मशहूर वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट से सज़ा से पहले माफ़ी माँगने के लिए मिले तीन दिन का वक्त पूरा होने पर उन्होंने फिर कहा कि अगर वे माफी मांगेंगे तो यह उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सबसे ज़्यादा विश्वास रखते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अवमानना का दोषी क़रार दिया है लेकिन 20 अगस्त को सज़ा पर सुनवायी के दौरान कोर्ट ने उन्हें अपने लिखित बयान पर पुनर्विचार का वक्त दिया था।
प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है कि, ‘मेरे ट्वीट्स सद्भावनापूर्वक विश्वास के तहत थे, जिस पर मैं आगे भी कायम रहना चाहता हूं। इन मान्यताओं पर अभिव्यक्ति के लिए सशर्त या बिना शर्त की माफी निष्ठाहीन होगी। उन्होंने कहा, ‘मैंने पूरे सत्य और विवरण के साथ सद्भावना में इन बयानों को दिया है जो अदालत द्वारा निपटाये नहीं गए हैं। अगर मैं इस अदालत के समक्ष बयान से मुकर जाऊं, और माफी की पेशकश करूँ, तो मेरी नजर में यह मेरे अंतकरण और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसका मैं सर्वोच्च सम्मान करता हूं।’
भूषण ने कहा, ‘मेरे मन में संस्थान के लिए सर्वोच्च सम्मान है। मैंने सुप्रीम कोर्ट या किसी विशेष चीफ जस्टिस को बदनाम करने के लिए नहीं, बल्कि रचनात्मक आलोचना करते हुए वह कहा था जो मेरा कर्तव्य है। मेरी टिप्पणी रचनात्मक है और संविधान के संरक्षक और लोगों के अधिकारों के संरक्षक के रूप में अपनी दीर्घकालिक भूमिका से सुप्रीम कोर्ट को भटकने से रोकने के लिए है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने बयान पर विचार करने के लिए कहा था। अदालत का कहना था कि भूषण चाहें तो 24 अगस्त तक बिना शर्त माफीनामा दाखिल कर सकते हैं। यदि ऐसा नहीं होता है तो 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ सजा पर फैसला सुनाएगी।