तो अब मुनाफे़ वाली IRCTC भी बेचेगी मोदी सरकार!

गिरीश मालवीय गिरीश मालवीय
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IRCTC का भी अडानी-अम्बानीकरण

 

रेलवे प्राइवेट हाथो में देने की तरफ चौथा कदम उठा दिया गया है मोदी सरकार ने….ओर वो है IRCTC का टोटल निजीकरण ……..सबसे पहले रेलवे स्टेशनों को बेचा गया , फिर बड़े बड़े रेलवे कारखानों का निगमीकरण किया गया, फिर प्राइवेट ट्रेंन चलाने की घोषणा हुई और अब रेलवे के आईआरसीटीसी का निजीकरण की प्लानिंग तैयार है।

आप शायद जानते हो कि यह IRCTC काम क्या करती है। आईआरसीटीसी के पास ट्रेनों में कैटरिंग,ऑनलाइन टिकट बुकिंग और पीने का पैक्ड पानी बेचने के एक्सक्लूसिव राइट्स हैं। 1999 में रेलवे ने आईआरसीटीसी का गठन ट्रेनों में खानपान और टूरिजम के लिए किया था, ताकि लोगों को खराब खाने पीने की समस्या से निजात मिल सके, लेकिन आज इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्प का कारोबार बहुत बढ़ गया है अब यह 4 हिस्सों में बंट गया है इसमें इंटरनेट टिकटिंग, कैटरिंग, पैकेज्ड पानी और टूरिज्म शामिल हैं।

जैसे BPCL हर साल मुनाफा कमाती है वैसे ही साल प्रॉफिट में ही रहती है इसे वित्तवर्ष 2019 में 272.5 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। वहीं 1899 करोड़ रुपए की बिक्री हुई। रेलवे की ये कंपनी 57 जन आहार, 169 रिफ्रेशमेंट रूम, 27 सेल किचन और 14 बेस किचन चलाती है। आईआरसीटीसी रेल यात्रियो को ट्रैवल इंश्योरेंस की सुविधा भी देती है।आईआरसीटीसी भी हर

IRCTC की वेबसाइट पर हर महीने 2.5 करोड़ ट्रांजैक्शन होते हैं। वहीं 72 लाख लॉगिन हर दिन होते हैं। इसके ऐप और वेबसाइट पर रोजाना 8 लाख टिकट रोजाना बुक होते हैं। कोरोना काल से पहले IRCTC के आईपीओ के जरिए सरकार ने करीब 645 करोड़ रुपये जमा किए थे और 12.6 फीसदी की हिस्सेदारी बेची थी, लेकिन सरकार का काम इससे चल नही पा रहा है, इसलिए अब IRCTC का पूरी तरह से निजीकरण किया जा रहा है।
सरकार की इस कंपनी में 99 फीसदी हिस्सेदारी है। इसमें से 12.5 फीसदी हिस्सेदारी IPO के जरिए बेची गयी अब बची खुची हिस्सेदारी का भी अडानी-अम्बानीकरण होने जा रहा है।

देश नही बिकने दूँगा का असली मतलब यही है कि एक एक करके सब बेच दूँगा।



गिरीश मालवीय स्वतंत्र टिप्पणीकार और आर्थिक मामलों के जानकार हैं।