आज 6 अगस्त है! 6 अगस्त और 9 अगस्त जापान के इतिहास का ऐसा दिन है। जिसे पूरा विश्व कभी भूल नही सकता। आज ही के दिन 76 साल पहले साल 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर दुनिया का पहला परमाणु बम हमला किया था। इसके बाद 9 अगस्त के दिन जापान के ही नागासाकी शहर पर दूसरा परमाणु बम दागा गया था। यह दोनो दिन इतिहास का ऐसा काला दौर है, जिसमे चारों तरफ मौत का मंजर पसरा था। परमाणु हमलों के इतने सालो बाद भी बहुत से ऐसे लोग है जो अभी भी बीमारियों का शिकार है।
दरअसल, इन हमलों से डेढ लाख से अधिक लोग पल भर में अपनी जान गवां चुके थे। जो बच भी गए थे वो अपंगता या किसी बीमारी का शिकार हो गए थे। परमाणु बम हमले के बाद कई इलाकों में एक घंटे तक काली बारिश हुई थी। जिससे आज भी लोग प्रभावित हैं और कई बीमारियों से जूझ रहे हैं। दशकों से पीड़ित लोग अदालतों में अपनी मांग के लिए लड़ रहे हैं। असल में जापान सरकार ने काली बारिश का एक दायरा बयाना था और उसकी को प्रभावित माना जाता था। इसी दायरे में आने वाले लोगों का इलाज सरकार कराती थी। लेकिन अब वहां की अदालत ने साफ कहा है कि सरकार द्वारा चिन्हित इलाके के बाहर भी काली बारिश से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए थे और उन्हें हेल्थ सुविधाएं दी जानी चाहिए।
क्या चीन बना रहा हैं परमाणु?
हालांकि जापान के दोनों ही शहर काफी विकसित और खूबसूरत है। लेकिन इस विकास को करने में कितनी मुश्किल और मेहनत लगी होंगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। भारत की आबादी को देखते हुए अगर भारत की बात करे तो अगर भारत ऐसे किसी हमले का शिकार होता है तो कल्पना भी नहीं की जा सकती कि दोबारा विकसित होने में कितने वर्ष लग जायेंगे। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक वायरस ने 2 साल में भारत की अर्थव्यवस्था को कितना पिछड़ा कर दिया। यह पर आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से अमेरिका में इस बात को लेकर आशंका जताई जा रही है कि चीन परमाणु मिसाइलों को स्टोर और लॉन्च करने की अपनी क्षमता का विस्तार कर रहा है। इस आशंका सेटेलाइट से ली गई ताज़ा तस्वीरें हैं।
फ़ेडरेशन ऑफ़ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (एफ़एएस) नाम के एक संगठन ने सेटेलाइट तस्वीरों के आधार पर दावा किया है की चीन एक नया परमाणु मिसाइल़ीफील्ड बना रहा है।चीन पूर्वी शिनजियांग में एक बड़े इलाके में भूमिगत साइलो बनाने के लिए सैकड़ों की संख्या में गड्ढे खोद रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐतिहासिक रूप से साइलो ( गड्ढे खोदने का) का उपयोग मिसाइलों को स्टोर करने के लिए ही किया जाता है।
एफ़एएस ने ये भी कहा है कि अब तक करीब 14 साइलो पर गुंबददार कवर बनाए गए हैं। 19 साइलो के निर्माण की तैयारी में मिट्टी को साफ़ किया गया है। एफ़एएस का कहना है कि पूरे परिसर की ग्रिड जैसी रूपरेखा बताती है कि इसमें अंततः लगभग 110 साइलो बनकर तैयार होंगे।
क्या कहता है चीन ?
चीन मीडिया अमरीका संगठन की इस खबर को अफवाह बता रही हैं और ग्लोबल टाइम्स जैसे आधिकारिक मीडिया ने उपग्रह चित्रण में जो दिख रहा है वो नए पवन ऊर्जा संयंत्रों के फ़ार्म है। हालांकि चीनी सरकार ने आधिकारिक तौर पर अमेरिकी के आरोपों और चीनी मीडिया की पवन ऊर्जा फ़ार्म की इस सिद्धांत पर कोई टिप्पणी या प्रतिक्रिया नहीं दी है।
कितने परमाणु बम किसके पास?
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के नवीनतम रिचर्च के अनुसार रूस के पास 6,255, अमेरिका के पास 5,550, ब्रिटेन के पास 225, पाकिस्तान के पास 165, और भारत के पास 156 परमाणु हथियारों है और अगर चीन की बात करे तो चीन के पास आज 350 परमाणु हथियारों का भंडार है। दुनिया के परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था सिपरी के अनुसार वैश्विक रूप से परमाणु हथियारों की संख्या पिछले साल से और अधिक बढ़ गई है।
- 2020- 3,720 परमाणु बम दुनियाभर में तैनात थे
- 2021- 3,825 परमाणु हथियार कभी भी हमला करने के लिए बिल्कुल तैयार हालत में रखे गए हैं।
वहीं नौ परमाणु सशस्त्र देश इस रेस को बढ़ा रहे हैं जिनमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राइल और उत्तर कोरिया को शामिल किया गया हैं।
दुनिया रहेगी या बचेगी?
वैसे, परमाणु संपन्न देश नहीं चाहते कि और दूसरे देश भी परमाणु हथियार बनायें। लेकिन जब तक किसी भी देश के पास परमाणु हथियार हैं, किसी को रोकने का कोई नैतिक आधार नहीं बनता। हाल के दिनों ईरान के भी परमाणु हथियार बना लेने की ख़बर है जिस पर अमेरिका काफ़ी चिढ़ा हुआ है। उत्तर कोरिया ने भी परमाणु हथियार होने का दावा किया है। भारत, पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों के पास परमाणु बम होना इस क्षेत्र को बेहद ख़तरनाक स्थिति में खड़ा कर देता है क्योंकि जब तक ये बम इस्तेमाल न किये जायें तभी तक इन पर चर्चा की जा सकती है। एक बार इस्तेमाल हो गये तो चर्चा के लायक कोई नहीं बचेगा। परमाणु बम का इस्तेमाल करने वाले पर भी परमाणु बम से ही हमला होगा। इस युद्ध में कोई जीत नहीं पायेगा। इंसान की पूरी प्रजाति ही ख़तरे में आ जायेगी। इस विनाशक हथियार के आतंक से दुनिया को मुक्ति कैसे मिलेगी, इसका फिलहाल किसी को अंदाज़ा नहीं है।