किसान संगठनों और सरकार के बीच आज आठवें दौर की वार्ता भी नाकाम हो गयी। सरकार कृषि कानूनों की वापसी के लिए बिलकुल तैयार नहीं है और किसान संगठन इससे कम कुछ मानने को तैयार नहीं हैं। किसानों ने कह दिया है कि अब आरपार की लड़ाई होगी। सरकार के अदालत जाने के प्रस्ताव को भी किसानों ने नकार दिया। इस बीच गरमा-गरमी रही और किसान नेताओं ने काग़ज़ पर लिखकर मंत्रियों को दिखाया-मरेंगे या जीतेंगे।
5th December: Yes or No
8th January: Either We Will Die Or We Will Win#ਜਾਂ_ਮਰਾਂਗੇ_ਜਾਂ_ਜਿੱਤਾਂਗੇ pic.twitter.com/HbjQjLCjpl
— Kisan Ekta Morcha (@kisanektamorcha) January 8, 2021
आठवें दौर की यह वार्ता विज्ञान भवन में ढाई बजे दिन में शुरू हुई। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पहले ही कह दिया था कि कानून वापस नहीं होंगे, इसलिए समाधान की उम्मीद किसी की नहीं थी। किसान संगठनों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वे सुप्रीम कोर्ट नहीं जायेंगे जैसा कि सरकार उनसे कह रही है। सरकार का कहना है कि वह क़ानून वापस नहीं लायेगी, किसान संगठन बदलाव का प्रस्ताव लायें तो विचार हो सकता है। किसान नेताओं ने कहा है कि सरकार जानबूझकर उलझा रही है, वे सिर्फ कृषि कानून की वापसी चाहते हैं और यह फ़ैसला सरकार को लेना है। अदालत से फ़ैसला कराने नहीं जायेंगे। 450 से ज़्यादा संगठन अब इस मुद्दे पर देशव्यापी जनजागरण अभियान छेड़ेंगे।
सरकार के रवैये को देखते हुए किसान संगठन अब वार्ता को निरर्थक समझने लगे हैं। हालाँकि सरकार ने 15 जनवरी को फिर वार्ता का प्रस्ताव दिया है लेकिन किसान संगठनों तत्काल सहमति नहीं दी। आपस में चर्चा करके ही कोई फ़ैसला होगा। इसलिए जो आंदोलन का पूर्व घोषित कार्यक्रम है, वह लागू होगा। 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर परेड की घोषणा ने सरकार के कान खड़े कर दिये हैं लेकिन किसानों ने कल ट्रैक्टर मार्च का रिहर्सल करके अपना इरादा साफ़ कर दिया है।