12 वर्षीय मासूम के शव को 3 दिन से पोस्टमार्टम के लिए घुमाया जा रहा था। मासूम अंकित की बॉडी काफी हद तक डीकंपोज हो गई। पिछले 24 घंटे से कागजी कार्रवाई पूरी नहीं होने के कारण शव बीएचयू के पोस्टमॉर्टम हाउस में रखा है। जिसका पोस्टमार्टम मुद्दातों के बाद गुरुवार को किया गया। मिर्जापुर के लालगंज थानाक्षेत्र में रहने वाले मासूम अंकित का अपहरण के बाद हत्या हुई है।
पूरा मामला..
दरअसल, अंकित का पिछले 19 अगस्त को फिरौती के लिए अपहरण किया गया था। सरायइनायत थाने की पुलिस ने शव ड्रमंडगंज की पहाड़ी पर दसवें दिन 29 अगस्त को सड़ी हालत में बरामद किया। जिसके बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए मिर्जापुर स्थित पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। लेकिन मिर्जापुर के डॉक्टरों ने दूसरे दिन शाम को शव को वाराणसी रेफर कर दिया, यह तर्क देते हुए कि डीएनए परीक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है।
शव 24 घंटो तक बीएचयू में पड़ा रहा..
रविवार 29 अगस्त को पुलिस ने अपहरण के दसवें दिन शव ढूंढा। 30 अगस्त को मिर्जापुर के डॉक्टरों ने मासूम के शव को 1 दिन रखने के बाद पोस्टमार्टम से इंकार कर दिया। मंगलवार 31 अगस्त की शाम शव को बीएचयू के पोस्टमार्टम हाउस लाया गया। यहां भी शव 24 घंटो तक पड़ा रहा। इसकी वजह कागजी प्रक्रिया पूरी न होना बताई गई। आईएमएस बीएचयू के फॉरेंसिक विभागाध्यक्ष एवं पोस्टमार्टम हाउस इंचार्ज प्रो. सुरेंद्र पांडेय ने बताया कि बिना प्रोटोकॉल के बॉडी आई थी। जिसके बाद मिर्जापुर पुलिस को प्रोटोकॉल के अनुसार शव भेजने को कहा गया। अब प्रोटोकॉल दस्तावेज बुधवार 1 सितंबर शाम छह बजे आए। इस दौरान वहां कोई डॉक्टर नहीं था। इस कारण पोस्टमार्टम नहीं हो सका।
गुरुवार 2 सितंबर को प्राथमिकता के आधार पर पोस्टमार्टम किया गया। हालांकि बॉडी काफी गल गई थी। इससे पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने में देर हो सकती है। अब इसमें गलती किसकी मानी जाए? उस मासूम की? यूपी पुलिस की? या अस्पताल के प्रोटोकॉल की? बच्चा अगवा हुआ जाहिर है मां-बाप परेशान हुए होंगे, लेकिन दस दिन बाद उसकी मौत की खबर आई। अब उसके अंतिम संस्कार के लिए भी उसके मां- पाप को पुलिस प्रशासन की लापरवाही और अस्पतलों की कागज़ी कार्यवाही का इंतज़ार करना पड़ रहा है।