राजस्थान के भाजपा अध्यक्ष सतीश पुनिया अपने एक बयान पर विवाद में फंस गए हैं। भारतीय ट्राईबल पार्टी के राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस की सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद दिए गए इस बयान के ख़िलाफ़ आदिवासी समाज में आक्रोश फैल गया है। दरअसल हाल ही में राजस्थान में हुए पंचायत चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन इसके पीछे का गणित, पर्दे के पीछे नहीं सामने हुआ – जहां इन चुनावों में बीटीपी के ख़िलाफ़ भाजपा और कांग्रेस एक हो गए। इसके बाद मीडिया से बातचीत में सतीश पुनिया ने कहा कि बीटीपी के नक्सलियों से रिश्ते हैं।
अगर हर आदिवासी होना ही नक्सली है तो और हक अधिकार के लिए बोलने वाली पार्टी नक्सली है तो #हां_हम_नक्सली_है pic.twitter.com/vp4Q4ylt5T
— VK कर्दम (@VK_kardam) December 12, 2020
पंचायत चुनावों में कांग्रेस से नाराज़गी के कारण बीटीपी के दो विधायकों ने कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वेलाराम घोघरा ने कहा, “पंचायत समिति चुनाव से भाजपा और कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया। इन दोनों पार्टियों की ‘मिलीभगत’ से वह डूंगरपुर में अपना जिला प्रमुख और तीन पंचायत समितियों में प्रधान नहीं बना पाए, जबकि बहुमत उनके पास था। ऐसे में हम राज्य की गहलोत सरकार से अपने रिश्ते खत्म कर रहे हैं।”
सुनिए @RahulGandhi @ShashiTharoor @Jairam_Ramesh @priyankagandhi, @ashokgehlot51, @GovindDotasra और @ajaymaken जी.!
आप लोग स्पष्ट कीजिए कि आपकी पार्टी के लिए आदिवासी समुदाय के लोग नक्सली है या प्रकृति के रक्षक है.?
#हाँ_हम_नक्सली_है #BJPकोंग्रेस_एक_है— Chhotubhai Vasava (@Chhotu_Vasava) December 12, 2020
इसके बाद अपने साक्षात्कार में सतीश पुनिया ने कहा कि बीटीपी को हराने के लिए पार्टी के पंचायत स्तर के कार्यकर्ताओं-नेताओं ने कांग्रेस से हाथ मिलाया क्योंकि बीटीपी के नक्सलियों से रिश्तों की बात पता चली थी। सतीश पुनिया ने ये कहते समय किसी तरह के कोई साक्ष्य पेश नहीं किए, न ही अभी तक अपने बयान पर कोई खेद ही ज़ाहिर किया है। इसके बाद आदिवासी समाज के कार्यकर्ताओं की ओर से खासा आक्रोश देखने को मिला है। सतीश पुनिया के बयान के विरोध में राजस्थान भर के आदिवासी नेता और कार्यकर्ता सामने आ गए हैं।
हम हमारे जल-जंगल-ज़मीन को बचाने के लिए संघर्षरत है..!#हाँ_हम_नक्सली_है https://t.co/WKZA3yhoWW
— Arjun Mehar ☭ | अर्जुन महर ☭ (@Arjun_Mehar) December 12, 2020
ट्विटर पर शनिवार को आदिवासी कार्यकर्ताओं ने इसके विरोध में #हाँ_हम_नक्सली_है का हैशटैग चला दिया। कुछ ही देर में इस पर ट्वीट्स के ढेर लग गए। ख़बर लिखे जाने तक ये देश के टॉप 5 ट्रेंड्स में से एक हो चुका था। जिसमें आदिवासी समाज के लोगों के अलावा बड़ी संख्या में दलित कार्यकर्ता भी शामिल हो गए। इनकी मांग है कि सतीश पुनिया अपने बयान के लिए खेद ज़ाहिर करें।
पिछले दिनों निहत्थों पर गोलीया मारी गयी अब नक्सली बोला गया
इन @DrSatishPoonia जैसे नेताओं की गलत सोच का नतीजा समाज भुगत रहा है
क्या तुम्हारा खून नही खोलता? या फिर गुलामी की आदत पड़ चुकी है@Arjun_Mehar #हाँ_हम_नक्सली_है pic.twitter.com/kdstF8v4gs— Sanjay Meena (@skkakarwal) December 12, 2020
कार्यकर्ताओं का कहना है कि भाजपा और उसके नेताओं के लिए अब ये आम बात हो गई है कि वे अपने हर विरोधी को नक्सली, देशद्रोही या खालिस्तानी कुछ भी कह के, उनकी विश्वसनीयता को कम करने की कोशिश करते हैं। ये बात आदिवासी समाज स्वीकार नहीं करने वाला है।
लूटेरे लूटेरे मिलकर 70 साल तक राज किया
भोलीभाली जनता पर आज जनता जाग गई तो नक्सलवादी हो गए वा रे#हाँ_हम_नक्सली_है pic.twitter.com/JczykZYgZr— Dhanesh Maida आदिवासी (@DhaneshMaida) December 12, 2020
फिलहाल सतीश पुनिया ने इस पर न तो कोई स्पष्टीकरण दिया है और न ही कोई माफ़ी ही मांगी है। ज़ाहिर है पार्टी भी इस पर चुप है लेकिन राजस्थान के आदिवासी समाज में इस पर आक्रोश बढ़ता जा रहा है।