‘कुछ तो मजबूरियां रही होंगी..’ कहते हुए, भाजपा के हुए सुनील जाखड़

मयंक सक्सेना मयंक सक्सेना
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पंजाब कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के पुराने परंपरागत नेताओं में एक सुनील जाखड़ ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर, भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया है। भाजपा में शामिल होते समय, उन्होंने कांग्रेस पर कई आरोप लगाए। पंजाब चुनाव के दौरान से ही लगातार जाखड़ के तेवर बाग़ी लग रहे थे। उनको भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी में शामिल करवाया।

कौन हैं सुनील जाखड़?

सुनील जाखड़, पंजाब के बड़े किसान नेता माने जाते रहे हैं। दरअसल वे अपने समय के सबसे बड़े किसान नेताओं में से एक रहे, बलराम जाखड़ के बेटे हैं और गुरदासपुर के पूर्व सांसद भी रहे हैं। कांग्रेस ने किसान को लेकर अपने कैंपेन के लिए भी पंजाब से ही शुरुआत की थी, जहां पर राहुल गांधी जिस ट्रैक्टर पर सवार होकर, पंजाब भर में घूमे थे – उसे सुनील जाखड़ ही चला रहे थे।

राहुल गांधी की किसान यात्रा में ट्रैक्टर चलाते जाखड़

क्या कहा सुनील जाखड़ ने?

हालांकि वे सैद्धांतिक और वैचारिक तौर पर बिल्कुल ही विपरीत पार्टी में शामिल हो रहे थे, लेकिन उन्होंने इस प्रेस वार्ता में सिद्धांतों का ही हवाला दिया। वे बोले, “सिद्धांतों पर आधारित संबंधों का मैंने साथ दिया लेकिन जब सिद्धांतों के साथ समझौता होने लगा, हम अपनी विचारधारा को छोड़ने लगे तो मुझे लगा कि ये फिर से सोचने का सही समय है।” वे बोले, “कांग्रेस के साथ रिश्ता ख़त्म करना आसान नहीं था। तीन पीढ़ियों पुराना रिश्ता था। 1972 से अब तक, हम अच्छे-बुरे वक़्त में कांग्रेस के साथ रहे थे।

अपने परिवार के कांग्रेस से 50 साल पुराने संबंधों ज़िक्र करते हुए कहा, “मैंने उसी दिन पार्टी छोड़ने का फ़ैसला कर लिया था जिस रोज़ मेरी आवाज़ दबाने की कोशिश की गई थी।” ये सुनील जाखड़ को दिए गए, उस ‘कारण बताओ नोटिस’ के बारे में था, जो कि उनके एक बयान को लेकर कांग्रेस ने जारी किया था।

सुनील जाखड़ ने कहा,  “कांग्रेस ने पंजाब को जाति, समुदाय और धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश करके राज्य में भाईचारे की भावना का अपमान किया है।” ये आरोप उन्होंने दरअसल चुनाव के 6 महीने पहले, दलित मुख्यमंत्री बनाने को लेकर लगाया। वे पहले भी कांग्रेस के चाननी को सीएम बनाने का विरोध कर चुके हैं।

कुछ तो मजबूरियां रही होंगी..

वे बोले “अगर सुनील जाखड़ को 50 साल पुराने रिश्ते तोड़ने पड़े तो कुछ बुनियादी मुद्दे रहे होंगे। कोई निजी मतभेद नहीं था। हमारे मतभेद राष्ट्रवाद और पंजाब की अखंडता को लेकर थे। पंजाब का भाईचारा एक-47 की गोलियों से नहीं तोड़ा जा सकता है।

उन्होंने पार्टी पर ये भी आरोप लगाया कि उनकी शिकायतों और सिद्धांतों की बात करने पर, पार्टी में उन पर ही सवालिया निशान लगा दिए गए। उन्होंने कहा, “मैंने जब ये कहा कि पंजाब को जाति, संप्रदाय और धर्म के नाम पर बांटा नहीं जा सकता है तो मुझे कटघरे में खड़ा कर दिया गया। इसके बाद मैंने भारी दिल से पार्टी छोड़ी है।”

सुनील जाखड़, पिछले 2 दिनों में कांग्रेस के दूसरे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं, जिन्होंने पार्टी छोड़ी है। इसके पहले बुधवार को गुजरात कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया था।