भले ही केंद्र सरकार के एक्साइज ड्यूटी में कमी और राज्य सरकारों द्वारा वैट में कमी के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 12 रुपये की गिरावट आई हो, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले दिनों में में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है।
आने वाले महीनों में कच्चा तेल और महंगा..
एनर्जी सेक्टर के एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने बढ़ी कीमतों का कारण समझते हुए कहा कि जब भी तेल कि मांग और आपूर्ति में असंतुलन होता है, कीमतों में वृद्धि होना तय है। वहीं इसका दूसरा कारण ऑयल सेक्टर में निवेश की कमी है, क्योंकि सरकारें सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय/ग्रीन एनर्जी क्षेत्रों को बढ़ावा दे रही हैं। यही कारण है कि आने वाले महीनों में कच्चा तेल और महंगा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल के दाम बढ़ने की एक बड़ी वजह कोरोना महामारी भी है। तनेजा ने कहा कि 2023 में कच्चे तेल की कीमत 100 रुपये तक बढ़ सकती है।
तेल की कीमतें काम होने पर एक्साइज ड्यूटी अधिक, कीमतें ज़्यादा होने पर काम..
पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने के केंद्र के फैसले को लेकर, तनेजा ने कहा कि जब तेल की कीमतें कम होती हैं, तो सरकार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाती है, जब तेल बहुत महंगा होता है, तो सरकार एक्साइज ड्यूटी कम करती है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में तेल की मात्रा की तुलना में खपत और बिक्री में 40% की कमी आई थी। हालांकि बाद में यह घटकर 35% पर आ गया। जब बिक्री कम होगी तो सरकार की आय अपने आप घट जाएगी, लेकिन अब बिक्री कोरोना काल से पहले के स्तर पर लौट आई है।
तेल की कीमत किसी सरकार के हाथ में नहीं..
तनेजा ने कहा हमें समझना होगा कि हम ऑयल इम्पोर्ट करते हैं। यह एक आयातित वस्तु है। आज के समय में हम अपनी जरूरत का करीब 86% तेल आयात करते हैं। ऐसे में तेल की कीमत किसी सरकार के हाथ में नहीं है। पेट्रोल और डीजल दोनों ही डीरेगुलेटेड वस्तुएं हैं। जुलाई 2010 में पेट्रोल को डीरेगुलेट मनमोहन सिंह सरकार द्वारा किया गया था, और 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार ने डीजल को भी डीरेगुलेट कर दिया था।
पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाया जाना चाहिए..
उन्होंने कहा कि सरकार पहले की तुलना में अपेक्षाकृत सहज स्थिति में है। साथ ही, हमारी अर्थव्यवस्था डीजल पर आधारित है। डीजल के दाम बढ़ते हैं तो हर चीज़ के दाम बढ़ जाते हैं। महंगाई ज़्यादा है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है। तनेजा का मानना है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए, ताकि ज़्यादा राहत और ज़्यादा पारदर्शिता मिल सके।