छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुुर में आपातकाल के दौर की याद में पीयूसीएल व पत्रकार सुरक्षा कानून संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा आयोजित दो दिवसीय नागरिक सम्मेलन के पहले दिन 25 जून को समाज के विभिन्न तबकों और प्रतिनिधियों की ओर से सघन भागीदारी व चर्चा देखने को मिली।
”प्रेस, जनता और राज्य” विषय पर आयोजित इस गोष्ठी के पहले दिन दूसरे सत्र में प्रस्तावित छत्तीसगढ़ पत्रकार सुरक्षा विशेष अधिनियम के मसविदे को पेश किया और देर शाम तक इस पर खुली परिचर्चा चली। इसमें तमाम संशोधन वक्ताओं और श्रोताओं की ओर से सुझाए गए। एक अहम संशोधन यह था कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून के तहत जिस आयोग का गठन किया जाए, उसका स्वरूप अर्ध-न्यायिक हो ताकि वह का्ग़ज़ी बनकर न रह जाए।
एक और अहम संशोधन यह सुझाया गया है कि किसी पत्रकार या मानवाधिकार रक्षक पर होने वाले हमले की एफआइआर लिखवाने का अधिकार किसी तीसरे पक्ष को भी होना चाहिए। इस विस्तृत मसविदे पर आयोजन के अंतिम दिन 26 जून को आखिरी फैसला लिया जाएगा और इसे अंति रूप दिया जाएगा। इसी दिन छत्तीसगढ़ के मुद्दोंं पर निर्भीक पत्रकारिता के लिए 14 पत्रकारों का सम्मान भी किया जाएगा। सम्मानित पत्रकारों की सूची मीडियाविजिल के पाठकों के लिए जल्द ही उपलब्ध होगी।
परिचर्चा में राजनीतिक दल के प्रतिनिधि भी शामिल रहे। एक प्रतिनिधि ने इस कानून को प्राइवेट मेंबर बिल के तौर पर विधानसभा में पेश करने का प्रस्ताव भी रखा है।
मीडियाविजिल प्रस्तावित पत्रकार सुरक्षा विशेष कानून के मसविदे को नीचे अंग्रेज़ी और हिंदी में पहली बार सार्वजनिक कर रहा है जिससे छत्तीसगढ़ से बाहर रहने वाले और इस प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल नहीं हो पाए सरोकारी जन भी अवगत हो सकेंगे और इस का की अहमियत को समझ सकेंगे।
पत्रकारों और मानवाधिकार रक्षकों की सुरक्षा के लिए छत्तीसगढ़ का विशेष कानून
हिंदी में मसविदा
CG-PUCL-Law-for-Protection-of-Journalists-and-HRDs-FED-2016_Hindi
अंग्रेजी में मसविदा
CG-PUCL-Law-for-Protection-of-Journalists-and-HRDs-FED-2016