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‘द वायर’ और उसके संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस के निशाने पर हैं। यूपी पुलिस ने सिद्धार्थ वरदराजन पर एफआईआर भी दर्ज़ की है। अब लगभग 3,500 बौद्धिकों ने उत्तर प्रदेश सरकार व पुलिसिया कार्रवाई की निंदा की है और ‘द वायर’ और सिद्धार्थ वरदराजन के ऊपर दर्ज़ सभी मामले हटाने की मांग की है। इन बौद्धिकों में लेखक, शिक्षाविद, न्यायविद, अभिनेता और तमाम अन्य कलाकार शामिल हैं।
जारी किये गये संयुक्त बयान में बौद्धिकों ने पुलिसिया कार्रवाई को मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बताया है और कहा है कि सरकारें कोरोना वायरस महामारी की आड़ में मीडिया की स्वतंत्रता पर चोट कर रही हैं। बयान में स्पष्ट कहा गया है कि सरकार को चिकित्सकीय आपात स्थिति को राजनैतिक आपातकाल की तरह स्वतंत्र संस्थानों पर दबाव बनाने के लिए नहीं इस्तेमाल करना चाहिए। गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान भी ‘द वायर’ और सिद्धार्थ वरदराजन को नोटिस देने के लिए ऊतर प्रदेश पुलिस 700 किमी यात्रा करके सिद्धार्थ के घर पहुंच गयी थी।
बयान पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख नामों में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, नौसेना के पूर्व एडमिरल रामदास और विष्णु भागवत ने भी बयान पर हस्ताक्षर किये हैं। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन लोकुर, मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जज के. चंद्रू, पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज अंजना प्रकाश ने भी बयान पर अपनी मुहर लगायी है।
बयान में कहा गया है कि कोरोना महामारी के बीच धार्मिक कार्यक्रम के बारे में द वायर ने ख़बर चलायी वह पूरी तरह से तथ्यात्मक थी, और इसके लिए वायर और सिद्धार्थ वरदराजन पर उत्तर प्रदेश सरकार व पुलिस की कार्रवाई चौंकाने वाली है। बयान के अनुसार, मीडिया की स्वतंत्रता पर इस तरह के हमले अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जनता के सूचना के अधिकार को मुश्किल में डालते हैं। बयान में मीडिया के बाकी हिस्से से भी कोविड-19 को सांप्रदायिक रंग न देने की अपील की गयी है।
बयान पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में नयनतारा सहगल, अरुंधति रॉय, अनीता देसाई, के सच्चिदानंद और किरण देसाई जैसी बौद्धिक शामिल हैं। वहीं, नसीरुद्दीन शाह, नंदिता, अमोल पालेकर, फरहान अख़्तर, मल्लिका साराभाई, ज़ोया अख़्तर, आनंद पटवर्धन और किरण राव जैसी फ़िल्म व कला की दुनिया के लोगों ने भी अपना समर्थन संप्रेषित किया है। इसके अतिरिक्त, देश-दुनिया के लगभग 1000 से अधिक यूनिवर्सिटी प्रोफेसरों ने भी इस बयान पर अपने हस्ताक्षर किये हैं।
गौरतलब है कि सिद्धार्थ वरदराजन ने लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या में एक धार्मिक समारोह में शामिल होने पर सवाल खड़े किये थे, जिसके बाद उन्हें निशाने पर लिया गया है।
आप इन बुद्धिजीवियों का बयान और नाम नीचे क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
April 14 Statement on Siddharth & The Wire