तीनों कृषि कानूनों की वापसी की माँग को लेकर दिल्ली की घेरेबंदी किये बैठे किसानों के धरने के छह महीने और मोदी सरकार के सात साल पूरे होने पर आज देश भर में किसान संगठनों ने काला दिवस मनाया। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी का पुतला फूँका गया और जगह-जगह काले झंडे लहराये गये। किसानों के इस राष्ट्रवादी प्रतिवाद का विभिन्न राजनीतिक दलों, जनसंगठनों और ट्रेड यूनियन संगठनों ने ज़बरदस्त तरीक़े से साथ दिया और वे भी सड़क पर विरोध जताने उतरे। इसी के साथ आज धरनास्थलों पर बुद्ध पूर्णिमा भा मनायी गयी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 मई को देशवासियों से घरों, दुकानों, वाहनों और सोशल मीडिया पर काले झंडे लगाने और मोदी सरकार के पुतले जलाने का आह्वान किया था। इस आह्वान को पूरे देश से भरपूर समर्थन मिला। संयुक्त किसान मोर्चा के बयान मे कहा गया गया है कि एक तरफ जहां देश के नागरिकों ने केंद्र की जुल्मी सरकार के खिलाफ अपना रोष प्रकट किया है वहीं दूसरी तरफ देश के अन्नदाता का भरपूर समर्थन किया।
बयान में कहा गया है कि आज दिनभर पूरे देश से किसान आंदोलन के समर्थन में और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की खबरें आती रही। महाराष्ट्र के नंदुरबार, नांदेड़, अमरावती, मुंबई, नागपुर, सांगली, परभणी, थाने, बीड़, सोलापुर, बुलढाणा, कोल्हापुर, नासिक, औरंगाबाद, सतारा, पालघर, जलगांव में किसानों और आम नागरिकों ने घर पर काले झंडे लगाकर और मोदी सरकार के पुतले जलाकर विरोध प्रदर्शन किया।
बिहार के बेगूसराय, अरवल, वैशाली, पूर्णिया, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी , दरभंगा, सीतामढ़ी ,सिवान ,जहानाबाद, आरा ,भोजपुर, पटना समेत अन्य जगहों पर किसानों के समर्थन में लोगों ने घरों में काले झंडे लगाए और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट किया। उत्तर प्रदेश में बरेली सीतापुर, बनारस, बलिया, मथुरा समेत कई जगह पर किसानों ने मोदी सरकार के पुतले जलाकर और काले झंडे लगाकर विरोध प्रदर्शन किया।
वहीं तमिलनाडु में शिवगगई, कल्लकुर्ची, कतुलुर, धर्मपुरी तंजौर, तिरुनेलवेली कोयंबटूर समेत कई जगह पर किसान मोर्चा को समर्थन किया गया और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। राजस्थान के झुंझुनू, भरतपुर , श्री गंगानगर, हनुमानगढ़ समेत कई जगह पर विरोध प्रदर्शन हुए। आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम और तेलंगाना में हैदराबाद समेत कई जगह किसानों ने विरोध प्रकट किया।
उत्तराखंड के तराई क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में नागरिकों ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान को सफल बनाया। पंजाब के हर जिले में किसानों का भरपूर समर्थन मिला और पहले की तरह घर घर में काले झंडे लगे और बाइक रैली व छोटी बैठकों करके और मोदी सरकार के पुतले जलाकर विरोध किया गया। हरियाणा के अंदर झज्जर सोनीपत, गुड़गांव , भिवानी , रेवाड़ी , बहादुरगढ़, रोहतक, हिसार समेत पूरे हरियाणा के किसानों ने आंदोलन के 6 महीने पूरे होने पर मोदी सरकार के पुतले जलाए व घरों में काले झंडे लगाए और प्रण लिया कि जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं होती यह आंदोलन चलता रहेगा। उड़ीसा के रायगड़ा, पश्चिमी बंगाल के कोलकाता, जम्मू कश्मीर के अनंतनाग, त्रिपुरा, आसाम में भी किसानों के प्रदर्शन हुए।
दिल्ली मोर्चो पर आज बुद्ध पूर्णिमा मनाई गई और लोगों को शांतमयी विरोध करने का आह्वान किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा का विश्वास है कि किसानों का यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहते हुए ही जीता जा सकता है। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर आज का विरोध दिवस मनाया और मोदी सरकार को चेतावनी दी कि जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं होती तब तक किसान वापस नहीं जाएंगे। सरकार चाहे जितना बदनाम करें, पुलिस बल का प्रयोग करें पर किसान डटे रहेंगे।
आज सिंघु बॉर्डर पर दिन की शुरुआत बुद्ध पूर्णिमा मनाकर हुई। इसके बाद किसानों ने अपनी अपनी ट्रॉलियां में, कच्चे मकानों में और अन्य वाहनों पर काले झंडे लगाए। इसके बाद किसानों ने अलग-अलग जगह पर मोदी सरकार के पुतले जलाए और नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया। टिकरी बॉर्डर पर आज हजारों की संख्या में किसानों ने पहुंचकर मोर्चे को मजबूत किया। टिकरी बॉर्डर पर आसपास के नागरिकों ने भी पहुंचकर किसानों का समर्थन किया और हरसंभव मदद का भरोसा दिया। गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों का लगातार आना जारी है। आज 6 महीने पूरा होने पर आंदोलन को मजबूत करने का किसानों ने संकल्प लिया। वही शाहजहांपुर बॉर्डर पर आज राजस्थान व हरियाणा के किसानों ने इकट्ठे होकर मोर्चे को मजबूत करने का फैसला किया और आने वाले दिनों में और किसानों को साथ में जोड़ने का फैसला किया।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि किसानों के इस आंदोलन का चाहे 6 महीने का हो गया हो परंतु किसानों का हौसला बरकरार है और वे लगातार लड़ते रहेंगे। सरकार इसे जितना खींचना चाहे वह कर सकती है, परंतु इसमें सरकार का ही राजनैतिक नुकसान है। किसान को यह समझ आ चुका है कि यह कानून किसानी पर बहुत गहरा हमला है इसलिए किसानों को भी मजबूती से लड़ना है।
इस बीच स्वतंत्रता सेनानी और कर्नाटक के सामाजिक कार्यकर्ता HR दोरासामी के 104 साल की उम्र में निधन की ख़बर आी। संयुक्त किसान मोर्चा के बयान में कहा गया है कि दोरासामी जी ने देश के स्वाधीनता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। वे देश के आजाद होने के बाद भी सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर सरकारों के खिलाफ लड़ते रहे। वे देश की एक मुख्य जनतांत्रिक आवाज थे। सयुंक्त किसान मोर्चा उनके निधन पर शोक व्यक्त करता है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
दैनिक ट्रिब्यून के सोनीपत में वरिष्ठ पत्रकार पुरुषोत्तम शर्मा जी का भी आज निधन हो गया वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और आज उन्होंने आखिरी सांस ली। पुरुषोत्तम जी लगातार किसान आंदोलन को कवर कर रहे थे। वे सिंघु बॉर्डर पर किसानों की आवाज को मीडिया के माध्यम से लोगों के सामने ला रहे थे। संयुक्त किसान मोर्चा उनके निधन पर शोक व्यक्त करता है।
जारीकर्ता – बलवीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हनन मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़
सयुंक्त किसान मोर्चा
9417269294
samyuktkisanmorcha@gmail.com
(181 वां दिन, 26 मई 2021)