रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 31 अगस्त को नोएडा में स्थित सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के एपेक्स और सायन यावे-16 और 17 को अवैध करार दिया है। कोर्ट ने आवासीय परियोजना में दोनो 40 मंजिला इमारत को गिराने का निर्देश दिया है। इसी के साथ कंपनी को फ्लैट मालिकों को दो महीने के भीतर 12 % ब्याज के साथ पैसा वापस करने का आदेश दिया।
ट्विन टावरों के निर्माण में नियमों का उल्लंघन…
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने कहा कि नोएडा में सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट में लगभग 1,000 फ्लैटों वाले ट्विन टावरों के निर्माण में नियमों का उल्लंघन किया है। नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) और सुपरटेक के बीच मिलीभगत थी। नोएडा में एक परियोजना में सिर्फ दो टावरों के निर्माण की अनुमति दी गई थी। जबकि नोएडा प्राधिकरण ने सुपरटेक को दो अतिरिक्त 40-मंजिला टावरों के निर्माण की अनुमति दी। यह पूरी तरह से नियमों का उल्लंघन था। इसी के साथ इस मामले में कोर्ट ने 3 महीने के भीतर दोनो 40 मंजिला इमारत को ध्वस्त करने का निर्देश दिया है।
कंपनी को अपनी लागत पर तोड़ने होंगे टावर्स…
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि टावर्स को तोड़ते वक्त अन्य भवनों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। पीठ ने कहा की कंपनी को दो महीने की अवधि के भीतर अपनी लागत पर इन्हें तोड़ना होगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) को टावरों को गिराने का आदेश दिया है ताकि सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जा सके।
2 करोड़ देने होंगे रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को..
सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को नोएडा में ट्विन टावर्स के सभी फ्लैट मालिकों को दो महीने के भीतर 12 % ब्याज के साथ पैसा वापस करने का आदेश दिया। कोर्ट ने बिल्डर को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि शहरी क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण में भारी वृद्धि हुई है, जो डेवलपर्स और शहरी नियोजन प्राधिकरणों के बीच मिलीभगत के परिणामस्वरूप होता है। कोर्ट ने कहा कि नियमों के इस तरह के उल्लंघन से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।
पहले भी लगाई थी SC ने फटकार..
शीर्ष अदालत ने 3 अगस्त को पिछली सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। लेकिन उस वक्त भी कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को एक हरित क्षेत्र में रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक के दो आवासीय टावरों को मंजूरी देने के लिए जम कर फटकार लगाई थी। कोर्ट कहा था कि एक सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में, उसे एक तटस्थ रुख (neutral stand) अपनाना चाहिए, लेकिन उसका आचरण उसकी आंखों, कान और नाक में भ्रष्टाचार को दर्शाता है। कोर्ट ने कहा था कि प्राधिकरण को सरकारी नियामक संस्था की तरह व्यवहार करना चाहिए। किसी के हितों की रक्षा के लिए निजी संस्था की तरह नही।
2014 में इलाहाबाद HC का था टावर्स को गिराने का निर्देश..
बता दें कि वर्ष 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन टावर्स को गिराने का निर्देश दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सुपरटेक और नोएडा प्राधिकरण द्वारा 11 अप्रैल, 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर आया है।