कोरोना वायरस की महामारी ने पूंजीवाद के इंजन को रोक दिया है. परन्तु यह एक अस्थायी स्थिति है. आज जब पूरी मनुष्य जाति कुछ समय के लिए अपने घरों में कैद है तब…
इस कोरोना क्वारंटीन समय में भी सरकार वह सब करने से बाज़ नहीं आ रही है जिसका आरोप अरसे से उसके सर है। यानी थैलीशाहों के चारण के रूप में श्रम और श्रमिकों…
(इस कठिन कठोर क्वारंटीन समय में संजय जोशी दुनिया की बेहतरीन फ़िल्मों से आपका परिचय करवा रहे हैं. यह मीडिया विजिल के लिए लिखे जा रहे उनके साप्ताहिक स्तम्भ ‘सिनेमा-सिनेमा’ की छठीं कड़ी…
सुधांशु वाजपेयी लखनऊ विश्वविद्यालय के चर्चित छात्रनेता रहे हैं। आजकल कांग्रेस में सक्रिय सुधांशु ने पिछले दिनों लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के तमाम नेताओं पर चले मुकदमों का संदर्भ लेते…
एक मई को विश्व मजदूर दिवस होता है, इस साल भी मनाया गया। दुनिया भर से मजदूरों के हक और बेहतरी की बातें उठाई गयीं। इस दिन भारत के करोड़ों मजदूर और उनके…
सुभाष गाताडे वह मार्च का आखरी सप्ताह था जब डॉ सिरौस असगरी, जो ईरान में मटेरियल्स साईंस और इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं तथा फिलवक्त़ अमेरिका की इमिग्रेशन और कस्टम्स एनफोर्समेण्ट सेन्टर में…
(इस कोरोंटाइन समय में आपको दुनिया की बेहतरीन फ़िल्मों से परिचय संजय जोशी करवा रहे हैं. यह मीडिया विजिल के लिए लिखे जा रहे उनके साप्ताहिक स्तम्भ सिनेमा-सिनेमा की पांचवीं कड़ी है। मक़सद…
फ्रांसीसी क्रांति के पहले और क्रांति के दौरान पेरिस और लंदन की पृष्ठभूमि में चार्ल्स डिकेन्स ने एक उपन्यास लिखा था ‘ए टेल ऑफ टू सिटीज’ जो बहुत चर्चित हुआ. इस उपन्यास में…
मृत्यु के कई चेहरे होते हैं। लेकिन एक ही सत्य होता है। यह एक अखंड मूल्य की हानि को दिखाती है। अधिकांश दार्शनिक और धार्मिक पुस्तकों में हमें इसकी अपरिहार्यता, इसकी निश्चितता, नश्वर…
550 पर लॉक डाउन, संक्रमितों की संख्या 40,000 होने को हुई तो ट्रेन चली-ठीक है? अखबारों में शनिवार को दो खबरें महत्वपूर्ण थीं. लॉक डाउन के कारण फंसे मजदूरों, छात्रों, पर्यटकों, तीर्थयात्रियों…
मशहूर फ़िल्म अभिनेता इरफान खान ने 53 वर्ष की उम्र मे 29 अप्रैल को दुनिया को अलविदा कह दिया। थियेटर से शुरुआत करने वाले इरफान ने बज़रिये रुपहले पर्दा एक बेहतरीन अभिनेता…
डॉ.स्कन्द शुक्ल वर्तमान कोविड-19-पैंडेमिक के सन्दर्भ में विश्व-स्वास्थ्य-संगठन पर जो प्रश्न-चिह्न लग रहे हैं , वे सर्वथा असत्य नहीं हैं। इस संक्रमण के वैश्विक महामारी बनने से पहले और दौरान भी अनेक गतिविधियों…
पूरा विश्व कोरोनावायरस और कोविड-19 के संकट से जूझ रहा है। अमरीका जैसी महाशक्ति को भी इस वायरस ने हिलाकर रख दिया है। विश्व भर के वैज्ञानिक जब इस वायरस का तोड़ ढूँढने…
निर्जीव रेगिस्तान को यही रंग-बिरंगे लोग जीवंत बनाते हैं. किंतु इनकी जिंदगी अब बदरंग हो गई है. ये वही लोग हैं जिन्होंने मूमल ओर महेंद्र की कहानी को हमारी स्मृतियों में जिंदा रखा…
इस कोरोंटाइन समय में आपको दुनिया की बेहतरीन फ़िल्मों से परिचय संजय जोशी करवा रहे हैं. यह मीडिया विजिल के लिए लिखे जा रहे उनके साप्ताहिक स्तम्भ सिनेमा-सिनेमा की चौथी कड़ी है। मक़सद यह…
रविवार 26 अप्रैल को रेडियो पर मन की बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के प्रसिद्ध क्रांतिकारी संत बासव को उनकी जयंती पर भगवान कहके याद किया। लेकिन बासव के विचार…
डॉ.स्कन्द शुक्ल सत्य की पड़ताल में हम तनिक समय नहीं लगाते और तुरन्त निष्कर्षों पर पहुँचने लगते हैं। सिगरेटपान इस समय विवाद में है। कई ख़बरें संचारित हो रही हैं कि धूमपान…
राजनीति जारी है. बिहार ने अपने प्रवासी मजदूरों और कोटा में फंसे छात्रों को किसी भी तरह की राहत देने से अब तक साफ मना किया है. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बस भेजकर…
इस कोरोना काल में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत की लहर सी आयी हुई है। तबलीगी जमात को केंद्र मे रखते हुए मुसलमानों को भारत मे कोरोना महामारी के फैलाव के लिए जिम्मेदार…
इस कोरोंटाइन समय में आपको दुनिया की बेहतरीन फ़िल्मों से परिचय संजय जोशी करवा रहे हैं. यह मीडिया विजिल के लिए लिखे जा रहे उनके साप्ताहिक स्तम्भ सिनेमा-सिनेमा की तीसरी कड़ी है। मक़सद यह…
इस हफ्ते की खबरों में खास रहा नोएडा के एक मृत्युंजन शर्मा का क्वारंटाइन होने का अनुभव। निश्चित रूप से उन्होंने इसका शानदार विवरण लिखा है और उसमें सरकार तथा व्यवस्था के खिलाफ…
बहुजन दृष्टि-1 आजादी के तुरंत बाद 1947 में जवाहरलाल नेहरू ने यूनेस्को से एक खास निवेदन किया। विकास कार्यों को आरंभ करने के लिए जरूरी था कि इस देश और समाज की…
अशोक कुमार पाण्डेय दिल्ली के दंगा-पीड़ित इलाक़ों में घूमते हुए एक तरफ़ वर्षों की सरकारी उपेक्षा के चलते फैली गंदगी और अव्यवस्था, लटकते हुए बिजली के तारों के गुच्छे और संकरी सड़कों के…
सुभाष गाताडे बीसवीं सदी के महान लोगों की अज़ीम शख्सियतों में शुमार डा अम्बेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसम्बर 1956 ) को कौन नहीं जानता ? हिन्दोस्तां की सरज़मीं पर…
संजय श्रमण बाबा साहब आंबेडकर के जन्म दिवस के अवसर पर भारत मे लोकतंत्र की कल्पना के बारे में कुछ गंभीर विचार किया जा सकता है। बीते एक दशक में लोकतंत्र का विचार…