ज़किया जाफ़री मामले में तीस्ता सीतलवाड को एसआईटी रिपोर्ट के आधार पर आरोपित करने के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को, सर्वोच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त जस्टिस मदन बी.लोकुर ने दुर्भाग्यपूर्ण क़रार दिया है। उन्होंने द वायर के लिए करन थापर को दिये एक इंटरव्यू में कहा कि अगर एसआईटी का निष्कर्ष पत्थर की लकीर है तो फिर अदालतों की क़्या ज़रूरत है। उन्होंने चिंता ज़ाहिर की कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को देखते हुए तीस्ता सीतलवाड को लंबे समय तक किसी भी अदालत से बेल मिलना मुश्किल होगा।
जस्टिस लोकुर ने कहा- “मुझे लगता है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जब आप किसी मामले को खारिज कर रहे हों तो यह सब कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है। इस विशेष मामले में जकिया [जाफरी] द्वारा दायर अपील खारिज की जा रही थी। ठीक है। इसे खारिज किया जा रहा है। लेकिन यह कहना क्यों जरूरी है कि हम मामले को खारिज कर रहे हैं और हम चाहते हैं कि आप पर मुकदमा चलाया जाए क्योंकि आप एक झूठा मामला लेकर आए हैं, जबकि हजारों और हजारों झूठे मामले दर्ज हैं। और, क्या अदालतें उन सभी मामलों में सभी पर मुकदमा चलाने जा रही हैं?….पुलिस द्वारा दर्ज किए गए झूठे मामलों के बारे में क्या? क्या अदालत झूठे मामले दर्ज करने के लिए पुलिस पर मुकदमा चलाने जा रही है? इसलिए मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से अनावश्यक और बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण था।”
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‘SC Has Made It Difficult for Teesta Setalvad to Get Bail’: Justice Madan Lokur