JNU के छात्र नेता को UP पुलिस से जान का खतरा, इतवार को एनकाउंटर की थी तैयारी

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जवाहरलाल नेहरू युनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र अब उत्‍तर प्रदेश पुलिस के सीधे निशाने पर हैं। अप्रैल से सितंबर 2017 के बीच छह महीनों के दौरान कथित मुठभेड़ों में कुल 420 लोगों को जान से मार चुकी योगी आदित्‍यनाथ की एनकाउंटर-प्रेमी पुलिस अब धड़ल्‍ले से दिल्‍ली और हरियाणा की सीमा में घुसकर नौजवानों को बंदूक की नोंक पर उठा रही है। दिल्‍ली के वसंत कुंज थाने में 16 अक्‍टूबर को जेएनयू के छात्र प्रदीप नरवाल द्वारा दी गई तहरीर से यह खतरनाक खेल पहली बार उजागर हुआ है।

प्रदीप नरवाल जेएनयू में स्‍नातकोत्‍तर के छात्र हैं और हाल के दिनों में बनी भीम सेना डिफेंस कमेटी के दो संयोजकों में एक हैं। उनके साथ 15 अक्‍टूबर को दिल्‍ली-फरीदाबाद बॉर्डर पर जो हुआ, वह घटनाक्रम एकदम फिल्‍मी है। उनकी दी हुई तहरीर और कमेटी के कुछ सदस्‍यों से हुई बातचीत के मुताबिक रविवार 15 अक्‍टूबर को फरीदाबाद के रविदास मंदिर में कमेटी की एक बैठक हुई थी। बैठक के बाद प्रदीप नरवाल दिल्‍ली की ओर निकले तो दो बोलेरो गाडि़यां उनके पीछे लग गईं। फरीदाबाद-दिल्‍ली के बॉर्डर पर दोनों बोलेरो गाडि़यों ने उनकी कार के सामने आकर रास्‍ता रोक लिया और उसमें कुछ सादे कपड़े पहने और कुछ वर्दीधारी हथियारबंद लोग उतर कर प्रदीप के पास आए। ये यूपी पुलिस के लोग थे। इन्‍होंने प्रदीप के सिर पर पिस्तौल तानकर कहा कि चुपचाप साथ चलें वरना एनकाउंटर हो जाएगा।

एक पुलिसवाला उनकी कार में बैठा और बाकी उन्‍हें लेकर नोएडा निकल लिए। एक राउंड उनसे नोएडा में पूछताछ की गई। फिर प्रदीप को लेकर वे मुरादनगर, ग़ाजि़याबाद में एक ढाबे पर पहुंचे। ढाबा खाली कराया गया और प्रदीप को करीब साढ़े चार घंटे बंधक बनाकर वहां पूछताछ की जाती रही। उनसे भीम सेना के बारे में पूछा गया। भीम सेना और कमेटी के पदाधिकारियों का नाम लेकर उनसे लगातार सवाल किए गए और सिर पर बंदूक रखकर एनकाउंटर की धमकी दी जाती रही।

डिफेंस कमेटी के दूसरे संयोजक और वरिष्‍ठ पत्रकार संजीव माथुर बताते हैं कि करीब छह बजे के आसपास उनके पास प्रदीप का फोन आया। प्रदीप घबराए हुए थे। उन्‍होंने संजीव से फोन पर बस इतना ही कहा कि आकर उन्‍हें छुड़ा लें और रिसीविंग दे दें। दिलचस्‍प बात है कि अब तक संजीव या कमेटी में से किसी को भी इस बात की भनक नहीं थी कि एक संयोजक को सरेराह बंदूक की नोंक पर उठा लिया गया है। प्रदीप साढ़े छह बजे के बाद मुक्‍त हुए।

प्रदीप ने पहले 100 नंबर पर एक ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवायी और उसके बाद वसंत कुंज थाने में तहरीर दी। प्रदीप ने तहरीर में लिखा है कि उनकी जान को यूपी पुलिस से खतरा है। उन्‍होंने इस तथ्‍य का हवाला दिया है कि हाल के दिनों में चूंकि दलितों और आदिवासियों को अगवा करके उत्‍पीडि़त किया जाता रहा है और मारा जाता रहा है, लिहाजा उन्‍हें डर है कि उनके साथ भी कहीं ऐसा न हो जाए। वे इस सिलसिले में यूपी पुलिस पर एक एफआइआर करवाने का भी प्रयास कर रहे हैं।

प्रदीप नरवाल जेएनयू की राजनीति को जानने वाले लोगों के लिए एक परिचित नाम है। प्रदीप पिछले साल फरवरी में जेएनयू में हुए नारा कांड तक वहां की एबीवीपी इकाई (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के संयुक्‍त सचिव हुआ करते थे। नारे वाली घटना और छात्रों पर एफआइआर के करीब दस दिन बाद जेएनयू एबीवीपी में दो फाड़ हो गया था। उस वक्‍त प्रदीप, एसएसएस यूनिट के सचिव अंकित हंस और अध्‍यक्ष राहुल यादव ने एबीवीपी से अपना इस्‍तीफ़ा दे दिया था। बाद में हालांकि राहुल यादव ने अपने मामले में इससे इनकार कर दिया था।

प्रदीप ने उस वक्‍त अपने फेसबुक खाते से उस वक्‍त एक पत्र जारी किया था जिसमें उन्‍होंने कहा था कि यूनिवर्सिटी कैंपस में देश विरोधी नारे लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन जिस तरह से प्रोफ़ेसरों, छात्रों, मीडिया पर वकीलों का लगातार हमला हो रहा है उसे किसी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता। इसके बाद से प्रदीप लगातार दलित विषय पर काम करने वाले संगठनों के साथ सक्रिय हैं।

भीम सेना डिफेंस कमेटी देश भर के बुद्धिजीवियों, लेखकों, कार्यकर्ताओं और छात्रों का एक मिलाजुला समर्थन-समूह है जिसके मशहूर चेहरों में अकादमिक प्रो. कांचा इलैया, दलित प्रश्‍नों पर अहम स्‍वर आनंद तेलतुम्‍बड़े, दलित चिंत‍क चंद्रभान प्रसाद, आंदोलनकारी जिग्‍नेश मेवाणी, वरिठ पत्रकार राधिका रामशेषन, हर्ष मंदर, योजना आयोग की सदस्‍य रहीं सैयदा हमीद, जनसत्‍ता के पूर्व कार्यकारी संपादक ओम थानवी, पूर्व पुलिस आयुक्‍त एसआर दारापुरी, प्रसिद्ध फिल्‍मकार आनंद पटवर्धन, पत्रकार अनिल चमडि़या और सुभाष गाताडे, अकादमिक आदित्‍य निगम और सरोज गिरि जैसे लोग शामिल हैं।

ऐसे प्रतिष्ठित व्‍यक्तियों से मिलकर बने एक विविध समूह से आखिर पुलिस को क्‍या दिक्‍कत हो सकती है और अगर है भी तो वह इसके किसी सदस्‍य को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के अपराधियों की तरह कैसे उठा सकती है, प्रदीप नरवाल की तहरीर से ये अहम सवाल पैदा होते हैं।


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