किसान आंदोलन को दुनिया भर से समर्थन, 26 अगस्त को एक राष्ट्रीय सम्मेलन


यह उल्लेखनीय है कि स्वतंत्र भारत में यह दिन पहले कभी इतना प्रत्यक्ष रूप से और उत्साह के साथ नहीं मनाया गया था। सैकड़ों किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा में अलग-अलग जगहों पर किसानों ने हजारों वाहनों के साथ हिस्सा लिया। कृषि क्षेत्रों और शहर के चौकों पर, किसानों और अन्य नागरिकों के नेतृत्व में तिरंगा को ऊंचा रख, उन मुद्दों को उठाया गया, जो सभी नागरिकों की (जो विशेष रूप से जो हाशिए पर हैं) सच्ची स्वतंत्रता के लिए आवश्यक हैं।


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संयुक्त किसान मोर्चा प्रेस विज्ञप्ति

 

किसान आंदोलन के परिणामस्वरूप स्वतंत्रता दिवस अधिक उत्साह के साथ मनाया गया – नागरिकों ने यह भी उजागर किया कि वास्तविक स्वतंत्रता का क्या अर्थ होना चाहिए – विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में दुनिया भर के कई शहरों में प्रवासी भारतीयों द्वारा ‘स्लीप-आउट’ कार्यक्रम आयोजित किए गए

संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐतिहासिक किसान आंदोलन के 9 महीने पूरे होने के उपलक्ष्य में 26 अगस्त को एक राष्ट्रीय सम्मेलन की योजना बनाई

बिहार सरकार की कृषि बाजार समितियों के पुनरुद्धार और विकास की घोषणा ने, विरोध कर रहे किसानों के विनियमित बाजारों की आवश्यकता की बात को सही साबित किया – मोदी सरकार हमेशा की तरह लक्ष्यों को बदल रही है

 

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देश भर के किसानों ने कल भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस को ‘किसान मजदूर आजादी संग्राम दिवस’ के रूप में मनाया। इस दिन किसानों और श्रमिकों द्वारा विभिन्न तरीकों से तिरंगा यात्रा निकाले जाने के बारे में विभिन्न स्थानों से रिपोर्ट आ रही है। हरियाणा, पंजाब और अन्य जगहों पर महिला किसानों ने अग्रणी भूमिका निभाई। ढांसा, पलवल, गाजीपुर, शाहजहांपुर, सिंघू और टिकरी सहित किसान आंदोलन के विभिन्न मोर्चों पर इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। किसान मजदूर आजादी संग्राम दिवस को विभिन्न टोल प्लाजा पर भी मनाया गया, जो पिछले कई महीनों में किसानों के विरोध प्रदर्शन के पक्के मोर्चा बन गए हैं। रिपोर्टों से यह भी संकेत मिलता है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने कुछ स्थानों पर किसानों की तिरंगा यात्रा को आगे नहीं बढ़ने दिया।

यह उल्लेखनीय है कि स्वतंत्र भारत में यह दिन पहले कभी इतना प्रत्यक्ष रूप से और उत्साह के साथ नहीं मनाया गया था। सैकड़ों किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा में अलग-अलग जगहों पर किसानों ने हजारों वाहनों के साथ हिस्सा लिया। कृषि क्षेत्रों और शहर के चौकों पर, किसानों और अन्य नागरिकों के नेतृत्व में तिरंगा को ऊंचा रख, उन मुद्दों को उठाया गया, जो सभी नागरिकों की (जो विशेष रूप से जो हाशिए पर हैं) सच्ची स्वतंत्रता के लिए आवश्यक हैं।

इस स्वतंत्रता दिवस पर विरोध कर रहे किसानों को अपना समर्थन और एकजुटता देने के लिए, प्रवासी भारतीयों द्वारा दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ‘स्लीप-आउट कार्यक्रम’ आयोजित किए गए। इसमें वैंकूवर, लंदन, सैन होज़े (संयुक्त राज्य), सिएटल, टोरंटो, वियना आदि शामिल हैं। लंदन में, थेम्स नदी पर प्रसिद्ध वेस्टमिंस्टर ब्रिज पर, एक विशाल बैनर फहराया गया था जिसमें प्रधान मंत्री मोदी के इस्तीफे की मांग की गई।

लाखों किसानों द्वारा ऐतिहासिक, निरंतर शांतिपूर्ण विरोध के नौ महीने पूरे होने के उपलक्ष्य में, संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 अगस्त 2021 को एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस अखिल भारतीय सम्मेलन में सैकड़ों किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी जाएगी, जो स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा रहे हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा के स्टैंड और मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए हरियाणा के चार व्यक्तियों (प्रदीप धनखड़, विकल पचर, जगबीर घसोला और डॉ शमशेर) को एसकेएम से पूरी तरह से निष्कासित कर दिया गया है और उन्हें एसकेएम के किसी भी विरोध स्थल में किसी भी मोर्चा स्थल या मंच पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जायेगी। यह निर्णय एसकेएम की पिछली बैठक में लिया गया था। इस बीच, भाकियू चढूनी के श्री गुरनाम सिंह चढूनी ने चुनाव में प्रवेश करने के अपने बयान को वापस ले लिया, न वे किसी भी राजनीतिक दल का गठन करेंगे। एसकेएम के प्रतिनिधियों और श्री चढूनी के बीच बातचीत में कुछ अन्य लंबित मुद्दों को भी सुलझाया गया।

हरियाणा में जजपा के एक विधायक जोगी राम सिहाग को कल हिसार के गांवों में जाने पर काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ा। एक गांव (सिरसौद) से भागने के बाद, विधायक को दूसरे गांव (बिछपडी) में भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा, जहां उन्हें स्थानीय किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।

प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में मोदी सरकार के बदलते लक्ष्य कल फिर से स्पष्ट हो गए। छोटे और सीमांत किसानों के बारे में पीएम का जोर, किसानों के हितों की रक्षा करने में सरकार की पूरी तरह से घोर विफलता को छिपाने और उसके किसान विरोधी कदमों को छिपाने के लिए था। ये किसी से छुपाये नहीं जा सकते थे, और पीएम के जोर ने किसी को बेवकूफ नहीं बनाया।।

इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कृषि बाजार समितियों के पुनरुद्धार और विकास की घोषणा, विरोध कर रहे किसानों के रुख को सही साबित करती है, और विनियमित बाजारों की आवश्यकता पर जोर देती है।

नर्मदा बचाओ आंदोलन के 36 वर्ष पूरे होने पर 17 अगस्त को बड़वानी में “नर्मदा किसान मजदूर जन संसद” का आयोजन किया जायेगा। इस कार्यक्रम में कई एसकेएम नेताओं के भाग लेने की उम्मीद है, जिसमें नर्मदा घाटी के कई गांवों के ग्रामीणों के अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से हजारों किसान शामिल होंगे।

चल रहे किसान आंदोलन को मजबूत करने के लिए दूर-दराज के स्थानों से अधिक किसान मोर्चों में शामिल हो रहे हैं। तमिलनाडु से सैकड़ों और किसान सिंघू बॉर्डर पहुंचे। कर्नाटक के किसानों के एक दल ने आज गाजीपुर सीमा पर सभा को संबोधित किया।

जारीकर्ता –
बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव

 

संयुक्त किसान मोर्चा

ईमेल: samyuktkisanmorcha@gmail.com

263वां दिन, 16 अगस्त 2021