भाऊ कहिन-17 यह तस्वीर भाऊ की है…भाऊ यानी राघवेंद्र दुबे। वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे को लखनऊ,गोरखपुर, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक इसी नाम से जाना जाता है। भाऊ ने पत्रकारिता में लंबा समय बिताया…
भाऊ कहिन-16 यह तस्वीर भाऊ की है…भाऊ यानी राघवेंद्र दुबे। वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे को लखनऊ,गोरखपुर, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक इसी नाम से जाना जाता है। भाऊ ने पत्रकारिता में लंबा समय बिताया…
भाऊ कहिन-15 यह तस्वीर भाऊ की है…भाऊ यानी राघवेंद्र दुबे। वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे को लखनऊ,गोरखपुर, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक इसी नाम से जाना जाता है। भाऊ ने पत्रकारिता में लंबा समय बिताया…
अशोक कुमार पाण्डेय 1. 1990 के दशक में कश्मीर घाटी में आतंकवाद के चरम के समय बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों ने घाटी से पलायन किया. पहला तथ्य संख्या को लेकर. कश्मीरी…
भाऊ कहिन-14 यह तस्वीर भाऊ की है…भाऊ यानी राघवेंद्र दुबे। वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे को लखनऊ,गोरखपुर, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक इसी नाम से जाना जाता है। भाऊ ने पत्रकारिता में लंबा समय बिताया…
भाऊ कहिन-13 यह तस्वीर भाऊ की है…भाऊ यानी राघवेंद्र दुबे। वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे को लखनऊ,गोरखपुर, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक इसी नाम से जाना जाता है। भाऊ ने पत्रकारिता में लंबा समय बिताया…
भाऊ कहिन-12 यह तस्वीर भाऊ की है…भाऊ यानी राघवेंद्र दुबे। वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे को लखनऊ,गोरखपुर, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक इसी नाम से जाना जाता है। भाऊ ने पत्रकारिता में लंबा समय बिताया…
भाऊ कहिन-11 यह तस्वीर भाऊ की है…भाऊ यानी राघवेंद्र दुबे। वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे को लखनऊ,गोरखपुर, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक इसी नाम से जाना जाता है। भाऊ ने पत्रकारिता में लंबा समय बिताया…
भाऊ कहिन-10 यह तस्वीर भाऊ की है…भाऊ यानी राघवेंद्र दुबे। वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे को लखनऊ,गोरखपुर, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक इसी नाम से जाना जाता है। भाऊ ने पत्रकारिता में लंबा समय…
भाऊ कहिन-9 यह तस्वीर भाऊ की है…भाऊ यानी राघवेंद्र दुबे। वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे को लखनऊ,गोरखपुर, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक इसी नाम से जाना जाता है। भाऊ ने पत्रकारिता में लंबा समय…
भाऊ कहिन-8 यह तस्वीर भाऊ की है…भाऊ यानी राघवेंद्र दुबे। वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे को लखनऊ,गोरखपुर, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक इसी नाम से जाना जाता है। भाऊ ने पत्रकारिता में लंबा समय…
भाऊ कहिन-7 यह तस्वीर भाऊ की है…भाऊ यानी राघवेंद्र दुबे। वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे को लखनऊ,गोरखपुर, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक इसी नाम से जाना जाता है। भाऊ ने पत्रकारिता में लंबा समय…
आपातकाल की याद -1 राष्ट्रपति के नाम प्रधानमंत्री का अत्यंत गोपनीय पत्र (यह पत्र राष्ट्रपति कार्यालय की फाइल में मिला) प्रधानमंत्री, भारत सरकार नयी दिल्ली, 25 जून 1975 आदरणीय राष्ट्रपति जी, जैसा…
भाऊ कहिन-6 यह तस्वीर भाऊ की है…भाऊ यानी राघवेंद्र दुबे। वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे को लखनऊ,गोरखपुर, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक इसी नाम से जाना जाता है। भाऊ ने पत्रकारिता में लंबा…
गोपाल कृष्ण अनूठी पहचान/आधार संख्या मामले की सुनवाई के दौरान 2-3 मई, 2017 को जब अटॉर्नी जनरल और भारत सरकार के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को यह बताया कि उनके द्वारा उठाया जा…
[आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है और यह हिंदी पत्रकारिता का गहनतम संकटकाल भी है। सवाल उठता है कि इस दिन को कैसे मनाएं? महान पत्रकारों को याद कर के? अतीत का गौरवगान कर…
6 मई 2017 को दिल्ली में ‘मीडिया : आज़ादी और जवाबदेही’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में मीडिया की मौजूदा स्थिति पर व्यापक और गहन विचार-विमर्श के बाद निम्न संकल्प सामूहिक सहमति से पारित गया है: …
रोहित जोशी तबियत खराब हो, रात में नींद नहीं आ रही हो और आप फ़िल्मों के शौक़ीन हों तो फ़िल्में देखना ही सबसे बढ़िया तरीका होता है रात काटने को. यहाँ रात में…
वेंकैया नायडू जी, सुकमा में हुए माओवादी हमले के बाद आपने मानवाधिकार संगठनों पर यह सवाल उठाया है कि वे सरकारी हिंसा की तो आलोचना करते हैं लेकिन जब माओवादी या अलगाववादी इस…
पुण्य प्रसून बाजपेयी नेहरु की जगह सरदार पटेल पीएम होते तो देश के हालात कुछ और होते । ये सवाल नेहरु या कांग्रेस से नाराज हर नेता या राजनीतिक दल हमेशा उठाते रहे…
दिलीप मंडल ब्राह्मणवाद और आंबेडकरवाद भारतीय चिंतन परंपरा के दो अलग ध्रुव हैं। इनमें से एक घटेगा, तो दूसरा बढ़ेगा। एक मिटेगा, तो दूसरा बचेगा। आंबेडकर की नजर में आरएसएस जिन लोगों का…
“अगर हिंदू-राज सचमुच एक वास्तविकता बन जाता है तो इसमें संदेह नहीं कि यह देश के लिए भयानक विपत्ति होगी, क्योंकि यह स्वाधीनता, समता और बंधुत्व के लिए खतरा है। इस दृष्टि से…
“कभी भारत में पत्रकारिता एक व्यवसाय था। अब वह व्यापार बन गई हैं। वह तो साबुन बनाने जैसा है, उससे अधिक कुछ भी नहीं। उसमें कोई नैतिक दायित्व नहीं। वह स्वयं को जनता…
अरविंद दास आधुनिक भारत के इतिहास की तारीख़ में अप्रैल 1917 का भारी महत्व है. सौ साल पहले इसी महीने मोहनदास करमचंद गाँधी ने बिहार के चंपारण में जाकर सत्याग्रह की शुरुआत की…
गोरक्षा पर पहात्मा गांधी की राय मैं ख़ुद गाय को पूजता हूं यानी मान देता हूं. गाय हिंदुस्तान की रक्षा करने वाली है, क्योंकि उसकी संतान पर हिंदुस्तान का, जो खेती प्रधान देश…