भारत का एक बड़ा मीडिया प्रतिष्ठान गंभीर गलतियों से भरी हुई एक ख़बर से कैसे निपटता है? इसका जवाब फाइनेंशियल एक्सप्रेस में छपे मनिका गुप्ता के एक लेख में है जिसे चुपचाप इस उम्मीद में बदल दिया गया कि कोई उसमें छुपी गड़बडि़यों को पकड़ नहीं पाएगा। यह लेख द्रौपदी और महाभारत के संबंध में फिल्म अभिनेता कमल हसन की एक टिप्पणी की प्रतिक्रिया में लिखा गया था। उस टिप्पणी के खिलाफ कुछ आक्रोशित समूहों ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवायी है।
एक निजी चैनल को 12 मार्च को दिए इंटरव्यू में कमल हसन ने कहा था:
”भारत एक ऐसा देश है जो एक ऐसी पुस्तक का सम्मान करता है जिसकी कहानी एक औरत के जुए में दांव पर लगाए जाने के इर्द-गिर्द घूमती है गोया वह औरत महज एक माल हो।”
इस टिप्पणी के बाद फाइनेंशियल एक्सप्रेस की मनिका गुप्ता ने एक लेख लिखा जिसे यहां देखा जा सकता है। अखबार ने गलती को दुरुस्त करते हुए दोबारा जो लेख छापा, उसे यहां देखा जा सकता है।
मूल लेख के पैरा 3 में लेखिका कहती है कि एक हिंदू बहुसंख्या वाले देश में रहते हुए कमल हसन हिंदू मिथकों पर टिप्पणी नहीं कर सकते और ऐसा करना उन्हें मिली अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन है। ज़ाहिर है, लेखिका ने ऐसा कहते हुए ‘संविधान’ को भुला दिया है जो हिंदू बहुसंख्या वाले देश के हिसाब से नहीं, सेकुलर राष्ट्र के हिसाब से लिखा गया है। संशोधित लेख में अभिव्यक्ति की आज़ादी वाला हिस्सा हटा दिया गया है।
चौथा पैरा तो चौंकाने वाला है। मूल लेख में लेखिका कमल हसन को मुस्लिम समझ कर टिप्पणी करती हैं:
”वे न केवल दो समूहों के बीच नफ़रत भड़का रहे हैं बल्कि खुद यह भूल रहे हैं कि उनके अपने धर्म में औरतों की हालत कितनी खराब है। उन्हें महाभारत के इक्का दुक्का प्रसंगों को छोड़कर तीन तलाक जैसे मुद्दों पर बात करनी चाहिए। और वे अपने काम से काम रखें तो बेहतर!”
संशोधित लेख में यह पैरा गायब है। लेखिका को इतनी भी जानकारी नहीं है कि कमल हसन तमिल ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। लगता है कि मनिका गुप्ता ने बिना पढ़-लिखे भावनाओं में बहकर देश के इतने बड़े अखबार में कलम चला दी। उन्होंने न केवल अपने को इस बहाने एक्सपोज़ किया बल्कि भगवा गिरोहों के हमदर्द के तौर पर अपनी राजनीति भी साफ कर दी। पांचवें पैरा में गुप्ता कहती हैं कि हिंदू मक्काल काची को अदालत में कमल हसन के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने हिंदुओं की भावनाएं आहत की हैं। संशोधित लेख में इसे बदल कर सूचना के रूप में लिखा गया है कि ऐसी एक याचिका दायर कर दी गई है।
(यह स्टोरी altnews.in पर छपी खबर से साभार ली गई है और संपादित है)