मद्रास प्रेसीडेंसी में 1927 में एक G.O. पास किया था जिसके द्वारा सरकारी मेडिकल और इंजीनियरिंग कालेजों में पिछड़ी जातियों को आरक्षण प्रदान किया गया था. भारत का संविधान लागू होने के बाद…
पंकज श्रीवास्तव इतिहास की नज़र में तथ्य सर्वाधिक पवित्र होते हैं। नए तथ्यों के आने से इतिहास में बदलाव भी होता है। बदलाव का आधार किसी की इच्छा या राजनीतिक ज़रूरत हो तो…
अश्विनी कुमार श्रीवास्तव अद्भुत है मीडिया और उसमें काम कर रहे तथाकथित पत्रकार। वरना बसपा और मायावती जैसी कद्दावर ताकत को ही इस बार के चुनाव में लड़ाई से बाहर कैसे कर देता!!!…
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की मानद अध्यक्ष और राजस्थान में आदिवासियों के लिए लंबा ज़मीनी संघर्ष करने वाली सीपीआई (एम.एल) नेता श्रीलता स्वामीनाथन का उदयपुर में 5 फरवरी की सुबह देहांत हो…
हिन्दू राष्ट्रवादी आरंभ से ही वैदिक विश्व-दृष्टि और आधुनिक विज्ञान के बीच मौलिक एकता के दावे करते आ रहे हैं। अगर आधुनिक विज्ञान हमारे ऋषियों को ज्ञात वैदिक आध्यात्मिक ज्ञान के महासागर…
इस तस्वीर में महात्मा गाँधी के साथ उनके रक्त से सनी मिट्टी भी दिख रही है। आज़ाद भारत की पहली आतंकवादी कार्रवाई थी गाँधी जी की हत्या। इस हत्या को ‘जायज़’ ठहराने के…
पृथ्वीराज चौहान को तराइन के मैदान में वीरगति मिली थी। इस हार के ग़म को कम करने के लिए चंदबरदाई ने ‘पृथ्वीराज रासो’ लिखकर उनके पराक्रम का बखान किया । जनता में यही…
‘वह भी कोई देश है महाराज ‘ जैसे मशहूर यात्रा वृतांत और ‘नगरवधुएँ अख़बार नहीं पढ़ती हैं’ जैसेे कथासंग्रह के रचयिता, अलबेले लेखक और पत्रकार अनिल यादव की अगली किताब ‘सोनम गुप्ता बेवफ़ा…
तटस्थता पत्तरकारिता की सजावट है, उससे भी अधिक पाखंड है ! …अयोध्या आंदोलन के नेताओं के लिए न्यायपालिका नौटंकी कंपनी थी, उनका नारा था “बंद करो यह न्याय का नाटक जन्मभूमि का खोलो फाटक”.…
भाऊ कहिन-1 अपनी सम्मोहक भाषा और बेचैन करने वाले अंदाज़ के लिए मशहूर वरिष्ठ हिंदी पत्रकार राघवेंद्र दुबे उर्फ़ भाऊ आजकल अपने फ़ेसबुक पेज पर तमाम दिलचस्प अनुभव लिख रहे हैं। इनमें पत्रकारों…
अनहद गरजे, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का एक पर्चा है जो समय-समय पर विभिन्न मुद्दों पर हिंदी में निकलता है। राज, समाज और विश्वविद्यालय से जुड़े तमाम मसलों पर बेबाक रखने वाले इस पर्चे…
बीते 8 नवंबर को 500 और 1000 की नोटबंदी की घोषणा से लोगों को हुई परेशानी को छुपाने के लिए अब पुलिस ने पत्रकारों को धमकाना शुरू कर दिया है। ऐसी पहली घटना…
‘संशय’- पत्रकारिता का बुनियादी वसूल है। यानी जो बात बताई जा रही हो या दिख रही हो, उस पर शक़ करना ताकि घटना से जुड़ा कोई कोना अंधेरे में न रह जाए। ऐसे…
गुरुवार 6 अक्टूबर को एनडीटीवी पर बरखा दत्त द्वारा पी. चिदंबरम का लिया साक्षात्कार न चलाए जाने और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी एक आंतरिक ईमेल की ख़बर जब सिद्धार्थ वरदराजन ने दि वायर पर…
28 सितंबर को शहीदे आज़म भगत सिंह का जन्मदिवस है। भगत सिंह ने तमाम विषयों पर बेबाकी से क़लम चलाई थी और अपने समय के अख़बारों की भूमिका की भी शिनाख़्त की थी।…
RSS सबसे ज़्यादा राष्ट्रवाद की बात करता है, वह आज़ादी की लड़ाई में कहाँ था ? उसने गाँधी जी का ही नहीं, भगत सिंह और सुभाष बोस का भी विरोध किया। RSS का…
कुछ दिन पहले की बात है। उसने मुझे देखते ही गले से लगा लिया। ख़बर दी कि किसी तरह एक नई टाउनशिप में दुकान का जुगाड़ हो गया है। ऐसा करने की सलाह उसे…
दो-तीन दिन से जारी बेचैनी से निजात पाने के लिए बोलना ज़रूरी था, पर अक़्ल के घोड़े रोके हुए थे। बार-बार कह रहे थे कि पानी में रहकर कब तक मगर से बैर…
(हम वाक़ई एक ऐसे दौर में हैं जिसे इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। तमाम शोर और चुप्पियों के बीच बहुत कुछ ऐसा है जो पहले नहीं था। तमाम मुद्दों पर बहस इतनी तीखी…
इन दिनों कई अख़बार और चैनल कश्मीर में मारे गये हिजबुल कमांडर बुरहान वानी और 2009 में आईएएस परीक्षा टॉप करने वाले शाह फैसल की तुलना कर रहे हैं। कश्मीर में तैनात शाह…
मुजफ्फरनगर दंगों के स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में उत्तर प्रदेश विधानसभा द्वारा गठित जांच समिति के समक्ष टीवी टुडे चैनल समूह के संपादकीय व प्रबंधकीय अधिकारियों ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किए हैंं,…
मुजफ्फरनगर दंगों के स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में उत्तर प्रदेश विधानसभा द्वारा गठित जांच समिति के समक्ष टीवी टुडे चैनल समूह के संपादकीय व प्रबंधकीय अधिकारियों ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किए हैंं,…
मुजफ्फरनगर दंगों के स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में उत्तर प्रदेश विधानसभा द्वारा गठित जांच समिति के समक्ष टीवी टुडे चैनल समूह के संपादकीय व प्रबंधकीय अधिकारियों ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किए हैंं, उससे…
मुजफ्फरनगर दंगों के स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में उत्तर प्रदेश विधानसभा द्वारा गठित जांच समिति के समक्ष टीवी टुडे चैनल समूह के संपादकीय व प्रबंधकीय अधिकारियों ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किए हैंं, उससे…
(पिछले दिनों दिल्ली दहलाने आये आतंकी शीर्षक से अख़बारों में तमाम सुर्खियाँ छपीं। न्यूज़ चैनलों का तो पूछना क्या ! न कहीं ‘कथित ‘या ‘पुलिस का दावा ‘ जैसी बात, ख़बरों का अंदाज़…