
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर मोदी सरकार की आर्थिक और विदेशी नीति को लेकर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने एक वीडियो संदेश के जरिए भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी ने कहा कि आज हमारा देश गंभीर आर्थिक संकट में है, विदेश नीति भी ध्वस्त होने के दौर में है, पड़ोसियों से रिश्ते खराब हैं। अमेरिका से वर्तमान संबंध लेन-देन पर आधारित है। रूस से भी हमारा संबंध संकटग्रस्त हुआ है। यूरोपीय राष्ट्रों से भी हमारे संबंध मतलब परस्त हो गए हैं। नेपाल, भूटान और श्रीलंका हमारे करीबी दोस्त थे, लेकिन आज ये देश हमसे नाराज हैं। आर्थिक मोर्चे पर सरकार की ना स्पष्ट दिशा है ना दृष्ठिकोण। बेरोजगारी अपने उच्चतम बिंदु पर है। इन्हीं सब कारणों चीन ने यह निर्णय लिया कि यह बेहतर समय है भारत के विरूद्ध कार्यवाही करने का।
राहुल गांधी ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि “आखिर चीन इसी समय आक्रमक क्यों हुआ? चीन ने एलएसी पर अतिक्रमण के लिए यही समय क्यों चुना। भारत की स्थिति में अभी ऐसा क्या है? जिसने चीन को मौका दिया आक्रामक होना का। इस समय में ऐसा विशेष क्या है? जिससे चीन को विश्वास हुआ कि वह भारत के विरुद्ध दुस्साहस कर सकता है। इसे समझने के लिए आपको कई अलग अलग पक्षों को समझना होगा।” राहुल गांधी ने कहा कि “देश की रक्षा किसी एक बिंदु पर टिकी नहीं होती, बल्कि यह कार्य कई शक्तियों की संगम होती है। यह समायोजन कई प्रकार की व्यवस्थाओं का होता है। अत: देश की रक्षा विदेश संबंधों से होती है, इसकी रक्षा पड़ोसी राष्ट्रों से होती है, इसकी रक्षा अर्थव्यवस्था से होती है। इसकी रक्षा जनता की भावनाओं से होती है। पिछले छह वर्षों में ऐसा क्या हुआ? उन सभी क्षेत्रों में, भारत क्षतिग्रस्त एवं संकटग्रस्त हुआ, और मैं यहां प्रत्येक विषय पर चर्चा करूंगा।”
Since 2014, the PM's constant blunders and indiscretions have fundamentally weakened India and left us vulnerable.
Empty words don't suffice in the world of geopolitics. pic.twitter.com/XM6PXcRuFh
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 17, 2020
राहुल गांधी ने कहा कि “हमारे विदेशी संबंध विश्व के कई राष्ट्रों से बेहतर रहे हैं, हमारे रिश्ते अमेरिका से रहे हैं, मैं इसे रणनीतिक साझेदारी कहूंगा, जो काफी महत्वपूर्ण है, हमारे रिश्ते रूस से थे, हमारे संबंध यूरोपीय राष्ट्रों से थे, और ये सारे राष्ट्र हमारे सहयोगी थे, विश्व में भारत के संबंध बेहतर बनाने में। आज हमारे विदेशी संबंध मतलब परस्त हो गए हैं, अमेरिका से भी वर्तमान संबंध लेन-देन पर आधारित है। रूस से भी हमारा संबंध संकटग्रस्त हुआ है। यूरोपीय राष्ट्रों से भी हमारे संबंध मतलब परस्त हो गए हैं।
राहुल ने कहा कि “नेपाल पहले हमारा करीबी दोस्त था, भूटान भी करीबी दोस्त था, श्रीलंका भी करीबी दोस्त था, पाकिस्तान को छोड़कर, सभी पड़ोसी देश भारत के साथ मिलकर कार्य करते थे, और वे सभी पड़ोसी राष्ट्र सभी संदर्भ में भारत को अपना साझीदार मानते थे, आज नेपाल हमसे नाराज एवं उग्र है, आप नेपाल जाएं और नेपाली नागरिकों से बात करें, जो हुआ उससे वे काफी गुस्से में हैं, श्रीलंका ने तो चीन को बंदरगाह तक दे दिया, मालदीप भी परेशान है, भूटान भी परेशान है। इस प्रकार हमने अपने करीबी विदेशी साझीदारों से रिश्ते बिगाड़ लिए”।
देश की अर्थव्यवस्था पर राहुल गांधी ने कहा कि “हमारा गर्व! कुछ ऐसी विशेषताओं पर था , जिसकी चर्चा भारत पूरे विश्व में गर्व करता था, अभी आर्थिक समृद्धि पिछले 50 वर्षों के अंतर्गत अपने निकृष्टतम दौर में है, ना स्पष्ट दिशा है ना दृष्ठिकोण, अर्थात अर्थव्यवस्था का संपूर्ण विनाश! 40-50 वर्षों में बेरोजगारी अपने उच्चतम बिंदु पर है। तो हमारी मजबूती, अचानक हमारी कमजोरी कैसे बन गई? हमने सरकार से कई बार कहा कि देखिए, कृपया ध्यान दीजिए, समझिए इस बात को दिन प्रतिदिन हम असुरक्षित हो रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि “यह सभी मुद्दे आपस में जुड़े हुए हैं, वे अलग-अलग नहीं हैं। जब आप किसी राष्ट्र को देखते हैं, तब सभी चीजों को एक साथ लेकर चलना होता है। हमने कहा भगवान के लिए अर्थव्यवस्था में पैसा झोंकिए, जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आ सके, और यह तुरंत करिये। बचाइए छोटे और मध्यम व्यापार को, उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। इस प्रकार आज हमारा राष्ट्र आर्थिक रूप से संकट में है, विदेश नीति भी ध्वस्त होने के दौर में है, पड़ोसियों से रिश्ते खराब हैं। इसी कारण चीन ने यह निर्णय लिया कि संभवत: यह बेहतर समय है भारत के विरूद्ध कार्यवाही करने का। यही निर्णायक कारण है, उसके आक्रामक होने का।