कश्मीर से लेकर दिल्ली तक लगातार दर्ज हो रहे मुकदमों के सिलसिले में अगला नाम कश्मीर के चर्चित लेखक-पत्रकार गौहर गीलानी का है। उनके ख़िलाफ़ साइबर पुलिस स्टेशन, श्रीनगर में मुकदमा दर्ज़ किया गया है। पुलिस का कहना है कि गौहर गीलानी अपने फेसबुक पोस्टों के ज़रिए गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हैं, जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए हानिकारक है।
Cyber Police Station Kashmir Zone,Srinagar has received info through reliable sources that an individual Gowher Geelani is indulging in unlawful activities through his posts&writings on Social Media which are prejudicial to national integrity,sovereignty&security: J&K Police(1/2)
— ANI (@ANI) April 22, 2020
पुलिस का यह भी आरोप है कि गौहर अपने फेसबुक पोस्टों में आतंकवाद का महिमामंडन करते हैं और चरमपंथी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली बातें करते हैं। साइबर पुलिस का यह भी कहना है कि गौहर के ख़िलाफ़ हमें कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिसके बाद केस दर्ज़ किया गया है। गौरतलब है कि गौहर गीलानी चर्चित लेखक हैं और पिछले साल आयी उनकी किताब ‘कश्मीर: रेज़ एंड रीज़न’ चर्चा का विषय थी। गौहर ने अपनी अपनी हालिया पोस्ट में लिखा है, जो संभवतः मुकदमे की जानकारी मिलने के बाद लिखी गयी है, कि “मैं उम्मीद करता हूं ‘शुद्धिकरण’ की प्रक्रिया या विमर्श व्यक्तिगत, तुच्छ और कर्कश नहीं होंगे। हर किसी को सभ्यता से सभी तरह के विचारों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि विविधता से भरी दुनिया में विचारों की एकरूपता नहीं हो सकती। व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं होता। महत्वपूर्ण आज़ादी, विचारों की स्वतंत्रता और विचार रखने का अधिकार है। प्रतिशोधी मत बनिये, दयालु बनिये और विनम्रता लाइये।
पिछले दो दिनों में यह तीसरा मामला है जब कश्मीर के पत्रकार पर मुकदमा थोपा गया था। दो दिन पहले प्रतिष्ठित जगहों पर प्रकाशित होने वाली कश्मीर की ही महिला फोटोजर्नलिस्ट मसरत ज़हरा पर भी उनके फेसबुक पोस्टों के लिए यूएपीए लगा दिया था और पुलिस की ओर कहा गया था कि मसरत फेसबुक पर भारत-विरोधी पोस्ट करती हैं। मसरत पर मामला दर्ज़ होने की ख़बर फैली ही थी कि सोमवार शाम ‘द हिन्दू’ जैसे देश की प्रतिष्ठित अख़बार के रिपोर्टर पीरज़ादा आशिक़ पर तथ्यात्मक रूप से गलत रिपोर्ट रिपोर्टिंग के लिए मुकदमा ठोंक दिया गया।
एडिटर्स गिल्ड ने बयान जारी कर जतायी चिंता
बीते मंगलवार एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कश्मीर में पत्रकारों पर थोपे जा रहे मुकदमों को लेकर चिंता जतायी है और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से पत्रकारों के ख़िलाफ़ थोपे गये मामले वापस लेने को कहा है। एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि ‘मुख्यधारा मीडिया में कुछ छापने और सोशल मीडिया पर लिखने को लेकर ऐसी कानूनी कार्रवाई कानून का दुरुपयोग है। हम मानते हैं कि यह देश के अन्य भागों के पत्रकारों को डराने की भी कोशिश का हिस्सा है।’
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करके पत्रकारों पर दर्ज़ किये जा रहे मामलों का विरोध किया है और कहा कि कश्मीर के पत्रकारों व टिप्पणीकारों पर लगातार दर्ज़ किये जा रहे मामले गलत हैं और उन्हें तत्काल रोका जाना चाहिए।
No ifs, no buts, no whataboutery – this campaign of FIRs against journalists & commentators in Kashmir IS WRONG & must stop. If your version of events is so weak that you have to charge these people it says more about what is happening in Kashmir than anything they have written.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) April 21, 2020
पहली बार नहीं हुआ है ऐसा कश्मीर में
कश्मीर में पत्रकारों को राज्य और पुलिसिया दमन की कार्रवाई का सामना पहले भी लगातार करना पड़ा है। कश्मीरी पत्रिका कश्मीर नैरेटर में पत्रकार रहे आसिफ़ सुल्तान कई साल से जेल में हैं। आसिफ़ को अमेरिकन नेशनल प्रेस क्लब द्वारा प्रेस फ्रीडम अवार्ड भी प्राप्त है। साल 2018 में कश्मीर के पुलवामा के चर्चित फ़ोटो जर्नलिस्ट कामरान यूसफ़ को ‘पत्थरबाज’ और ‘भारत के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने में संलग्न’ बताकर एनआईए द्वारा हिरासत में ले लिया गया था। कामरान का अपराध भी इतना था कि वे कश्मीर में घट रहे सच को तस्वीरों में दर्ज़ कर रहे थे। मसरत ज़हरा, पीरज़ादा आशिक़ और गौहर गिलानी कश्मीर के पत्रकारों की उसी लंबी फेहरिस्त का हिस्सा हैं, जिसने समय-समय पर सरकार और पुलिसिया कार्रवाई का शिकार होना पड़ा है।