सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे आपराधिक छवि के उम्मीदवारों को टिकट देने की वजह बताएं और इसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड भी करें. कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इस आदेश का पालन न होने पर राजनीतिक दलों को अदालत की अवमानना झेलनी होगी.सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति के अपराधीकरण पर चिंता जताते हुए कहा कि पिछले 4 आम चुनावों में दागी उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी है. कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव सुधारों को लेकर अहम फैसले में कहा- सभी दल अपनी वेबसाइट पर आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों के चयन की वजह बताएं. जस्टिस एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आदेश का पालन न होने पर चुनाव आयोग अपने अधिकार के मुताबिक राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई करे. भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने राजनीति में अपराधीकरण रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
Supreme Court also directs political parties to publish credentials, achievements and criminal antecedents of candidates on newspaper, social media platforms and on their website while giving a reason for selection of candidate with criminal antecedents. https://t.co/HE0Om38zGn
— ANI (@ANI) February 13, 2020
गुरुवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि सियासी दलों को वेबसाइट पर यह बताना होगा कि उन्होंने ऐसे उम्मीदवार क्यों चुनें जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं. साथ ही सियासी दलों को उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की विस्तृत जानकारी सोशल मीडिया और अखबारों में भी देना होगी.
Supreme Court says that political parties will liable for contempt if they fail to comply with the order. It asks Election Commission of India to file contempt petition in Supreme Court if political parties don’t not comply with the order.
— ANI (@ANI) February 13, 2020
अदालत ने कहा कि सियासी दलों को ऐसे उम्मीदवार को चुनने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को अनुपालन रिपोर्ट देनी होगी जिसके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं.
अदालत ने चुनाव आयोग से कहा है कि जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं उनके बारे में अगर राजनीतिक दल न्यायालय की व्यवस्था का पालन करने में असफल रहते हैं तो चुनाव आयोग इसे शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाए. अगर किसी नेता या उम्मीदवार के खिलाफ कोई केस नहीं है और कोई भी एफआइआर दर्ज नहीं है तो उसे भी इसकी जानकारी देनी होगी. अगर कोई भी नेता सोशल मीडिया, अखबार या वेबसाइट पर ये सभी जानकारियां नहीं देता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ एक्शन ले सकता है और सुप्रीम कोर्ट को भी जानकारी दे सकता है.
बता दें कि, बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वह राजनीतिक दलों पर दबाव डाले कि राजनीतिक दल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को टिकट न दें. ऐसा होने पर आयोग राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई करे.