उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भूमिहीन मज़दूरों के मुद्दे पर योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है। विधानसभा के दूसरे सत्र में लल्लू ने भूमिहीन मजदूरों की जिलावार संख्या और उनको समाजिक सुरक्षा देने के मुद्दे पर, श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या से सवाल पूछा था। लेकिन योगी सरकार की ओर से जो जवाब मिला, उस पर अजय लल्लू ने हैरानी जताई है।
जिलावार संख्या वाले प्रश्न के जवाब में योगी सरकार ने कहा कि चूंकि विशिष्ट भूमि सर्वेक्षण नहीं हुआ है इसलिए मज़दूरों की निश्चित संख्या नहीं बताई जा सकती। फिर, पुराने आंकड़ों का हवाला देते हुए बीजेपी सरकार ने कहा कि भूमिहीन मज़दूरों की आबादी प्रतिशत के लिहाज से 44.45 % है। इसका मतलब यह है कि यूपी की कुल आबादी लगभग आधा हिस्सा बिना ज़मीन के है।
अजय कुमार लल्लू का कहना है कि यह मुद्दा योगी सरकार के लिए शर्म का विषय तो है ही, बीजेपी की पूर्ववर्ती समाजवादी और बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकारों ने क्या किया था? इसका भी जवाब चाहिए। गौरतलब है कि भूमिहीन मज़दूरों का ज्यादातर हिस्सा छोटी और पिछड़ी जातियों से मिलकर बनता है। मतलब साफ है कि न बसपा, न सपा, न बीजेपी किसी को मज़दूरों की परवाह नहीं है। सब अपनी-अपनी तिजोरी भरने में लगे हैं।
उन्होंने कहा कि वह स्वयं एक मज़दूर रह चुके हैं इसलिए मज़दूरों की व्यथा को अच्छे से समझते हैं। उन्होंने बीजेपी की केन्द्र और राज्य सरकारों पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में मोदी सरकार को निर्देश दिया था कि मॉड्यूल तैयार करके राज्य सरकारों को दिया जाए जिससे मज़दूरों का असंगठित कर्मचारियों के रूप में पंजीयन किया जा सके।
अजय कुमार लल्लू द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लिखित में कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार ने जून 2020 तक मॉड्यूल उपलब्ध ही नहीं कराया, तो पंजीयन का काम कैसे हो। बीजेपी सरकारों के काम करने के रवैये पर तीखी नराज़गी जताते हुए अजय कुमार लल्लू ने कहा कि चाहे योगी हों या मोदी – बीजेपी की सरकारें मज़दूर विरोधी है।
उन्होंने ने कहा कि राहुल गांधी ऐसे ही मोदी सरकार को सूट बूट और लूट की सरकार नहीं कहते हैं। अजय कुमार लल्लू ने मांग की है कि भूमिहीन मज़दूरों का असंगठित कर्मचारियों के रूप में पंजीयन जल्द से जल्द शुरु कराया जाए ताकि प्रदेश की आधी आबादी को समाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सके।