कृषि कानून के खिलाफ बिहार में धरने जारी; किसानों ने कहा- धान खरीद की गारंटी करे सरकार!

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
ख़बर Published On :


पटना 8 जनवरी 2020: अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर से पटना के गर्दनीबाग में किसानों का अनिश्चितकालीन धरना आज दूसरे दिन भी जारी रहा। इसमें सैंकड़ो की संख्या में किसानों की भागीदारी हो रहा ही। सभी जिला मुख्यालयों और प्रखंड मुख्यालयों पर भी लगातार किसान धरने चल रहे हैं।

पटना के गर्दनीबाग धरनास्थल पर आज के धरने को अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केडी यादव, खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव धीरेंद्र झा, किसान महासभा के राज्य सह सचिव उमेश सिंह, फुलवारी विधायक गोपाल रविदास, पटना जिला सचिव कृपा नारायण सिंह आदि नेताओं ने सम्बोधित किया। धरने में रविन्द्र यादव, कल्लू पासवान, शैलेन्द्र यादव, सत्यानंद पासवान, सुरेश चंद्र ठाकुर, रामकल्याण सिंह, पंकज यादव, सुशीला देवी, पुनीत, विनय, आइसा नेता आकाश कश्यप, दिलीप सिंह आदि शामिल हुए। आज के धरने की अध्यक्षता किसान नेता मधेसवर शर्मा ने की।

धरने को संबोधित करते हुए केडी यादव ने कहा कि बिहार में एक तो सही से धान खरीद नहीं हो रही है, उल्टे धान खरीद में व्यापक धांधली-भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो रहे हैं। बिचौलिए और पैक्स अध्यक्ष की मनमानी चल रही है। बिहार सरकार धांधली पर अविलम्ब लगाम लगाये और सभी किसानों के धान खरीद की गारंटी करे। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के लोगों को किसान आतंकवादी लगते हैं। जब 29 दिसम्बर को हजारों की संख्या में किसान पटना में पहुंचकर अपना ज्ञापन राज्यपाल को देना चाहते थे, तो सुशील मोदी को वे आतंकवादी लगते हैं। बिहार सरकार ने किसानों की बात सुनने की बजाय किसानों पर लाठियां चलाई।

खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि धान खरीद में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य के किसान एकजुट हो रहे हैं और आने वाले दिनों में यहां एक विशाल किसान आंदोलन का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एक तरफ कहती है कि सभी किसानों का धान खरीदा जाएगा, लेकिन दूसरी ओर उसने धान खरीदने की तिथि 31 मार्च से घटाकर 31 जनवरी कर दी है। इसका मतलब ही है सरकार किसानों से धान नहीं खरीदना चाहती है और किसानों की आंखों में धूल झोंकना चाहती है। इसलिए आज हम आज के धरना के माध्यम से यह मांग करते हैं कि जो भी किसान धान बेचना चाहते हैं, उनसे सरकार को धान खरीदना होगा। और यह खरीददारी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होना चाहिए। बिचौलिया राज नहीं चलेगा। हर किसान को 1868 रुपया प्रति कुंतल की राशि मिलनी चाहिये।

अन्य वक्ताओं ने कहा कि सरकार की मंशा किसान विरोधी है। इस किसान विरोधी मानसिकता के खिलाफ अब पूरे बिहार के किसान एकजुट होने लगे है।

वक्ताओं ने कहा कि श्री गडकरी ने एमएसपी की मांग को गलत बताते हुए कहा कि यह बाजार के रेट से ज्यादा होती है। यह तब कहा कि जब सरकार कह रही है कि एमएसपी जारी रहेगी। मंत्रियों को ये पता होना चाहिए कि दुनिया के एक तिहाई भूखे लोग भारत में रहते हैं, जो उसकी जनसंख्या के हिस्से से दो गुना हैं। नीति आयोग के सदस्य लगातार कह रहे हैं कि सरकार न खाना खरीद सकती है, न उसको भंडारण कर सकती है, जबकि सरकारी पक्ष है कि खरीद जारी रहेगी।

धरना के माध्यम से खाद्य पदार्थों से एथेनॉल बनाने के फैसले की कड़ी निंदा की गई। कहा गया कि इससे खाद्य असुरक्षा बढ़ेगी। बिहार में भंग कृषि उत्पादन बाजार समिति को बहाल नहीं कर रही है। 1868/1888 के खुद का तय किया गया रेट पर धान नहीं खरीद रही है।

राज्यव्यापी आह्वान पर भोजपुर, सिवान, अरवल, दरभंगा, भागलपुर, नालन्दा, गया, जहानाबाद, रोहतास, वैशाली आदि सभी जिलों में किसान के धरने जारी हैं।इन धरनों में बड़े पैमाने पर किसानों की भागीदारी हो रही है।