[आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है और यह हिंदी पत्रकारिता का गहनतम संकटकाल भी है। सवाल उठता है कि इस दिन को कैसे मनाएं? महान पत्रकारों को याद कर के? अतीत का गौरवगान कर…
6 मई 2017 को दिल्ली में ‘मीडिया : आज़ादी और जवाबदेही’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में मीडिया की मौजूदा स्थिति पर व्यापक और गहन विचार-विमर्श के बाद निम्न संकल्प सामूहिक सहमति से पारित गया है: …
रोहित जोशी तबियत खराब हो, रात में नींद नहीं आ रही हो और आप फ़िल्मों के शौक़ीन हों तो फ़िल्में देखना ही सबसे बढ़िया तरीका होता है रात काटने को. यहाँ रात में…
वेंकैया नायडू जी, सुकमा में हुए माओवादी हमले के बाद आपने मानवाधिकार संगठनों पर यह सवाल उठाया है कि वे सरकारी हिंसा की तो आलोचना करते हैं लेकिन जब माओवादी या अलगाववादी इस…
पुण्य प्रसून बाजपेयी नेहरु की जगह सरदार पटेल पीएम होते तो देश के हालात कुछ और होते । ये सवाल नेहरु या कांग्रेस से नाराज हर नेता या राजनीतिक दल हमेशा उठाते रहे…
दिलीप मंडल ब्राह्मणवाद और आंबेडकरवाद भारतीय चिंतन परंपरा के दो अलग ध्रुव हैं। इनमें से एक घटेगा, तो दूसरा बढ़ेगा। एक मिटेगा, तो दूसरा बचेगा। आंबेडकर की नजर में आरएसएस जिन लोगों का…
“अगर हिंदू-राज सचमुच एक वास्तविकता बन जाता है तो इसमें संदेह नहीं कि यह देश के लिए भयानक विपत्ति होगी, क्योंकि यह स्वाधीनता, समता और बंधुत्व के लिए खतरा है। इस दृष्टि से…
“कभी भारत में पत्रकारिता एक व्यवसाय था। अब वह व्यापार बन गई हैं। वह तो साबुन बनाने जैसा है, उससे अधिक कुछ भी नहीं। उसमें कोई नैतिक दायित्व नहीं। वह स्वयं को जनता…
अरविंद दास आधुनिक भारत के इतिहास की तारीख़ में अप्रैल 1917 का भारी महत्व है. सौ साल पहले इसी महीने मोहनदास करमचंद गाँधी ने बिहार के चंपारण में जाकर सत्याग्रह की शुरुआत की…
गोरक्षा पर पहात्मा गांधी की राय मैं ख़ुद गाय को पूजता हूं यानी मान देता हूं. गाय हिंदुस्तान की रक्षा करने वाली है, क्योंकि उसकी संतान पर हिंदुस्तान का, जो खेती प्रधान देश…
पिछले कुछ सालों से भारत में मीडिया की निष्पक्षता और कॉर्पोरेटपरस्ती को लेकर बहस अब तेज़ हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी के प्रचण्ड बहुमत मिलने और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने…
दिल्ली का प्रतिष्ठित रीगल सिनेमा आज बंद हो रहा है। कनॉट प्लेस स्थित दिल्ली के इस प्रीमियर सिनेमा में आज शाम के शो में ‘मेरा नाम जोकर’ दिखाई जाएंगी और नाइट शो ‘संगम’…
हसिबा खेलिबा रहिबा रंग काम क्रोध न करिबा संग हसिबा खेलिबा गाइबा गीत दिढ करि राखि अपना चीत हसिबा खेलिबा धरिबा ध्यान अहनिसि कथिबा ब्रह्म गियान हसै-खेलै न करै मन भंग ते निहचल…
दो दिन पहले शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की शहादत का दिन था। आज भगत सिंह के संपादक और क्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी की पुण्य तिथि है। एक पत्रकार के बतौर राष्ट्रीय आंदोलन में…
जश्न-ए-भगत सिंह–9 23 मार्च, यानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत का दिन। मीडिया विजिल बीते एक हफ़्ते से ‘जश्न-ए-भगत सिंह’ नाम से एक शृंखला चला रहा है जिसमें भगत सिंह के तमाम…
जश्न-ए-भगत सिंह-7 इस लेख का शीर्षक दो मसलों को जोड़कर बनाया गया है। लेनिन के आदर्शों पर भगत सिंह के भरोसे और ख़ुद को फाँसी नहीं गोली से उड़ाने की लिखित अपील। भगत…
जश्न-ए-भगत सिंह–5 इंकलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है (असेम्बली बम काण्ड पर यह अपील भगतसिंह द्वारा जनवरी, 1930 में हाई कोर्ट में की गयी थी। इसी अपील…
जश्न-ए-भगत सिंह-4 विद्यार्थी और राजनीति इस बात का बड़ा भारी शोर सुना जा रहा है कि पढ़ने वाले नौजवान(विद्यार्थी) राजनीतिक या पोलिटिकल कामों में हिस्सा न लें। पंजाब सरकार की राय बिल्कुल ही…
जश्न-ए-भगत सिंह–3 धर्म और हमारा स्वतन्त्रता संग्राम अमृतसर में 11-12-13 अप्रैल को राजनीतिक कान्फ्रेंस हुई और साथ ही युवकों की भी कान्फ्रेंस हुई। दो-तीन सवालों पर इसमें बड़ा झगड़ा और बहस हुई। उनमें…
जश्न-ए-भगत सिंह–2 क़ौम के नाम संदेश प्रिय साथियों, इस समय हमारा आन्दोलन अत्यन्त महत्वपूर्ण परिस्थितियों में से गुज़र रहा है। एक साल के कठोर संग्राम के बाद गोलमेज़ कान्फ्रेन्स ने हमारे सामने शासन-विधान…
23 मार्च 1931 को भगत सिंह, अपने साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर जेल में फाँसी चढ़ गए। तीनों उसी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सिपाही थे जो भारत को सिर्फ़ आज़ाद…
मुफ़्ती के फ़तवे… “मुफ़्तियों को शरीयत के आईने में लोगों को राह दिखाने की जो ज़िम्मेदारी मिली थी उसमें धीरे-धीरे राजनीति प्रमुख होती चली गई। चिन्तन(क़ियास) का स्थान रूढिवादी सोच ने ले लिया”…
अभिषेक श्रीवास्तव दुनिया की हर जंग किसी की हार और किसी की जीत पर खत्म होती है। चुनावी जंग की खासियत यह है कि इसमें जीतने और हारने वाले दोनों पक्षों पर बात…
`कमांडर इन चीफ` चंद्रशेखर आज़ाद के बारे में शिव वर्मा ” लिखने-पढ़ने के मामले में आज़ाद की सीमाएँ थीं। उनके पास कॉलेज या स्कूल का अंग्रेजी का सर्टीफिकेट नहीं था और…
एक विज्ञापन में अमिताभ बच्चन कच्छ के रण में गधों को देखने के लिए जो दूरबीन लटकाने की बात करते हैं, उसका आविष्कार इटली के वैज्ञानिक गैलिलियो ने किया था। गैलीलियो अपने युग…