अखबारों ने छाप दिया भीम आर्मी के प्रवक्‍ता की गिरफ्तारी पर यूपी पुलिस के झूठ का पुलिंदा

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भीम सेना के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता मंजीत नौटियाल की गिरफ्तारी की ख़बर अधिकतर अखबारों और वेबसाइटों पर 17 या 18 अक्‍टूबर को छपी है। सहारनपुर हिंसा के मामले में मंजीत के सिर पर 12000 का ईनाम था और पुलिस उन्‍हें लंबे समय से ढूंढ रही थी। सभी अख़बारों में छपी खबर के मुताबिक मंजीत को 16 अक्‍टूबर को मुजफ्फरनगर से पकड़ा गया और मंगलवार 17 अक्‍टूबर को सहारनपुर की एक स्‍थानीय अदालत में पेश किया गया।

अख़बारों में इस संबंध में छपी ख़बरों को नीचे देखा जा सकता है:

दैनिक जागरण

ईनाडु

इंडियन एक्‍सप्रेस

अमर उजाला

इन खबरों में तीन तथ्‍यात्‍मक ग़लतियां हैं। पहली, मंजीत को 16 नहीं, 15 अक्‍टूबर को गिरफ्तार किया गया। दूसरी, उन्‍हें मुजफ्फरनगर नहीं बल्कि हरियाणा के फरीदाबाद से सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में दिनदहाड़े उठाया गया। तीसरी ग़लती, जो पहली और दूसरी जानकारी पर ही निर्भर है, वो ये कि उन्‍हें कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक 24 घंटे के भीतर के बजाय 48 घंटे के बाद अदालत में पेश किया गया। ज़ाहिर है, उत्‍तर प्रदेश की पुलिस ने मुजफ्फरनगर से उनकी गिरफ्तारी 16 अक्‍टूबर की दिखायी है और अपनी आदत के मुताबिक अखबारों ने बिना जांच-पड़ताल किए पुलिस का संस्‍करण छाप दिया है।

इन सभी बातों को साबित करने के लिए मीडियाविजिल के पास ठोस दस्‍तावेज़ मौजूद हैं। मंजीत रविवार 15 अक्‍टूबर को फरीदाबाद के रविदास मंदिर में एक कार्यक्रम में गए हुए थे जहां से यूपी पुलिस ने उन्‍हें उठाया। आयोजन में उनकी भाषण देती तस्‍वीर मीडियाविजिल के पास है।

15 अक्‍टूबर को फरीदाबाद के रविदा मंदिर में भाषण देते मंजीत नौटियाल

कार्यक्रम में मौजूद वरिष्‍ठ पत्रकार और भीम सेना डिफेंस कमेटी के संयोजक संजीव माथुर बताते हैं, ”मेरी आंखों के सामने पुलिस मंजीत को उठाकर ले गई। करीब 2.30 बजे के आसपास दो बोलेरो जीप मंदिर के बाहर आकर रुकी। उसमें से यूपी पुलिस के हथियारबंद लोग धड़ाधड़ उतरे और बिना जूते निकाले मंदिर के भीतर हथियार समेत घुस आए। वहां से मंजीत को वे उठाकर ले गए।”

संजीव सवाल उठाते हैं कि किसी को गिरफ्तार करने की भी एक कानूनी प्रक्रिया होती है, जिसका पालन मंजीत के मामले में नहीं किया गया। इतना ही नहीं, उन्‍हें 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश भी नहीं किया गया जो कानून का उल्‍लंघन है। इस बारे में कायदे से इकलौती ख़बर दैनिक भास्‍कर की वेबसाइट पर प्रकाशित है जिसका शीर्षक है- ”कार में आए लोग यूपी के ईनामी भीम आर्मी प्रवक्‍ता को उठा ले गए”।

भास्‍कर की खबर में भीम आर्मी के जिलाध्‍यक्ष कुणाल गौतम की ओर से पुलिस में जमा एक शिकायत का जिक्र है, जो इस बात का साक्ष्‍य है कि कार्यक्रम से ही मंजीत को उठाया गया था। शिकायत 15 अक्‍टूबर को ही की गई थी और इसे ओल्‍ड फरीदाबाद के थानाध्‍यक्ष के नाम लिखा गया था जिसमें कहा गया था कि यूपी पुलिस मंजीत को गिरफ्तार कर के ले गई है।

मंजीत की गिरफ्तारी के संबंध में ओल्‍ड फरीदाबाद थाने में 15 अक्‍टूबर को दी गई शिकायत

संजीव बताते हैं, ”थाने में बाकायदे रजिस्‍टर में यूपी पुलिस की एंट्री 9.30 की थी लेकिन जब शिकायत दर्ज करवायी गई तो हरियाणा पुलिस ने यूपी पुलिस के वहां आने के बारे में अनभिज्ञता जतायी। हरियाणा पुलिस को पहले से पता था कि यूपी पुलिस मंजीत को उठाकर ले गई है।” इसके बाद मंजीत के साथियों ने मुख्‍यमंत्री, उत्‍तर प्रदेश के नाम एक पत्र भी मेल से भेजा है और मामले का पूरा जिक्र उसमें किया है।

फरीदाबाद जागरण में छपी एक खबर में भीम आर्मी के सदस्‍यों ने इस बात की आशंका जाहिर की थी कि कहीं मंजीत नौटियाल का एनकाउंटर न कर दिया जाए। दो दिन बाद हालांकि मंजीत को अदालत में पेश किए जाने के बाद यह आशंका तो दूर हो गई है लेकिन यह अब भी बड़ा सवाल है कि यूपी पुलिस ने मंजीत की गिरफ्तारी 16 की मुजफ्फरनगर से क्‍यों दिखाई जबकि उसे गलत साबित करने के लिए सैकड़ों लोग फरीदाबाद की सभा में मौजूद थे।

दूसरा जघन्‍य अपराध पुलिस ने यह किया कि 16 की गिरफ्तारी दिखाकर मंजीत को गैर-कानूनी तरीके से अतिरिक्‍त 24 घंटे अपनी हिरासत में रखा। जिस तरीके से सुबह मंजीत की छापामार गिरफ्तारी से पहले प्रदीप नरवाल को रास्‍ते में से उठाया गया, उससे यह शक़ पुख्‍ता हो जाता है कि यूपी पुलिस काफी सुनियोजित तरीके से इस ऑपरेशन को अंजाम देने आई थी।

संजीव का कहना हैं, ”पुलिस को दरअसल सूचना थी कि फरीदाबाद वाले कार्यक्रम में विनय रतन सिंह आ रहे हैं। उन्‍हें पकड़ने के लिए इतनी तैयारी से पुलिस यहां आई थी।” मंजीत के सिर पर ईनाम था तो उसे पुलिस ने आसानी से उठा लिया लेकिन प्रदीप को पकड़ने के बाद विनय रतन के चक्‍कर में ही साढ़े चार घंटा वह पूछताछ करती रही। जब उसके हाथ कुछ नहीं लगा, तो उन्‍होंने प्रदीप को छोड़ दिया। विनय रतन सिंह भीम आर्मी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष हैं। सहारनपुर हिंसा के बाद से पुलिस उनकी तलाश कर रही है।


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