‘महिला किसान दिवस’: ट्रैक्टर मार्च, अनशन, नुक्कड़ नाटक में दिखा परचम बनता आँचल!

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मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के बैनर तले दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहा किसान आंदोलन आज 54वें दिन भी जारी रहा। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कृषि में और आन्दोलन में महिलाओं के विशेष स्थान को देखते हुए 18 जनवरी को ‘महिला किसान दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इसलिए आज दिल्ली के सभी बॉर्डर से साथ पूरे देश में महिलाओं ने मोर्चा संभाला। ‘महिला किसान दिवस’ के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन किया गया। महिलाओं ने ट्रैक्टर मार्च भी निकाला।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के वर्किंग ग्रुप ने आज के महिला किसान दिवस में विरोध काय्रक्रमोें में भागीदारी व व्यापकता पर संतोष जाहिर करते हुए कहा है कि यह विरोध देश भर में 300 से अधिक जिलों में आयोजित हुए और महिलाओं ने खुद नेतृत्व की बागडोर सम्भाली। उन्होंने आवाज बुलन्द कर देश के किसानों के रूप में अपनी पहचान का सवाल उठाया और कहा कि खेती का 75 फीसदी काम महिलाएं करती हैं और ये 3 खेती के कानून सबसे पहले व सबसे ज्यादा उनकी जीविका को छीनेंगे। खेती के सभी काम जैसे बुआई, रुपाई, सिंचाई, निराई, कटाई, ढुलाई, छंटाई, भराई, बंधाई और पशुपालन से जुड़े काम जैसे चारा डालना, चराने ले जाना, दूध निकालना, सफाई करना, गोबर बटोरना व कण्डे बनाना, दूध का प्रसंस्करण करना, सभी में ज्यादतर महिला श्रम काम आता है।

महिलाओं ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन भी दिया, जिसमें उन्होने मांग की कि उन्हें मनरेगा में काम व मजदूरी दर बढ़ाया जाए व भ्रष्टाचार समाप्त किया जाए, उन्हे सस्ते कर्ज दिये जाएं, सभी फसलों का सी2 + 50 फीसदी दाम सुनिश्चित किया जाए, उनके कर्ज माफ किये जाएं, उन्हें सस्ती दरों पर कर्ज दिये जाएं, परिवहन की सुविधाएं दी जाएं, उन्हें खाद्यान्न प्रसंस्करण करने के लिए उपकरण दिये जाएं ताकि वे खुद फसलों का प्रसंस्करण करें और उसे बेच सकें, उन्हें पेंशन दी जाए और उनके सामाजिक अधिकारों की तथा सुरक्षा की व्यवस्था की जाए।

संक्षेप में महिलाओं ने देश के विकास में सरकार से अपना हिस्सा देने की गुहार लगाई और कहा कि इसे कॉरपोरेट व विदेशी कम्पनियों को ना सौंपा जाए। साथ में संकल्प लिया कि इन कानूनों की वापसी तक संघर्ष चलेगा। महिलाओं ने यह भी कहा कि इनसे उनकी राशन व खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी और इसका सबसे घातक असर महिलाओं पर ही पड़ेगा।

महिला किसानों ने इस बात को भी उजागर किया कि नये बिजली दरों के लागू होने से, बिलों के बढ़ा-चढ़ाकर दिये जाने से और सुधारने के नाम पर रिश्वतखोरी से उनका संकट बहुत ज्यादा बढ़ गया है और बिजली बिल 2020 की वापसी अब ग्रामीण इलाकों में बढ़ा सवाल बनता जा रहा है।

एआईकेएससीसी ने इस बात पर जोर दिया है कि महिलाओं की यह बढ़ती ताकत देेश में एक नयी जागृति पैदा कर रही है और यह देश के एक नये विकास की, जो जनता के विकास पर आधारित होगा, कम्पनियों और उनके बिचैलियों के विकास पर नहीं, नीव ढाल रहा है।

बॉर्डर पर महिलाओं ने संभाला आंदोलन का मोर्चा

दिल्ली जयपुर राजमार्ग- 48 पर क्रमिक अनशन में भी महिलाओं ने ही भाग लिया। 24 घंटे के अनशन पर बैठी महिला आंदोलनकारियों में : राजबाला यादव, परमेश्वरी, गीता छींपा, अश्वनी संतोष चौहान, लता बाई नामदेव, सकूबाई धनराज, शोभाबाई शुक्र लाल, मंगल शिवाजी वाग, वानू बाई जीरा, कम्मू बाई मनोहर, दुर्गा देवी और मंनू देवी शामिल रहीं। इससे पहले दूध पिलाकर रविवार के क्रमिक अनशकारियों का अनशन खुलवाया गया।

इसके पहले महाराष्ट्र व गुजरात से हजारों महिलाएँ शाहजहाँपुर मोर्चे पर पहुँची। सर्वोच्च न्यायालय में महिलाओं की भागीदारी के प्रति नकारात्मक टिप्पणी से आहत होकर महिला किसानों का दल गुजरात व महाराष्ट्र से शाहजहाँपुर के लिए रवाना हुआ था।

आज सभा का संचालन की महिलाओं ने किया और भाषण भी केवल महिलाओं के हुए। अध्यक्ष मंडल में प्रतिभा शिंदे, चन्द्रकला, निशा, राजबाला ब वर्षा देशपांडे शामिल थीं। वक्ताओं में रुक्मणी, वर्षा चोपड़ा, सुमित्रा चोपड़ा, कविता श्रीवास्तव, सुनीता चतुर्वेदी, प्रतिभा शिंदे, राइजा बाई व मंजू यादव शामिल थे। वक्ताओं ने आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी और बढ़ाने का संकल्प लिया।

आस-पास की महिलाओं ने ट्रैक्टर मार्च निकाल कर आंदोलन में भाग लिया। इस आंदोलन को आने वाले दौर में महिलाओं के अग्रणी योगदान के लिए भी याद किया जाएगा। महिला किसान दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन किया गया।

26 जनवरी की ‘किसान परेड’ ऐतिहासिक होगी- AIKSCC

एआईकेएससीसी ने यह भी कहा है कि यदि कल की वार्ता में कुछ भी सकारात्मक होना है तो उसमें एक ही सवाल है, वह है 3 खेती के कानूनों और बिजली बिल 2020 की वापसी। अगर सरकार केवल दिखावा करना चाहती है और समय बरबाद कर सोचती है कि किसान थक जाएंगे, तो मर्जी उसकी है, वह गलत फहमी में है। यह भी कहा कि वार्ता लायक माहौल बनाने के लिए जरूरी है कि कुछ नेताओं को दिये गए एनआईए नोटिस को वापस लिया जाए।

एआईकेएससीसी ने कहा है कि दिल्ली की ट्रैक्टर परेड ऐतिहासिक होगी और हर कीमत पर की जाएगी। प्रत्येक जिले से इसके लिए हजारों ट्रैक्टरो को लाने की तैयारी की जा रही है और यह किसी भी देश की चुनी हुई सरकार के विरुद्ध उसके किसानों का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन होगा। एआईकेएससीसी ने कहा कि पार्टियों को जीत कर गद्दी पर बैठने के लिए किसानों के वोट चाहिये पर सेवा वे कॉरपोरेट हितों की करना चाहती हैं, इसे अब सहन नहीं किया जाएगा। आंदोलन तब तक चलेगा जब तक ये कानून वापस नहीं हो जाते।