन तथ्यों को लेकर ऐसी गड़बड़ी बताती है कि अख़बारकर्मियों पर या तो काम का बोझ बहुत ज़्यादा है, या फिर वे वाक़ई लापरवाह हैं। सामने चित्र में बड़ा-बड़ा पचास लाख लिखा हो और बगल में पांच लाख जा रहा हो तो इसका और क्या मतलब निकाला जाए। जबकि हर पन्ना छपने जाने से पहले संपादकीय स्तर के कनिष्ठ से लेकर वरिष्ठ तक की आँख से ग़ुज़रता है। संस्थानों ने प्रूफ़ रीडर पद का लोप तो काफ़ी पहले कर दिया था। अब सारी ज़िम्मेदारी संपादकों पर ही है। गलती हो सकती है। पर मोटे चश्मों से महीन ग़लतियाँ न पकड़ आना तो समझ आता है, लेकिन ऐसी मोटी ग़लती !
कहीं ये सुरसुराने वाली ठंड का असर तो नहीं कि सब कुछ सरसरी ही हो गया है.. !