इस वक्त जब असम की बीजेपी सरकार के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हालिया जारी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) की सूची को “दोषपूर्ण” करार देते हुए पूरी सूची को ख़ारिज करने की मांग की है; और अब जब असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में नागरिकता विधेयक के खिलाफ लामबंदी तेज हो रही है; और असम और बंगाल में नागरिकता खोने के आतंक से आत्महत्या का सिलसिला जारी है; ठीक उसी वक्त केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संसद में खड़े होकर पूरे देश में एनआरसी लागू करने की घोषणा करते हैं।
NRC will cover everybody across India, irrespective of religion; different from Citizenship Amendment Bill: Amit Shah
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— ANI Digital (@ani_digital) November 20, 2019
गृहमंत्री ने कहा, एनआरसी में धर्म विशेष के आधार पर भेदभाव नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘एनआरसी में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है जिसके आधार पर कहा जाए कि और धर्म के लोगों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।
सभी नागरिक भले ही उनका धर्म कुछ भी हो, एनआरसी लिस्ट में शामिल हो सकते हैं। एनआरसी अलग प्रक्रिया है और नागरिकता संशोधन विधेयक अलग प्रक्रिया है। इसे एक साथ नहीं रखा जा सकता।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जाएगा ताकि भारत के सभी नागरिक एनआरसी लिस्ट में शामिल हो सकें।
किन्तु राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में गृहमंत्री ने कहा-“हिंदू, बुद्ध, सिख, जैन, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। इसके लिए सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल अलग से है ताकि इन शरणार्थियों को नागरिकता मिल सके। इन्हें पाकिस्तान, बांग्लादे और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर भेदभाव का शिकार होना पड़ा था।”
HM Amit Shah: Hindu, Buddhist,Sikh,Jain, Christian, Parsi refugees should get citizenship,that is why Citizenship Amendment Bill is needed so that these refugees who are being discriminated on basis of religion in Pakistan,Bangladesh or Afghanistan, get Indian citizenship pic.twitter.com/5Bu56ZRxOQ
— ANI (@ANI) November 20, 2019
ध्यान देने वाली बात यह है कि अपने जवाब में अमित शाह ने फिर से मुस्लिम शरणार्थियों का जिक्र नहीं किया।
BIG declaration by Union Home Minister @AmitShah in the Rajya Sabha.
The NRC law is applicable to entire India: Home Minister Amit Shah.
Listen in. | #AllIndiaNRCDeclaration pic.twitter.com/pxvKBdhk6o
— TIMES NOW (@TimesNow) November 20, 2019
शाह ने राज्यसभा में कहा कि एनआरसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत किसी धर्म विशेष को इससे बाहर रखा जाए। देश के सभी नागरिक, भले ही उनका धर्म कोई भी हो, इसमें शामिल किए जाएंगे। शाह ने कहा कि एनआरसी नागरिकता संशोधन बिल से अलग है।
दूसरी तरफ असम सरकार ने केंद्र सरकार से हाल में जारी किए गए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) को रद्द करने का आग्रह किया है। इस बात की जानकारी असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्वा सरमा ने बुधवार को दी है।
Himanta Biswa Sarma, Finance Minister of Assam on National Register of Citizens: Assam state BJP and govt are of the opinion that the NRC prepared under the supervision of Supreme Court by State Coordinator Prateek Hajela has failed to fulfill the aspirations the people of Assam. pic.twitter.com/jyIGSZUWu8
— ANI (@ANI) November 20, 2019
बीजेपी नेता ने कहा कि पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से वर्तमान स्वरूप में एनआरसी को खारिज करने का आग्रह किया है। असम सरकार ने एनआरसी को स्वीकार नहीं किया है। असम सरकार और बीजेपी ने गृह मंत्री से एनआरसी को अस्वीकार करने का अनुरोध किया है।
BJP could not implement an error free NRC for 3 crore people in Assam. But Home Minister Amit Shah wants a national NRC for 130 crore persons. Clearly “vikas” and “jobs” was never BJP’s agenda.
— Gaurav Gogoi (@GauravGogoiAsm) November 21, 2019
एनआरसी का विरोध करने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा है कि उनकी सरकार किसी भी हाल में राज्य में एनआरसी को लागू होने नहीं देगी।
WB CM Mamata Banerjee: Some people are instigating you in the name of National Register of Citizenship (NRC). Don't trust any leader from outside, trust us who fight from this land and stand beside you. NRC will not be implemented, keep this in mind. There is nothing to worry. pic.twitter.com/CbcefGNYc8
— ANI (@ANI) November 20, 2019
ममता बनर्जी ने कहा कि कुछ बाहरी लोग आपको एनआरसी के नाम पर डरा रहे हैं। बाहर से किसी भी नेता पर विश्वास न करें, इस भूमि से लड़ने वाले और आप के पास खड़े होने वाले हम पर भरोसा करें। एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा, इसे ध्यान में रखें। चिंता की कोई बात नहीं है।
ममता बनर्जी ने कहा कि हम एनआरसी को बंगाल में नहीं लागू होने देंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी बंगाल में रहने वाले किसी भी शख्स की नागरिकता नहीं छीन सकता है। हम हिंदू और मुस्लिमों के आधार पर नहीं बांटते हैं।
West Bengal chief minister Mamata Banerjee on Wednesday challenged the Centre on the contentious NRC issue and iterated that she will never allow the exercise in the state.https://t.co/AeXHv3pC8n
— The Telegraph (@ttindia) November 20, 2019
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा – भारत हम सभी का है। यह आरएसएस की फासीवादी विचारधारा है जो भारतीय नागरिकों की एकता को तोड़ती है।
India belongs to all. It is the RSS fascistic ideology that sows divisions and ruptures Indian citizenship – by dividing categories of citizens – on the basis of who they pray to, what they eat, who they are, what work they do…This is anti-Indian.https://t.co/VC5abHcvPJ
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) November 21, 2019
सीपीएम ने एनआरसी का विरोध किया है।
The Modi-Amit Shah duo continue to play the game of scaring people and polarising them on communal lines. Despite the fact that there are multiple indentity proofs- Aadhar, Epic, Pan etc., the scare of NRC is to intensify the environment of fear and intimidation. pic.twitter.com/BwGOhS0G1G
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) November 21, 2019
वहीं असम सहित पूरे पूर्वोत्तर में तमाम राजनीतिक व सामाजिक संगठन नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के खिलाफ आंदोलन के लिए एक बार फिर लामबंद हो रहे हैं। प्रस्तावित विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को बिना किसी वैध कागजात के भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। नार्थ ईस्ट स्टूडेंट्स आर्गनाइजेशन (नेसो) ने इस विधेयक के खिलाफ 15 नवंबर को तमाम पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियों में प्रदर्शन किया।
सोमवार से शुरू हुए संसद के शीतकालीन अधिवेशन में नागरिकता (संशोधन) विधेयक के पेश होने की चर्चा के बाद अब असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों के तमाम राजनीतिक व सामाजिक संगठन इसके खिलाफ आंदोलन के लिए एकजुट हो रहे हैं।
प्रस्तावित विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को बिना किसी वैध कागजात के भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
Students organisations and other groups hit the streets of Assam, Manipur, Meghalaya, Mizoram, Nagaland and Arunachal Pradesh on Monday against the #CitizenshipAmendmentBill which is likely to be reintroduced in the winter session of Parliament https://t.co/oyRtABACIc
— Economic Times (@EconomicTimes) November 19, 2019
नागरिकता (संशोधन) विधेयक का मुद्दा इस साल लोकसभा चुनावों के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक टिप्पणी के बाद उभरा था। तब मोदी को पूर्वोत्तर में कई जगह काले झंडे दिखाए गए और उनके खिलाफ नारेबाजी हुई थी। चुनावों के बाद नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (एनआरसी) की अंतिम सूची जारी होने के शोर और विवाद में यह मुद्दा थोड़ा दब गया था।
Manipur: Women vendors of Khwairamband Keithel held a protest against the Citizenship Amendment Bill, in Imphal's Khwairamband Keithel, yesterday. pic.twitter.com/tKYAIGuSzR
— ANI (@ANI) November 19, 2019
अब संसद के शीतकालीन अधिवेशन के दौरान इस विधेयक को संसद में पेश और पारित कराने के सरकार के फैसले के बाद इलाके में विरोध के स्वर एक बार फिर तेज हो रहे हैं। पूर्वोत्तर के कई संगठनों ने इसके विरोध में बड़े पैमाने पर आंदोलन की धमकी दी है। नौ राजनीतिक दलों के गठजोड़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फोरम ने भी इस विधेयक के विरोध में आज असम में प्रदर्शन किया।
नागरिकता संशोधन बिल 2016 इसी साल 8 जनवरी को लोकसभा से पास किया गया था। इसका मकसद 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए गैर-मुस्लिम लोगों को भारतीय नागरिकता देना है।