राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक राकेश सिन्हा पर पटना में एक मुकदमा हो गया है। मुकदमा राजनीतिक कार्यकर्ता मो. महताब आलम ने कराया है। मामला एक राष्ट्रीय समाचार चैनल के प्राइम टाइम शो पर विवादित बयान देने का है।
मीडियाविजिल ने 28 जनवरी को खबर दी थी कि न्यूज़ 24 समाचार चैनल पर 27 जनवरी की शाम मानक गुप्ता के शो में राकेश सिन्हा ने एमआइएम के एक नेता से बहस में अकबरुद्दीन ओवैसी के एक पुराने बयान का हवाला देते हुए बिलकुल वैसा ही बयान प्रतिक्रिया में दे डाला था।
सिन्हा ने हैदराबाद और एमआइएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी का हवाला देते हुए कहा कि इनके नेता कहते हैं हैदराबाद से पंद्रह मिनट के लिए पुलिस को हटा दो क्या क्या कर देंगे। फिर वे बोले: ”अरे, जिस दिन आपके खिलाफ प्रतिक्रिया हो जाएगी, पंद्रह मिनट क्या पंद्रह सेकंड नहीं टिक पाएंगे।”
ध्यान रहे कि अकबरुद्दीन ओवैसी को 15 मिनट वाले अपने कुख्यात बयान के लिए 40 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था और उनके खिलाफ हैदराबाद से लेकर मुंबई तक संगीन धाराओं में मुकदमे हुए थे और कोर्ट के आदेश पर एफआइआर भी हुई थी। इसके ठीक उलट गणतंत्र दिवस के अगले दिन ऐसा ही बयान देने वाले राकेश सिन्हा के खिलाफ दायर यह पहला मुकदमा है।
पटना सदर सिविल कोर्ट में सीजेएम की अदालत में मो. महताब आलम की ओर से 1 फरवरी को दायर परिवाद संख्या 1401/2018 में मुख्य आरोपी राकेश सिन्हा को बनाया गया है। शिकायत में कहा गया है कि वादी पटना में 27 जनवरी की शाम टीवी देख रहा था जब उसका ध्यान अचानक राकेश सिन्हा के दिए इस बयान पर गया और उसने क्षोभ में टीवी को बंद कर दिया। आलम ने लिखा है कि यह बयान समाज में सौहार्द और शांति को खतरा पहुंचाने वाला है और भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।
जब सिन्हा ने ऐसा बयान दिया था, उसके तुरंत बाद ही ऐंकर मानक गुप्ता बार-बार कहने लगे थे- राकेश जी, मैं आपसे उम्मीद नहीं करता हूं ऐसा भड़काऊ बयान देने के लिए। इसके जवाब में राकेश सिन्हा ने उन्हीं को डपट दिया था यह कह कर- क्या भड़काऊ। बयान दे रहा हूं? ज़ाहिर है, बयान की गंभीरता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि मौके पर खुद टीवी ऐंकर ने कम से कम तीन इसे ”भड़काऊ बयान” की संज्ञा दी थी, जबकि आजकल टीवी चैनल खुद सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने वाले कार्यक्रम दिखाते हैं।
शिकायतकर्ता महताब आलम ने अपने फेसबुक पोस्ट में इस सिलसिले में लिखा है:
मीडियाविजिल के इस संबंध में ख़बर प्रकाशित करने के बाद ट्विटर पर राकेश सिन्हा ने खुद और अपने वकील के माध्यम से मीडियाविजिल को टैग करते हुए मुकदमा करने की धमकी दी थी और कहा था कि अगर खबर हटायी नहीं गई और माफी नहीं मांगी गयी तो 72 घंटे के भीतर वे मीडियाविजिल को कानूनी नोटिस भिजवा देंगे।
आप @mediavigil @RakeshSinha01 को बदनाम करने व उनकी प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिये उनके शब्दो को तोड़ मरोड़कर पेश कर रहे हो जो कानूनन अपराध है, उनका अधिवक्ता होने के नाते मैं आपको ऐसा न करने को सलाह दे रहा हूँ । आपके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी । https://t.co/yo6yTJ7mFe
— Arvind Kumar Srivastava (मोदी का परिवार) (@ArvindTheRebel) January 28, 2018
Selective few (being examined by a team of lawyers) will be served notice within 72 hours
— Prof Rakesh Sinha MP ( Modi Ka Parivar ) (@RakeshSinha01) January 29, 2018
मीडियाविजिल की सीमा है कि वह ऐसे किसी भी विवादास्पद बयान पर ख़बर ही कर सकता था। मीडियाविजिल ने अपनी ओर से सिन्हा और उनके वकील की धमकी पर कोई जवाब नहीं दिया था, न ही खबर हटायी थी, लेकिन अब पटना में सिन्हा पर हुए मुकदमे ने साफ़ कर दिया है कि उनकी यह टिप्पणी देश भर में तमाम लोगों को नागवार गुज़री है।